खाद, बीज और कृषि उपकरण से जीएसटी हटेः धर्मेन्द्र मलिक
भाकियू अराजनैतिक के प्रवक्ता ने वित्त मंत्री से मिलकर दिया ज्ञापन, रखी किसानों की बात
मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने शनिवार को दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई मीटिंग के दौरान किसानों से जुड़े मामलों को उठाया और इस दौरान उन्होंने ज्ञापन देकर कृषि कार्यों के प्रयोग होने वाले कृषि उपकरण, खाद, बीज, दवाई आदि को पूरी तरह से जीएसटी से मुक्त करने की मांग उठाई, जिस पर वित्त मंत्री ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का भरोसा दिया।
वित्त मंत्रालय द्वारा शनिवार को केन्द्रीय आम बजट से पूर्व कृषि पर परामर्श संवाद आयोजित किया, वित्त मंत्रालय के कमरा नम्बर 72 में आयोजित हुई बैठक में कृषि एवं कृषि उद्योग से जुड़े लगभग 19 लोगों ने भाग लिया। साथ में वित्त सचिव, कृषि सचिव भी इस संवाद में शामिल रहे। देश के किसानों एवं भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के प्रतिनिधि के तौर पर धर्मेन्द्र मलिक राष्ट्रीय प्रवक्ता ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने किसानों के अनेक मुद्दों को उठाते हुए बजट में किसानों के लिए कई राहत की मांग उठाई। साथ ही उन्होंने किसानों के लिए कई प्रमुख समस्याओं को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक ज्ञापन भी दिया। वित्त मंत्री ने किसानों की बात को गंभीरता से सुना एवं कृषि उपकरणों, खेती में काम आने वाले इनपुट को जीएसटी मुक्त करने, क्रेडिट कार्ड पर छूट के लिए सीमा बढ़ाने का आश्वासन भी दिया।
इस चर्चा के दौरान धर्मेन्द्र मलिक ने वित्त मंत्री को दिए गए ज्ञापन में कहा कि देश में आज भी निजी क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार कृषि क्षेत्र से है लेकिन यह क्षेत्र लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है, जिसके कारण किसानों की आत्महत्या हो रही है। पूर्व में आपके द्वारा वाणिज्य मंत्री रहते हुए कहा गया था कि व्यापार करने में आसानी हेतु हमने 7000 कदम लिए है, ऐसे में हमारा आपसे आग्रह है कि खेती करना आसान हो इसके लिए कम से कम 5000 छोटे बड़े कदम, जैसे समय पर खाद, बीज, दवाई, बिजली, मजदूर आदि का न मिलना, जलवायु परिवर्तन से आ रही चुनौतियां,फसलों की उत्पादन लागत में वृ(ि, भण्डारण, मंडियों का निर्माण आदि कदम उठाने की अत्यंत आवश्यकता है। बजट का भारत के किसानों को बदलावकारी नीति के लिए उसी तरह से इंतजार करते है जैसे मानसून का इंतजार करते हैं। पिछले तीन दशकों से नीतिगत सुधार की प्रक्रिया को गति मिले इसका इंतजार किसान कर रहे है।
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक द्वारा देशभर के किसानों की समस्याओं पर वित्त मंत्रालय को अपने सुझाव में कहा गया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत सी2 का डेढ़ गुना तय किया जाए। क्योकि ए2$एफएल और सी2 के बीच भी व्यापक अंतर है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की मौजूदा प्रणाली कृषि उपज की उत्पादन लागत को कवर करने में विफल है, इसलिए इसमें सुधार किया जाए। एमएसपी तय करते समय कटाई के बाद के कार्यों में खर्च और नुकसान जैसे सफाई में खर्च, ग्रेडिंग में खर्च, पैकेजिंग में खर्च, परिवहन में खर्च, सरकार द्वारा खुले बाजार में अपने कृषि उत्पाद बेचने से भाव गिरने का जोखिम, प्राकृतिक आपदा जोखिम, निर्यात प्रतिबन्ध के जोखिम व आयात-निर्यात के साथ ही इस तरह के सभी जोखिम को भी एमएसपी तय करते समय शामिल किया जाए। सभी मुख्य फसलों, मुख्य फल-सब्जी, दूध व शहद आदि को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में छोटे किसानों के लिए बीमा प्रीमियम शून्य होनी चाहिए, ताकि वे बीमा योजना का लाभ लें सके।