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श्री आदर्श रामलीला पटेलनगर में भरत मिलाप का भावपूर्ण मंचन

पिता दशरथ की अंत्येष्टि के बाद तीनों माताओं को लेकर भ्राता श्री राम को मनाने चित्रकूट पहुंचे भरत खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौटे

श्री आदर्श रामलीला पटेलनगर में भरत मिलाप का भावपूर्ण मंचन
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मुजफ्फरनगर। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर की रामलीला दर्शकों को खूब आकर्षित कर रही है। प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र पर आधारित श्री रामलीला मंचन के क्रम में सोमवार की रात्रि को आठवें दिन स्थानीय कलाकारों ने श्री राम-भरत मिलाप की लीला का मनमोहन और मार्मिक मंचन किया तो दर्शक कलाकारों के भावपूर्ण संवाद के साथ प्रस्तुत अभिनय को देखकर भाव-विभोर हो गए। श्री राम अयोध्या वापस लौटने से इंकार कर देते हैं तो भरत उनकी चरणपादुका अपने सिर पर उठा कर अश्रुपूरित होकर वापस अयोध्या लौट जाते हैं।

श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर के 49वें रामलीला महोत्सव में भरत मिलाप लीला मंचन की शुरूआत श्री गणेश आरती और गुरूओं को पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ की गयी। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राकेश जैन दवाई वाले ने दीप प्रज्जवलित किया। लीला के दौरान प्रदेश सरकार के मंत्री स्वतंत्र प्रभार और नगर विधायक कपिल देव अग्रवाल, भाजपा के नई मंडी मण्डल अध्अध्यक्ष पंकज माहेश्वरी भी पहुंचे। समिति के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक पूर्व सभासद विकल्प जैन सहित अन्य पदाधिकारियों ने पटका पहनाकर मंत्री कपिल देव और अन्य अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया तथा स्मृति चिन्ह और मिष्ठान देकर अतिथियों का सम्मान किया गया। मंच का पर्दा उठा तो दर्शकों के सामने व्याकुल और शोकाकुल अयोध्या का दृश्य था।


रामलीला का शुभारंभ भरतलाल और शत्रुघ्न के अयोध्या लौटने से होता है। अयोध्या में राजा दशरथ की मृत्यु होने के कारण चारों ओर शोक छाया है और राम, लक्ष्मण तथा जानकी मां सीता के अयोध्या से वन गमन के कारण प्रजा में भी मायूसी का आलम है। महल से ले कर झोपडी तक सभी जगह सूनापन और अंधेरा कायम है। राम, लक्ष्मण व सीता के वनवास व पिता दशरथ के मरण का समाचार पाकर वह बेहद दुखी हो जाते हैं। गुरू वशिष्ठ से कहते हैं कि मुझे अयोध्या का सिंहासन नहीं चाहिए। मेरा कल्याण तो भैया राम की सेवा में है। इसके बाद तीनों माताओं और लाव लश्कर लेकर व्याकुल भरत अपने अनुज शत्रुघ्न के साथ श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकूट पहुंचते हैं। यहां गंगा किनारे का दर्शन होता है। जहां पर राम सीता व लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। उनके पास एक भील आता है और भरत के सेना के साथ आने की जानकारी देता है।


लक्ष्मण को संशय होता है कि शायद वो यु( के लिए आ रहे हैं और वो उत्तेजित हो जाते हैं, राम उन्हें समझाते हैं। इस बीच भरत पहुंचते हैं और भगवान श्रीराम को देखते ही उनसे लिपट जाते हैं। रोने लगते हैं। आग्रह करते हैं कि अयोध्या लौट चले। राम-भरत मिलाप के इस मार्मिक दृश्य को देखकर सभी की आंखें भर आती हैं। भरत सहित माताएं, गुरुदेव सभी राम को मनाने की कोशिश करते हैं। राम के इंकार के बाद गुरू वशिष्ठ कहते हैं कि आप अपनी चरणपादुका भरत को सौंप दें। जिन्हें राजगद्दी पर रखकर भरतलाल राज करेंगे। भरत श्रीराम की चरणपादुका माथे पर लगाते हैं, और शीश पर खड़ाऊं आंखों में पानी, रामभक्त ले चला रे राम की निशानी...भजन सुन सभी भावविभोर हो जाते हैं। सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध बनाया।


श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति के रामलीला समिति के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक सभासद विकल्प जैन, अध्यक्ष गोपाल चौधरी, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, धर्मेंद्र पंवार नीटू, पंकज शर्मा, निर्देशक अमित शर्मा, गोविंद शर्मा, नारायण ऐरन के अलावा ज्योति ऐरन, मीना ऐरन, कन्दर्प ऐरन, जितेंद्र नामदेव, विनय गुप्ता टिंकू, पीयूष शर्मा, राकेश बंसल, अनिल गोयल, राकेश मित्तल, अंकुश गुप्ता, विपुल मोहन, अज्जू जैन, आकाश गोयल, गौरव मित्तल, अनुराग अग्रवाल एडवोकेट आदि मौजूद रहे।

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