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फीयरलैस शालू-कब्रिस्तान में खोदी कब्र, श्मशान में जलाई चिता

लावारिसों की वारिस बनी समाज सेवी कार्यकर्ता शालू ने शनिवार को किया दो लावारिस शवों का अंतिम संस्कार

फीयरलैस शालू-कब्रिस्तान में खोदी कब्र, श्मशान में जलाई चिता
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मुजफ्फरनगर। साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट के रूप में समाजसेवी संस्था चलाने वाली क्रांतिकारी शालू सैनी ने एक बार फिर से धार्मिक और सामाजिक बंदिशों को तोड़कर इंसानियत की मिसाल पेश करने का काम किया है। अपने काम के बदले वर्ल्ड रिकॉर्ड तक बना चुकी शालू को फीयरलैस वर्क के लिए कई रिकार्ड अपने नाम किये। शनिवार को एक बार फिर से शालू सैनी ने धर्म के ठेकेदारों को आईना दिखाते हुए जहां कब्रिस्तान पहुंचकर कब्र खोदी तो वहीं श्मशान पहुंचकर चिता जलाने का काम किया। लावारिसों की वारिस के रूप में देश और दुनिया में पहचान बनाने वाली शालू ने दो लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया। इनमें एक मृतक मुस्लिम धर्म से था तो दूसरे का धर्म सनातन था। दोनों को उनके धर्म की परम्परा के अनुसार शालू ने खुद इनकी वारिस बनने के बाद अंतिम संस्कार और सुपुर्दे खाक करने का काम किया।


हिन्दू धर्म हो या मजहब-ए-इस्लाम, इनको मानने वाले समाज में महिलाओं का श्मशान या कब्रिस्तान जाना प्रतिबंधित है। इस मिथक और बंदिश को तोड़कर क्रांतिकारी शालू सैनी ने समाज को आईना दिखाया तो वहीं इंसानियत की मिसाल भी पेश की। समाज में कई चुनौतियों का सामना करने वाली शालू सैनी को आज लावारिसों की वारिस के रूप में पहचान मिली है। हजारों लावारिस शवों को शालू ने वारिस बनकर अपना नाम दिया और उनका धार्मिक परम्परा के अनुसार वो लगातार अंतिम संस्कार करती आ रही हैं। क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा इस कार्य को अपना कर्तव्य समझकर किया गया और आज तक उसी तर्ज पर समाज सेवा करती आ रही हैं। शालू ने बताया कि वो सभी धर्माे के अनुसार विधि विधान से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती हैं। शनिवार को दो लावारिसों के शवों को अपना नाम देकर शालू ने विधि विधान से अंतिम संस्कार किया। बताया कि मृतकों में एक मुस्लिम धर्म से थे, उनके शव को कब्रिस्तान ले गई और सुपुर्दे खाक करने के लिए अपने हाथों से कब्र खोदी और शव को पूरी धार्मिक परम्परा को अपनाते हुए दफनाया गया। इसके साथ ही दूसरा शव हिंदू धर्म से सम्बंधित व्यक्ति का था। उसको श्मशान घाट ले जाकर चिता सजाकर अंतिम संस्कार किया गया।

शालू ने कहा कि भगवान ने मुझको समाज सेवा की एक बड़ी जिम्मेदारी दी है। समाज की चुनौतियों ने इस कसौटी पर खरा उतरने का जज्बा उसमें पैदा किया। कोरोना काल में एक हजार से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया। कहा कि खुद भगवान भेाले नाथ ने मुझको इस कार्य के लिए चुना हैं तो होंसला और हिम्मत भी वही दे रहा हैं। इस सेवा के लिए समाज का सहयोग भी उनको मिल रहा है। क्योंकि उनका खुद का इतना सामर्थ्य नहीं है, वो एकसिंगल मदर हैं और अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए सड़क पर ठेला लगाकर रोजी रोटी कमाने का काम करती हैं। शालू ने कहा कि उनकी सेवा में इच्छा अनुसार सहयोग करने वाले लोग उनको गूगल पे और फोन पे 8273189764 नम्बर पर कर सकते हैं। साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट के महासचिव राजू सैनी कहते हैं कि शालू ने अपने जीवन में कई संकटों का सामना किया है। वो ट्रस्ट के सहारे अनेक कार्यक्रम ऐसे कार्यक्रम चला रही हैं, जिनमें महिलाओं और बालिकाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबन बनने का अवसर मिल रहा है। इसके साथ ही बेसहारा बुजुर्गों के जीवन सुधार के लिए भी वो अक्सर वृद्धाश्रमों में जाकर सेवा करती रहती हैं।

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