undefined

भारत की पहली महिला फाइटर बनी बिजरोल की पूजा

मिक्सड मार्शल आर्ट में अपने मजबूत पंच का डंका बजवाने वाली देसी शेरनी पूजा तोमर का यूएफसी में हुआ चयन, छह साल की उम्र में पिता को खो देने के बाद परिवार को संभालने को किया संघर्ष, जैकी चैन की फिल्म देखकर सीखी फाइट।

भारत की पहली महिला फाइटर बनी बिजरोल की पूजा
X

मुजफ्फरनगर। चीन में संपन्न हुए एशियन गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन किया, इसमें बेटियों ने अपने हुनर से स्वर्णिम उपलब्धि हासिल की और मुजफ्फरनगर जनपद के ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी बेटियों की सफलता को आज पूरे विश्व में डंका बज रहा है। ऐसे में एक खिलाड़ी बेटी के हुनर के कारण मुजफ्फरनगर का नाम फिर से विश्व पटल पर चमका है। मिक्सड मार्शल आर्ट (एमएमएर् िके रिंग में अपने मजबूत पंच के कारण देसी शेरनी का रूतबा हासिल करने वाली जिले की बेटी पूजा तोमर ने अपने संघर्ष के सहारे आज यूएफसी में चयनित होकर देश को गौरवान्वित किया है। उसके घर परिवार के साथ ही गांव में भी अपनी बेटी की इस सफलता के लिए जश्न का माहौल है। अल्टीमेट फाइटिंग चैम्पियनशिप (यूएफसीर् िएक मिश्रित मार्शल आर्ट्स (एमएमए) प्रमोशन कंपनी है, जिसका मुख्यालय लास वेगास, नेवादा, संयुक्त राज्य अमेरिका में है।

बता दें कि पूजा तोमर जनपद के बुढ़ाना क्षेत्र के गांव बिजरोल के किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वो किसान नेता सत्यवीर तोमर की भतीजी हंै। पूजा जब छह साल की उम्र की थी तो दुर्भाग्यवश उसके सिर से पिता का साया उठ गया था। इसके बाद मां ने उसको पाला और किशोरावस्था में ही पूजा पर अपनी मां और बहनों को संभालने उनको सुरक्षित माहौल देने की जिम्मेदारी आ गई थी। ग्रामीण परिवेश में बिना बाप के पूजा ने अनेक चुनौतियों का सामना किया और जैकी चेन की फिल्मों को देखते देखते एक ऐसा करियर चुना जो पुरूष प्रधान समाज में किसी लड़की के लिए चुनना आसान नहीं रहता। बहनों और मां की सुरक्षा की धारणा ने पूजा को आज एमएमए (मिश्रित मार्शल आर्टर् िका बेस्ट फाइटर बना दिया है और इसी सफलता को अमेरिका ने भी सलाम किया है। अमेरिका में प्रचलित यूएफसी के लिए पूजा तोमर का चयन हुआ है। इसके साथ ही पूजा तोमर यूएफसी में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय महिला फाइटर बन गई। यह उपलब्धि हासिल कर पूजा ने भारत को गौरवान्वित किया है।

पूजा ने इस सफलता पर सोशल साइट फेसबुक पर भी पोस्ट किया है। दरअसल मेट्रिक्स फाइट नाइट (एमएफएनर् िबाॅलीवुड अभिनेता टाइगर श्राफ, कृष्णा श्राॅफ और आयशा श्राॅफ द्वारा आयोजित कराया जाता है। पूजा तोमर लगातार दो बार से एमएफएन चैम्पियन हैं। जुलाई 2023 में ही पूजा ने नोएडा इंडोर स्टेडियम में आयोजित हुए एमएफएन मुकाबले में अपनी रूसी प्रतिद्वंद्वी अनास्तासिया फेओफानोवा के खिलाफ जीत दर्ज करते हुए लगातार दूसरी बार अपने स्ट्रावेट खिताब का सफलतापूर्वक बचाव किया और चैम्पियनशिप जीती थी। पांच बार की नेशनल वुशु चैंपियन पूजा ने अपने शुरुआती दौर में कराटे और ताइक्वांडो की भी ट्रेनिंग ली। कई पदक भी जीते अब वह भारतीय मिश्रित मार्शल आर्ट में सबसे लोकप्रिय चेहरों में से एक बन चुकीं हैं। पिता को खोने के बाद पूजा अपनी दो बहनों और मां को सुरक्षा देने के लिए चिंतित रहती थीं। इसके लिए उसने लड़कों को पीटने के लिए गुरू सीखने शुरू करते हुए जैकी चेन की फिल्मों को देखा। यह जरूरत कब उसको सही दिशा देकर चैम्पियन बनने की राह पर ले आई उसको पता नहीं चला। इन जिम्मेदारियों ने भी पूजा को एक कठोर सेनानी बना दिया।

पूजा तोमर यह स्वीकार करने से कभी नहीं कतराती कि कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण उन्होंने एमएमए को चुना, न कि खेल के प्रति जिज्ञासा, रुचि या प्यार के कारण यह चुनाव किया गया। उनका मानना था कि एमएमए में टाॅप फाइटर में से एक बनने के लिए उनकी मानसिक दृढ़ता काम आई। पूजा ने यूएफसी में प्रवेश पाने वाली पहली भारतीय महिला फाइटर बनने पर खुशी जाहिर करते हुए अपनी पोस्ट में इसके लिए आयशा श्राॅफ और एमएफएन के प्रति आभार जताते हुए पूरा श्रेय दिया है। पूजा ने बताया कि सोमवार को उसने यूएफसी अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि आज का दिन इतिहास में एक ऐसा क्षण है, जहां यूपी के बुढ़ाना के एक गांव बिजरोल की एक युवा लड़की अपने सपने को हकीकत में बदल सकती है। क्योंकि अगर मैं यहां पहुंच सकता हूं तो हममें से कई लोग यहां पहुंच सकते हैं। एमएफएन स्ट्रावेट चैंपियन के रूप में, मैं आयशा, कृष्णा और पूरी एमएफएन टीम को इस सपने को हासिल करने में मदद करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। आपने मुझे चैंपियन बनाया, मैं आपको हमेशा अपने दिल में गर्व से याद रखूंगी। पूजा तोमर ने विश्वास दिलाया है कि यूएफसी में भी वो अपने प्रदर्शन को जारी रखकर देश को गौरव दिलाने का काम करेंगी।

मेरी मां सबसे बड़ी योद्धा हैः पूजा तोमर

मुजफ्फरनगर। भारत की पहली महिला फाइटर होने का रूतबा पाने में सफल जिले की बेटी पूजा तोमर को यो(ा बताये जाने पर उनका कहना है कि सबसे बड़ी योद्धा तो उनकी मां हैं, क्योंकि वह मेरे लिए विशाल परिवार के खिलाफ खड़ी हुई और मुझे एमएमए करने के लिए प्रेरित किया। जब पिता के खोने के कारण पूजा ने एमएफए को चुना तो परिवार के लोग विरोध में उतरे, लेकिन उनकी मां ने उसको प्रेरित किया और कहा था कि जा, तू फाइट कर, मैं परिवार को देख लूंगी। वह मेरे अंदर का जुनून देखती थी और जानती थी कि मैं यह कर सकती हूं। मेरे परिवार वाले कहते थे कि फाइटर बनीं तो मुझे शादी करने में परेशानी होगी, लेकिन उसे इसकी कोई चिंता नहीं थी। पूजा बताती हैं कि हम तीन बहनें हैं। मेरी एक बहन के पैर में समस्या थी और जब कोई उसे इसके लिए परेशान करता था या चिढ़ाता था, तो मुझे बहुत गुस्सा आता था। मैंने इसके लिए लड़कों को पीटना शुरू कर दिया था। मैं जैकी चैन अभिनीत फिल्में देखती थी और मुझे लगता था कि मैं उनके स्टंट से कुछ चीजें सीख सकती हूं और उन्हें इन लड़कों के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती हूं और फिर इसी प्रयास में धीरे-धीरे मैं मार्शल आर्ट की ओर बढ़ गई।

Next Story