कोरोना के साइड इफेक्ट- नए वित्तीय वर्ष में भी बड़ी चुनौतियां
उत्तर प्रदेश में कोरोना ने अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह साफ कर दिया है कि नया वित्त वर्ष 2021- 22 भी गंभीर आर्थिक संकट का सामना करेगा
लखनऊ। कोरोनावायरस संक्रमण को लेकर डगमगााए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भले ही सरकार ने कहीं कदम उठाएं और उनका लाभ भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सामने आया हो लेकिन कोरोना संकट का साया अभी भी अपने साइड इफेक्ट सामने ला रहा है । आने वाला नया वित्तीय वर्ष भी कई बड़े आर्थिक संकटों से घिरा हो सकता है इन संकटों का मुकाबला करने के लिए राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार बड़ा कर्ज लेने की तैयारी कर चुकी हैै।
कोविड -19 महामारी का प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है । न सिर्फ चालू वित्त वर्ष 2020-21 का पूरा लेखाजोखा गड़बड़ाया है , बल्कि आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भी इसका साफ असर बना रहेगा । चुनाव पूर्व के बजट में इस कठिन परिस्थिति से निपटने और विकास योजनाओं के लिए पैसे का बंदोबस्त करने के लिए सरकार ने अधिक ऋण लेने का रास्ता अपनाया है । इस फार्मूले के जरिए सरकार ने पूंजीगत मद में 1.13 लाख करोड़ रुपये का बंदोबस्त कर लिया है । वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंध अधिनियम के अंतर्गत राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद ( जीएसडीपी ) का तीन प्रतिशत तक सीमित रखने की व्यवस्था रही है ।
सरकार ने 2020-21 के बजट अनुमानों में राजकोषीय घाटे का सकल राज्य घरेलू उत्पाद ( जीएसडीपी ) से अनुपात 2.97 प्रतिशत प्रस्तावित किया था । लेकिन , कोविड -19 महामारी के अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर की वजह से राजकोषीय घाटे का जीएसडीपी से अनुपात 4.17 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है। आगामी वित्त वर्ष में यह अनुपात 4.17 प्रतिशत पर ही बने रहने का अनुमान लगाया गया है । हालांकि इस विपरीत परिस्थिति को देखते हुए राजकोषीय घाटे का जीएसडीपी से अनुपात 4.5 प्रतिशत कर दिया गया है । 4.17 प्रतिशत इसके दायरे में है । अनुमान लगाया गया है कि आगे के वर्षों में यह अनुपात घटेगा और फिर तीन प्रतिशत के दायरे में आने की उम्मीद की जा रही है । इसी तरह , चालू वित्त वर्ष में जीएसडीपी का 9.3 प्रतिशत स्वयं का कर राजस्व मिलने का अनुमान लगाया गया था । पर , कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन की वजह से स्वयं का कर 6.4 प्रतिशत पर सिमटने की संभावना बन गई है । हालांकि वर्ष 2021-22 में इसके बढ़कर 8.66 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।
एक वर्ष में 94,977 करोड़ बढ़ेगा ऋणजाल राज्य की ऋणग्रस्तता पर भी कोविड का असर देख सकते हैं । चालू वित्त वर्ष के बजट में राज्य की ऋणग्रस्तता 5,16,184.45 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था । लेकिन , कोविड -19 में लॉकडाउन के असर के बाद यह 5,65,909.59 करोड़ पहुंचने की संभावना जताई गई है । इस तरह करीब 49,725 करोड़ रुपये ऋणग्रस्तता बढ़ी है । इसी तरह वर्ष 2021-22 में ऋणग्रस्तता बढ़कर 6,11,161.85 करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है । यह चालू वित्त वर्ष के मुख्य बजट से 94,977 करोड़ रुपये ज्यादा है । नए वित्त वर्ष में भरपूर अवसर पूंजीगत परिव्यय से अवस्थापना सुविधाओं व आधारभूत सेवाओं का सृजन होता है । प्रदेश सरकार ने 2020-21 के बजट में 81,209.49 करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च का अनुमान लगाया था । लेकिन , कोविड -19 के असर के बाद पुनरीक्षित आकलन में यह खर्च 68,253.17 करोड़ पर सिमट जाने का अनुमान है ।