भाकियू का नया फंडा-ट्रैक्टर लाओ और पद पाओ
किसान अधिकारी पदयात्रा में भीड़ की कमी के कारण हुआ एक्शन, जिला, तहसील और ब्लॉक कार्यकारिणी भंग
मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन ने संगठन के कार्यक्रमों में सकारात्मक सहयोग नहीं देने के कारण पदाधिकारियों पर एक्शन के मामले में एक और नया कदम उठाया है। भाज्जू कट आंदोलन के लिए शीर्ष नेतृत्व के द्वारा निकाली गई किसान अधिकार पदयात्रा में उम्मीद के अनुसार भीड़ नहीं जुटने की चर्चा के बीच यूनियन हाईकमान के आदेश के बाद मुजफ्फरनगर जनपद में संगठन की जिला, तहसील और ब्लॉक कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। इसके साथ ही भाकियू नेतृत्व ने अब यूनियन में पद पाने के लिए अपना ट्रैक्टर, अपने आदमी का नया फंडा लागू कर दिया है। यूनियन की किसी भी इकाई में पद के लिए आवेदन करने वाले से अब सबसे पहला सवाल यही होगा कि उसके साथ कितने आदमी हैं और उसके पास अपना ट्रैक्टर तथा ट्राली है या नहीं, जिसके पास ये दोनों शर्त पूरी करने का वजूद होगा वो ही पद पाने के लिए आवेदन करने का हकदार माना जायेगा।
भाकियू इन दिनों संगठन और दायित्व को लेकर बेहद गंभीर रुख अपनाये हुए है। 06 अक्टूबर को लखनऊ में महात्मा टिकैत की जयंती के अवसर पर आयोजित किसान मजदूर पंचायत में नहीं पहुंचने पर अनुशासन समिति का भंग कर दिया गया था। अब किसान अधिकारी पदयात्रा में पदाधिकारियों की शीर्ष नेतृत्व की उम्मीद पर खरा साबित नहीं होने पर मुजफ्फरनगर की जिला, तहसील और ब्लॉक कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग करने का निर्णय लिया गया है। दिल्ली से देहरादून को जोड़ने वाले इकोनामिक कारिडोर पर स्थित गांव भाज्जू में हाईवे पर कट की मांग को लेकर भाकियू लगातार धरना दे रही है। इस आंदोलन के प्रति किसानों और ग्रामीणों में जागरुकता पैदा करने तथा इसे बड़ा जनांदोलन बनाने के लिए यूनियन अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत और प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत के साथ ही युवा विंग के अध्यक्ष चौ. गौरव टिकैत 23 व 24 अक्टूबर को मंसूरपर से भाज्जू कट तक किसान अधिकार पदयात्रा पर निकले। इस दो दिन की पदयात्रा से सरकार को चेतावनी दी गई कि यदि कट नहीं मिला तो किसान कॉरीडोर से नहीं हटेंगे और आगे का निर्माण नहीं होने दिया जायेगा। इसमें सभी पदाधिकारियों को किसानों व ग्रामीणों की भीड़ के साथ शामिल होने का टारगेट दिया गया था, लेकिन पदयात्रा की संगठनात्मक समीक्षा में कई पदाधिकारियों की गंभीर लापरवाही उजागर होने के कारण शीर्ष नेतृत्व ने संगठन के प्रति उदासीनता पर सख्त कदम उठाया है। ऐसे लापरवाह पदाधिकारियों को संगठन से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए हाईकमान के निर्देश पर जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा ने जिला, तहसील और ब्लॉक की समस्त कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।
जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा ने बताया कि संगठन के कार्यक्रमों के प्रति कुछ पदाधिकारियों के द्वारा लगातार शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। किसान अधिकार पदयात्रा के दौरान भी कुछ पदाधिकारी तो घरों में ही सोते रहे और कुछ पदाधिकारी फोटो खिंचवाकर वापस घर लौट गये। इसको लेकर केन्द्रीय कार्यालय की ओर से सख्त नाराजगी व्यक्त की गयी है। हाईकमान के निर्देश पर जिले की जिला, तहसील और ब्लॉक कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है। नई कमेटियों का गठन करने के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य में पुनर्गठित होने वाली जिला, ब्लॉक व तहसील कार्यकारिणी में केवल वो यूनियन कार्यकर्ता ही पद के लिए आवेदन कर सकता है, जिस पर संगठन के कार्यक्रमों व धरना प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए स्वयं का ट्रैक्टरदृट्राली होने के साथ ही साथ कम से कम 15 लोगों की अपनी टीम ीाी हो। इसके साथ ही यह शर्त भी लागू की गई है कि भविष्य में पदों के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति के पास संगठन के कार्यक्रमों में रात्रि में रुकने का समय होना अनिवार्य है। ऐसा वजूद नहीं रखने वाले कार्यकर्ताओं को पद के लिए योग्य नहीं माना जायेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की भावनाओं के साथ खेल रही है। इकोनोमिक कारीडोर में गांव भाज्जू के पास कट की मांग किसानों की भावना से जुड़ी हैं। यहीं से किसानों की राजधानी सिसौली की ओर जाने वाला रास्ता निकलता है। सिसौली तक पहुंचने के लिए भाज्जू कट इसलिए भी जरूरी है कि किसान भवन में समय समय पर बड़े आयोजन होते रहते हैं। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से किसान और विदेशों से मेहमान भी पहुंचते हैं।