MUZAFFARNAGAR-पालिका सीमा विस्तार में आए 11 गावों की सरकारी जमीन का गबन
नगरपालिका के सभासदों ने सीमा विस्तार में आए 11 गांवों की सरकारी जमीन का हस्तांतरण न होने पर उठाये सवाल
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् का सीमा विस्तार होने के करीब दो साल के बाद भी शहरी क्षेत्र में शामिल हुए 11 गांवों की सरकारी जमीन पालिका को नहीं मिल पाई है, जबकि सरकारी जमीन का काफी बड़ा भाग कब्जा लिया गया है। ऐसा ही कुछ आरोप लगाते हुए पालिका के सभासदों ने सरकारी भूमि को चिन्हित करते हुए जल्द से जल्द पालिका को हस्तांतरित कराये जाने की मांग कर जिलाधिकारी से इसके लिए जांच कमेटी का गठन करने की मांग की है। इन सभासदों को सीधा आरोप है कि पालिका के लैंड बैंक के रूप में मिलने वाली सरकारी जमीन का हस्तांतरण नहीं होने के कारण इस जमीन का गबन भू-माफियाओं द्वारा पटवारियों और ग्राम प्रधानों की आपसी मिलीभगत से किया जा रहा है। सभासदों की मांग पर जिलाधिकारी इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही कमेटी का गठन कर सीमा विस्तार वाले गांवों की सरकारी भूमि पालिका प्रशासन को हस्तांतरित कराये जाने का भरोसा दिलाया है।
नगरपालिका परिषद् के सभासद राजीव शर्मा और मनोज वर्मा के नेतृत्व में पालिका के अन्य सभासदों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी से मुलाकात की। सभासदों ने जिलाधिकारी को एक पत्र भी सौंपा और आरोप लगाया कि नगरपालिका परिषद् मुजफ्फरनगर का सीमा विस्तार करते हुए 11 गांवों बीबीपुर, अलमासपुर, शाहबुद्दीनपुर, कूकड़ा, सरवट, सहावली, सूजडू, वहलना, मीरापुर, मन्धेडा और खानजहांपुर को पालिका क्षेत्र में शामिल किया गया था। इसके साथ ही बिलासपुर, शेरनगर, मुस्तफाबाद और मुजफ्फरनगर गैर आबाद की कुछ भूमि भी पालिका क्षेत्र में शामिल की गई थी। इन गांवों में करीब 1.78 लाख आबादी पालिका क्षेत्र का हिस्सा बनी है। 29 सितम्बर 2022 को प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने इस सीमा विस्तार की अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद से आज तक इन गांवों की सम्पत्ति का शजरा, रिकार्ड रजिस्टर, परिवार रजिस्टर या अन्य कोई भी अभिलेख पालिका प्रशासन को तहसील प्रशासन की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया है। इससे पालिका को इन गांवों की सरकारी सम्पत्ति की कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। जबकि इस क्षेत्र में चकरोड, बंजर भूमि पालिका की सम्पत्ति सीमा विस्तार के साथ ही बन चुकी है। रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने के कारण इस सम्पत्ति की निग रानी में भी पालिका प्रशासन को मुश्किल पैदा हो रही है।
सभासद राजीव शर्मा ने कहा कि उनको जानकारी मिली है कि इन गांवों के निवर्तमान प्रधान एवं तहसील के अधिकारी और कर्मचारी मिलीभगत कर चुके हैं और यहां उपलब्ध सरकारी जमीन का गबन कराने में जुटे हैं। इस भूमि पर अवैध कब्जे हो रहे हैं और प्लाटिंग की जा रही है। कई कालोनियों में चकरोड की जमीन कब्जा ली गई है। सभासदों ने डीएम से इस मामले में एक कमेटी का गठन करते हुए जांच कराने और सीमा विस्तार में आये क्षेत्र की सरकारी सम्पत्ति का पूरा ब्यौरा तहसील प्रशासन से पालिका को उपलब्ध कराये जाने की मांग की है ताकि सरकार भूमि की निगरानी करने के साथ ही उस पर जनहित में परियोजनाओं का क्रियान्वयन कराया जा सके। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शत्रु सम्पत्ति भी काफी है, उसका भी चिन्हिकरण किया जाये। इसके साथ ही इस क्षेत्र में नहर विकास, वन विभाग और शत्रु सम्पत्ति पर किये गये अवैध कब्जों को हटवाने के लिए भी अभियान चलाने की मांग सभासदों ने की है।
सभासदों ने अपनी शिकायत में कहा कि सीमा विस्तार में मिली 11 गांवों की सरकारी सम्पत्तियों का हस्तांतरण कराये जाने के लिए पालिका प्रशासन के द्वारा कई बार तहसील प्रशासन के अधिकारियों से पत्राचार किया जा चुका है, लेकिन उनके द्वारा इस मामले में कोई भी सकारात्मक सहयोग प्रदान नहीं किया जा रहा है। सीमा विस्तार में आये क्षेत्र में जिनमें कई कालोनियों को विकसित किया जा चुका है, आशंका है कि इन कालोनियों में सरकारी भूमि पर भी अवैध कब्जा करते हुए प्लाटिंग करने का काम किया गया है। जांच होगी तो सारी हकीकत सामने आ जायेगी। डीएम अरविंद मल्लप्पा ने एसडीएम सदर निकिता शर्मा को इस प्रकरण में रिपोर्ट देने के लिए कहा है, इसके साथ ही उन्होंने सभासदों को आश्वासन दिया कि वो इस मामले में कमेटी का गठन करते हुए जांच कराकर सीमा विस्तार वाले क्षेत्र की सरकारी सम्पत्ति का चिन्हिकरण कराते हुए पालिका प्रशासन को जल्द हस्तांतरित कराये जाने का काम करेंगे। इस दौरान सभासद राजीव शर्मा, मनोज वर्मा, हनी पाल, शौकत अंसारी, प्रशांत गौतम, अन्नु कुरैशी, मौहम्मद खालिद, प्रियांक गुप्ता आदि मौजूद रहे।