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बाबा बंशी वाले ने किया देह त्याग, श्रद्धांजलि देने जुटे श्रद्धालु

मूलतः संत बाबा बंशी वाले पटना के रहने वाले थे। भक्त उनको सिर्फ बाबा बंशी वाले के ही नाम से जानते हैं। बाबा के बारे में बताया गया कि वह वैश्य वर्ग से थे। उनके यहां 25 साल से साथ रहने वाले मामचंद ने बताया कि बाबा का यही कहना था कि कोई भूखा ना रहे।

बाबा बंशी वाले ने किया देह त्याग, श्रद्धांजलि देने जुटे श्रद्धालु
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सहारनपुर। संत बाबा बंशी वाले ने बीती रात देह त्याग कर दिया है। पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ होने के कारण उन्हें सहारनपुर के दिल्ली रोड स्थित मेडिग्राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देर रात 11 बजे उन्होंने देह त्याग किया। आज सुबह इसकी सूचना मिलने पर सरसावा क्षेत्र के गांव सोराना स्थित आश्रम पर बडी संख्या में उनके अनुयायी पहुंचने शुरू हो गए। मुजफ्फरनगर में अनेक बाद उनके चरण पडे और तमाम लोगों के साथ उनका जुडाव था। अनेक भागवत कथाओं व भंडारों का आयोजन उनके सानिध्य में किया।

आज सुबह उनके देह त्याग की सूचना पर बडी संख्या में उनके अनुयायी बाबा बंशी वाले के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे और हाथ जोड़कर बाबा को नमन किया। दोपहर में दो बजे बाबा का अंतिम संस्कार यमुना नदी के घाट पर करने की बात कही गई है। बाबा के अंतिम दर्शन के लिए आम भक्तों के अलावा राजनीतिक लोग भी पहुंचे। प्रदेश सरकार में आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी के अलावा कई राजनीतिक लोग पहुंचे। सौराना गांव में अंबाला हाईवे पर दूर तक भक्तों की लाइन लग गई। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस को भी तैनात कर दिया गया है। सौराना गांव में बाबा के आश्रम को देव स्थल शिव मंदिर कहा जाता है। बाबा बंशी वाले भागवत कथा वाचक थे और जहां भी कथा करने जाते थे तो वहां देशी घी का भंडारे का आयोजन कराते थे। देशभर में उनके अनेक अनुयायी हैं। बाबा बंसी वाले खुद को मारवाड़ बताते थे और गृहस्थ जीवन भी उनका रहा है। इसी कारण उनके अनुयायी और भक्तों द्वारा बाबा का दाह संस्कार करने का निर्णय लिया गया।

मूलतः संत बाबा बंशी वाले पटना के रहने वाले थे। भक्त उनको सिर्फ बाबा बंशी वाले के ही नाम से जानते हैं। बाबा के बारे में बताया गया कि वह वैश्य वर्ग से थे। उनके यहां 25 साल से साथ रहने वाले मामचंद ने बताया कि बाबा का यही कहना था कि कोई भूखा ना रहे। इसी कारण बाबा बंशी वाले जब भी किसी जगह पर भागवत कथा कार्यक्रम को जाते थे तो उनके साथ भंडारा करने वाली पूरी टोली होती थी। भंडारा अनवरत चलता था। बाबा बंशी वाले ने हरिद्वार में मां अन्नपूर्णा धर्मशाला भी बनवाई, जो बहुमंजिला है और लिफ्ट भी लगी हैं। बाबा बंशी वाले कृष्ण भक्त थे। बताया जाता है कि 38 साल पूर्व वह यमुना नदी किनारे पर टहलते हुए कुटिया वाले बाबा को मिले थे। कृष्ण भक्त होने के कारण ही कुटिया वाले बाबा ने उन्हें बाबा बंशी वाले नाम दिया था। पश्चिम उत्तर प्रदेश में तमाम स्थानों पर उन्होंने भागवत कथा और यज्ञ व भंडारों का आयोजन किया। मुजफ्फरनगर में भी उन्होंने मंडी समिति परिसर में आयोजन किया।

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