2.31 करोड़ की ठगी: पुलिस को उलझाने के लिए ठगों ने बनाया 700 खातों का चक्रव्यूह
पहले चरण में कुछ खातों में रकम को पीड़ित से ट्रांसफर कराया जाता है। छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर ट्रांसफर किया जाता है।

कानपुर। कानपुर में पांडुनगर निवासी कपड़ा कारोबारी से हुई 2.31 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की जांच कर रही पुलिस के लिए जालसाजों तक पहुंचना टेढ़ी खीर बन गया है। कारण, अबतक की जांच में पता चला है कि ठगी का पूरा पैसा घुमाने के लिए ठगों ने 700 से ज्यादा बैंक खातों का चक्रव्यूह रचा। इसके तहत पहले 15 बैंक खातों में पैसा डलवाया गया। फिर इन खातों से अगल-अलग व कई बार में करीब 700 से ज्यादा खातों में पैसा आगे भेजा गया।
इसमें थर्ड लेयर के बैंक खातों की संख्या काफी ज्यादा है। पुलिस अभी इस थर्ड लेयर के खातों की जांच में जुटी है। अधिकारियों का मानना है कि खातों की संख्या और भी ज्यादा हो सकती है। उनका मानना है कि पुलिस की जांच को उलझाने व पेंचीदा बनाने के लिए ही बैंक खातों की लेयर तैयार कर पैसों को घुमाया गया है। फिलहाल पुलिस ठगों तक पहुंचने के लिए बैंक खातों के इस चक्रव्यूह को तोड़ने में जुटी है। बता दें, पांडुनगर निवासी व्यवसायी गौरव बजाज से गोल्ड में निवेश के नाम पर साइबर ठगों ने नवंबर 2024 से लेकर मार्च 2025 तक करीब चार माह में विभिन्न बैंक खातों में 2 करोड़, 31 लाख, 85 हजार, 76 रुपये ट्रांसफर कराए। इस दौरान ठगों ने उन्हें विश्वास में लेने के लिए 5.14 लाख रुपये वापस भी किए। वॉलेट में अच्छी खासी धनराशि एकत्रित हो जाने के बाद उन्होंने पैसा निकालना चाहा, लेकिन नहीं निकाल सके। इसके बाद उन्होंने साइबर सेल में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एडीसीपी क्राइम अंजलि विश्वकर्मा ने बताया कि अब तक सेकेंड और थर्ड लेयर के करीब 700 खातों में पैसा जाने की जानकारी हुई है। संभव है कि जांच को उलझाने के लिए ही ऐसा किया गया हो। संबंधित बैंक खातों से सभी की जानकारी जुटाई जा रही है। अधिकारियों के अनुसार पहले चरण में कुछ खातों में रकम को पीड़ित से ट्रांसफर कराया जाता है। इसके बाद हर खाते से आगे के कई खातों या वॉलेट में उस रकम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर ट्रांसफर किया जाता है। कई बार यह लेयरिंग चार से पांच बैंक खातों तक होती है। इस प्रक्रिया की वजह से न सिर्फ जांच लंबी होती है, बल्कि खातों से आगे के खाते मिलने पर पुलिस जांच को कई बार बीच में ही ड्रॉप कर देती है।