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सावन के अंतिम सोमवार को शिवालयों में उमड़ी भक्तों की भीड़, अनोखे संयोग में मना रक्षाबंधन

सोमवार से शुरू हुए सावन माह का सोमवार के दिन ही हुआ समापन, रक्षाबंधन के साथ हुए अद्भुत संगम ने बढ़ाया त्यौहार का महत्व

सावन के अंतिम सोमवार को शिवालयों में उमड़ी भक्तों की भीड़, अनोखे संयोग में मना रक्षाबंधन
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मुजफ्फरनगर। सोमवार को एक अनोखे धार्मिक संयोग के साथ लोगों ने रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस दिन सावन को अंतिम सोमवार और सावन की समाप्ति के साथ ही रक्षाबंधन का पर्व भी होने के कारण इसका धार्मिक महत्व बढ़ जाने से लोगों में असीम उत्साह नजर आया। सवेरे नहा धोकर लोगों ने मंदिरों का रूख किया और भगवान भोलेनाथ का पूजन करते हुए जलाभिषेक किया। शिव मंदिरों में भगवान शिव शंकर का पंचामृत अभिषेक करते हुए महिलाओं ने रक्षा सूत्र भी बांधा और मंदिरों में भगवान शिव शंकर की राखियों से साज सज्जा सभी को आकर्षित कर रही थी। सावन के अंतिम सोमवार के मौके पर शहर के शिव मंदिरों में सुबह से भीड़ उमड़ी। रक्षाबंधन के साथ शुभ संयोग ने मंदिरों में रौनक बढ़ा दी थी। भगवान शिव का अभिषेक और पूजन करने के उपरांत भद्राकाल समाप्त होते ही बहनों ने अपने भाइयों का तिलक करते हुए उनको राखियां बांधी और भाइयों ने बहनों ने अनेकानेक उपहार भेंट कर इस पवित्र रिश्ते के उज्जवल प्रेम को प्रदर्शित किया।

सोमवार से सावन खत्म हो रहा है। सावन के अंतिम सोमवार पर भक्तों की भीड़ प्रमुख शिव मंदिरों में उमड़ी। इस बार का सुखद संयोग यह रहा कि सावन की शुरुआत भी सोमवार से हुई थी और महीने का समापन भी सोमवार को हुआ। रक्षाबंधन और सावन का सोमवार एक ही दिन पड़ने से यह सुखद संयोग भक्तों को काफी अच्छा लगा और इसका धार्मिक महत्व भी बढ़ गया। जनपद के शिव चौक स्थित शिव मूर्ति मंदिर पर सोमवार को भोर से ही भक्तों की भीड़ जमा हो गई थी। इसके अलावा सावन के अंतिम सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करने और पूजन के लिए शिवालयों एवं मंदिरों में भक्तों की यह लम्बी कतारें देर तक देखने को मिलीं। शहर के शिवालयों के साथ ही गांव देहात के मंदिरों में भी सुबह सवेरे ही लोगों ने भगवान शिव का पूजन और अभिषेक शुरू कर दिया था। इसके बाद रक्षाबंधन पर्व मनाने के लिए लोग तैयार हो गये।

सावन की पूर्णिमा इस वर्ष सोमवार के दिन आई है। इसी पूर्णिमा को धार्मिक संयोग के चलते सावन का आखिरी सोमवार भी आया। इस विशेष संयोग के अलावा रक्षाबंधन भी इसी दिन मनाया गया है। शिव मंदिरों में सावन का अंतिम सोमवार और रक्षाबंधन का यह धार्मिक संयोग खास तौर पर मनाया गया। भक्तों ने सोवमार को सुबह ही मंदिरों का रूख किया और भगवान भोलेनाथ का पूजन करते हुए भगवान शिव को महिलाओं ने रक्षा सूत्र बांधा गया। साथ ही शाम को महाआरती से पूर्व कई मंदिरों में भगवान भोलेनाथ का राखियों से श्रृंगार किया गया। सावन के आखिरी सोमवार को होने वाली महाआरती में भी शिव चौक पर भक्तों की भारी भीड़ रही। इसके साथ ही शहर और गांव देहात के शिवालयों में भी सवेरे से ही भक्तों की भीडत्र उमड़ी रही। लोगों ने सवेरे सवेरे सावन के अंतिम सोमवार को भगवान आशुतोष को जल चढ़ाया और इसके बाद रक्षाबंधन की तैयारियों में जुट गये। इस साल का संयोग भी अद्भुत रहने के कारण लोगों में इस त्यौहार को लेकर उत्साह और धार्मिक महत्व भी अधिक होने के कारण आकर्षण बना रहा। सोमवार को सावन माह की समाप्ति हुई और भद्राकाल समाप्त होने के बाद बहनों ने अपने अपने भाईयों की कलाईयों पर सुन्दर सुन्दर राखियों के रूप में अपना प्रेम बांधकर रक्षा का संकल्प लिया। भाइयों ने भी अपनी बहनों पर प्रेम की बौछार करते हुए उनको अनेकानेक उपहार भेंट किये।

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