ईओ प्रज्ञा सिंह की गाड़ी का अभी नहीं छूटा पीछा, सभासद ऊपर जाने को तैयार
सभासद राजीव शर्मा बोले-पूर्व में भी ईओ को गाड़ी देने के प्रस्तावों को शासन ने माना था अनियमितता
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में बोर्ड बैठक में ईओ को गाड़ी दिये जाने का प्रस्ताव भारी विरोध और हंगामे के बावजूद पारित हो जाने के बाद भी कुछ सभासदों में इसको लेकर नाराजगी बनी हुई है। इसका बैठक में मुखर विरोध करने वाले सभासद राजीव शर्मा का कहना है कि यह कार्य नियमों के विपरीत है, ऐसा मामला पहले भी पालिका में हुआ और शासन से उसको अनियमतता मानते हुए कार्यवाही की थी। उन्होंने कहा कि हम किसी भी कीमत पर चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के खिलाफ वित्तीय अनियमितता की साजिश को सफल नहीं होने देंगे। इसके खिलाफ हम ऊपर जाकर शिकायत करेंगे।
शनिवार को पालिका सभागार में हुई बोर्ड मीटिंग के दौरान ईओ डॉ. प्रज्ञा सिंह को विभागीय कार्यों के लिए दी गई बुलेरो गाड़ी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था। इसके लिए भुगतान का प्रस्ताव सदन में लाया गया, जिसका सभासद राजीव शर्मा ने मुखरता के साथ विरोध किया और इसको वित्तीय अनियमितता बताते हुए कहा कि पालिका अधिनियम में ईओ को पालिका खर्च पर गाड़ी देने का कोई भी नियम नहीं है। उन्होंने बताया कि पूर्व में कपिल देव अग्रवाल के बोर्ड में भी उनको गाड़ी देने का मामला अनियमितता माना गया और उनके अधिकार तक सीज हुए थे, साथ ही वर्ष 1998 में पालिका में विभागीय कार्यों के लिए किराये पर ली गई जीप को तत्कालीन ईओ आरसी श्रीवास्तव द्वारा अपने प्रयोग में लेने पर 1.47 लाख रुपये वार्षिक खर्च को अनियमितता मानते हुए कमिश्नर द्वारा रिकवरी के आदेश दिये गये थे।
उन्होंने कहा कि बोर्ड मीटिंग में भले ही प्रस्ताव सहमति से पारित हो गया, लेकिन यह नियम के अनुसार नहीं है। राजीव शर्मा ने कहा कि बोर्ड मीटिंग में जब उन्होंने अधिशासी अधिकारी प्रज्ञा सिंह से पूछा कि वह नगर पालिका अधिनियम की किस धारा और किस नियमावली के तहत पालिका खर्चे पर कार का इस्तेमाल कर रही हैं तो वह कोई उत्तर नहीं दे पाई। उन्होंने ईओ प्रज्ञा सिंह पर निजी स्वार्थ में पालिका के संसाधनों का उपयोग करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि वो चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप को वित्तीय अनियमितता में फंसाने की साजिश सफल नहीं होने देंगे और इस प्रस्ताव के खिलाफ वो शासन स्तर तक जाकर आवाज उठाएंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि पालिका के 9 कर्मचारियों को ईओ ने अपने आवास पर तैनात कराया है। इनका वेतन और भत्ते आदि पर पालिका को हर महीने चार लाख रुपए से अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं और अब ईओ ने अपने घर पर गार्ड भी रख लिया है जिसका वेतन भी पालिका से ही दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी पूछा कि जब किसी भी नगर वासी पर निर्धारित समय अवधि के भीतर मकान नामांतरण ने करने पर पेनल्टी का प्रावधान है तो फिर अधिशासी अधिकारी से जुर्माना क्यों नहीं वसूला जा रहा, जो नामांतरण की पत्रावली जान-बूझकर छः महीने तक लंबित रखे हुए हैं। सभासद राजीव शर्मा के आरोपों को लेकर ईओ प्रज्ञा सिंह ने कहा कि उनके यहां आने से पहले ही पालिका बोर्ड ने किराये पर गाड़ी लेने का प्रस्ताव पारित कर रखा है। जो नियमों के अनुसार है। उन्होंने निजी स्वार्थ में कोई दुरूपयोग नहीं किया है। सभी आरोप बेबुनियाद हैं। इस बैठक में भी सर्वसम्मति से गाड़ी किराये पर जारी रखने का प्रस्ताव पारित हुआ है। उन्होंने यही कहा कि यदि सदन गाड़ी नहीं लेना चाहता तो पहले पूर्व वाला प्रस्ताव खारिज कराया जाये।