किसान नेता धर्मेन्द्र मलिक ने उठाया प्रदूषण का मुद्दा
जिलाधिकारी को पत्र भेजकर देश के सबसे प्रदूशित शहरों में मुजफ्फरनगर के शामिल होने पर जताई चिंता, कहा-लोगों के स्वास्थ्य को बचाया जाये
मुजफ्फरनगर। दशहरा पर्व सम्पन्न होने के बाद से ही मुजफ्फरनगर की आब-ओ-हवा में जहर घुलता नजर आ रहा है। मुजफ्फरनगर लगातार देश और प्रदेश में सर्वाधिक शहरों की सूची में बना हुआ है। रिकॉर्ड तो यह भी बना कि देश में सबसे प्रदूषित शहर में मुजफ्फरनगर का नाम शामिल रहा। ऐसे में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने चिंता जाहिर करते हुए जिलाधिकारी को पत्र लिखकर लोगों के स्वास्थ्य को बचाने के लिए वायु प्रदूषण से निपटने के लिए त्वरित उपाय कराये जाने की मांग की है।
भाकियू अराजनैतिक के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने जिलाधिकारी उमेश मिश्रा को लिखे पत्र में कहा कि जनपद मुजफ्फरनगर में वायु प्रदूषण इतने खराब स्तर पर पहुंच गया है कि देश में सबसे प्रदूषित शहरों में जनपद मुजफ्फरनगर की गणना की गई है। यह जनपद वासियों के लिए चिंता का विषय है। कारपोरेट और उद्योगों द्वारा किए जा रहे कार्यों से वायु प्रदूषण के साथ-साथ जल प्रदूषण भी चरम सीमा पर है लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। हाल में ही जिस तरह से जनपद मुजफ्फरनगर में हवा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 346 रिकार्ड किया गया है, ऐसे में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को काफी खतरा है प्रदूषण से नाक, गले, सांस, फेफड़े, त्वचा और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा गहरा गया है और डायबिटीज के साथ ही सिर दर्द का कारण भी बन रहा है। जनपद के लघु एवं भारी उद्योगों में जिस तरह का कचरा प्रयोग किया जा रहा है, उसको लेकर जिला प्रदूषण विभाग ने आंख मूंद रखी है। स्वच्छ ईंधन का प्रयोग किसी भी उद्योग में नहीं किया जा रहा है। लघु उद्योगों में भारी उद्योग का प्लास्टिक कचरा ईंधन के रूप में प्रयोग हो रहा है, जिसका खुलेआम परिवहन होता है इस पर रोक लगाने के लिए आज तक कोई प्रयास नहीं किया गया है।
किसान नेता धर्मेन्द्र ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जनपद मुजफ्फरनगर में टायर जलाकर तेल निकालने वाली इकाई अभी कार्य कर रही हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर रही है। उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाली डस्ट एवं पानी से जनपद के लगभग 100 से अधिक गांव गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, जिसको लेकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण विभाग द्वारा तितावी मिल के खिलाफ भी अपने आदेश में टिप्पणी की गई है कि क्यों न फैक्ट्री का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाए, लेकिन इन सब के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं होती है। उन्होंने कहा कि देश में जनपद का नाम सबसे खराब प्रदूषण शहर की श्रेणी में दर्ज होना चिंता का विषय है। प्रशासनिक हीलाहवाली के कारण इसके खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा करना भी भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक की मजबूरी हो सकती है। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग करते हुए कहा कि मानव स्वास्थ्य को बचाने हेतु उद्योगों की निगरानी हेतु एक टीम का गठन किया जाए। कंस्ट्रक्शन के चल रहे कार्य को नियम कानून के तहत कराया जाए, शहरों में पानी के छिड़काव कराए जाएं और प्रदूषण फैलाने वाली सभी इकाइयों को तत्काल बंद कराया जाए। ऐसा नहीं होने पर संगठन के द्वारा एक बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी भी उनके द्वारा दी गई है।