PALIKA-कूड़े के रेहडों पर भगवा रंग से हिन्दूवादी संगठन में आक्रोश
नगरपालिका परिषद् के द्वारा केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान की मौजूदगी में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 92 नये हाथ रेहडों का किया गया था लोकार्पण, शिवसेना नेता ललित मोहन शर्मा ने कहा सनातन धर्म का उपहास उड़ा रही नगरपालिका प्रशासन की ये बचकानी व्यवस्था, पालिका प्रशासन को अल्टीमेटम, रंग नहीं बदला तो शनिवार को होगा पालिका प्रशासन का घेराव
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् के द्वारा शहर के वार्डों की संकरी गलियों से कूड़ा-करकट उठाने के लिए सफाई कर्मचारियों को दिये गये नये हाथ रेहडों पर कराये गये रंग से व्यवस्था में भंग पड़ने लगा है। एक हिन्दूवादी संगठन ने कूड़ा और गन्दगी ढोने में लगाये गये इन रेहडों पर कराये गये रंग पर कड़ा ऐतराज जताते हुए इसे भगवा रंग बताते हुए सनातन संस्कृति का अपमान बताकर आंदोलन की चेतावनी दी है। संगठन की ओर से कहा गया है कि यह सीधे तौर पर हिन्दुओं को धार्मिक आधार पर अपमानित करने की सोची समझी साजिश है। संगठन ने पालिका प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि एक रंग न बदला गया तो शनिवार को पालिका प्रशासन का घेराव करते हुए कार्यकर्ता आंदोलन चलायेंगे। वहीं मामले में पालिका ईओ ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि रेहडों पर कराया गया रंग भगवा नहीं है और किसी पार्टी या धर्म के आधार पर रंग का चयन नहीं किया गया है। उन्होंने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग से भी रिपोर्ट मांगी है और ठेकेदार को भी तलब किया है। इसके साथ ही चेयरपर्सन को भी मामले से अवगत कराया गया है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लगने से पहले 8 मार्च को नगरपालिका परिषद् में विकास कार्यों के शिलान्यास व लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्य अतिथि केन्द्रीय राज्यमंत्री डाॅ. संजीव बालियान के साथ पालिका चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने 24 विकास कार्यों का शिलान्यास करने के साथ ही स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत शहर के मौहल्लों की संकरी गलियों से कूड़ा-करकट के निस्तारण के लिए 92 हाथ रेहडों का लोकार्पण करते हुए उनको सफाई कर्मचारियों को सौंपा गया था। इन रेहडों पर जो रंग कराया गया है, उसको लेकर अब बखेड़ा खड़ा हो गया है।
हिन्दूवादी संगठन क्रांति सेना के संस्थापक अध्यक्ष एवं शिवसेना के पश्चिम प्रदेश अध्यक्ष ललित मोहन शर्मा ने पालिका सफाई कर्मियों को मिले इन हाथ रेहडों के रंग पर कड़ा ऐतराज खड़ा करते हुए योगी सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाया और पालिका प्रशासन पर हिन्दुवादी विचारधारा के लोगों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने का काम करने का आरोप लगाते हुए इसके लिए आंदोलन की चेतावनी दी है। ललित मोहन शर्मा ने बताया कि उनको कुछ लोगों से जानकारी मिली कि पालिका के द्वारा सफाई कर्मियों को गलियों से गन्दगी उठाने के लिए जो नये रेहडे दिये गये हैं, उन पर भगवा रंग कराया गया है। भगवा रंग शौर्य और सनातन संस्कृति के मान-सम्मान का प्रतीक है। इसे साधु संतों के साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी धारण करते हैं, इसके बावजूद भी पालिका ने इस भगवा रंग का उपहास बनाकर रख दिया है।
शिवसेना अध्यक्ष ललित ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कथित रामराज्य में हिन्दुआंे को अपमानित करने की घटना थमने का नाम नहीं ले रही है। अब अपने ही जिले में गंदगी ढोने के लिए भगवा रंग वाले रेहड़ो के प्रयोग का यह मामला धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचा रहा है। शहर की सड़कों पर खुलेआम तमाम तरह की गंदगी ढो रहे भगवा रंग वाले रेहड़े सनातन धर्म का उपहास उड़ा रहे हैं। जनपद में भाजपा से दो मंत्री और चेयरमैन होने के बावजूद भी इस तरह की घटना पर कोई रोक नहीं लगाई गई और केन्द्रीय मंत्री की उपस्थिति में ही भगवा रंग वाले रेहडों का लोकार्पण और भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। उन्होंने कहा कि हमने इस मामले में चेयरपर्सन को शिकायत कर भगवा रंग वाले रेहडों को रोकने और उनका रंग बदलवाने की मांग की थी। यदि रंग न बदला गया तो शनिवा रको क्रांतिसेना और शिवसेना कार्यकर्ताओं के द्वारा पालिका पहुंचकर घेराव प्रदर्शन किया जायेगा। रंग बदलने तक आंदोलन करेंगे।
उन्होंने कहा कि रामराज्य लाने का दावा करने वालों के राज में इस कृत्य से हिन्दु वर्ग के लोग आहत हैं। ऐसे में भाजपा और अधिकांश हिन्दूवादी संगठनों की चुप्पी पर भी उन्होंने सवाल उठाया। पालिका के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. अतुल कुमार का कहना है कि रेहडों पर रंग किसी ने नहीं चुना है, वो रूटीन में जैसा पेंटर की समझ में आया, कर दिया। वो रंग भगवा नहीं है। 92 रेहडों की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार सुनील कर्णवाल ने बताया कि रंग के लिए कोई विशेष दिशा निर्देश नहीं थे। हमने रंग बदलने का काम भी शुरू करा दिया था, लेकिन दूसरा रंग तय नहीं होने के कारण इस काम को फिलहाल पालिका प्रशासन के आदेश पर रोक दिया गया है।
रंग पर असमंजस-हरा करायें तो भाकियू, नीला करायें तो दलित हो सकते हैं नाराज
मुजफ्फरनगर। हमारे जीवन में रंगों का काफी महत्व है, रंग हमारे मन मस्तिष्क पर भी प्रभाव छोड़ते हैं, रंगों का धार्मिक महत्व भी है, यही कारण है कि अक्सर रंगों के कारण शांति और कानून व्यवस्था में भंग पड़ता रहता है। रंग को लेकर ऐसे ही झगड़ों के लिए बनी नकारात्मकता के खिलाफ किसी ने कहा है कि जबसे इस दुनिया में रंग से धर्म की पहचान हो गई, संतरा हिन्दू और मौसमी मुलसमान हो गई। यह एक शेर रंगों के विवाद को छोड़कर इंसान बनने के लिए हमें सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर ले जाता है। रंगों का ऐसा ही कुछ झगड़ा पालिका में शुरू हुआ तो रेहडों पर रंग बदलने को लेकर ही असमजस की स्थिति उत्पन्न हो गई।
शिकायत हुई तो पालिका हरकत में आई और ठेकेदार से पालिका के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने रेहडों का रंग बदलने के लिए कह दिया। ठेकेदार पेंटर तक रेहडे लेकर पहुंचा और रंग बदलने की जद्दोजहद शुरू हुई। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो गया कि रंग कौन सा कराया जाये? यह सवाल पूरी तरह से यक्ष प्रश्न बन गया और किसी के पास इसका जवाब नहीं आया। तर्क दिया गया कि यदि हरा रंग करा दिया तो भाकियू और मुस्लिम, नीला कराया तो बसपा और दलित, पीला कराया तो सरकार में शामिल सुभासपा, सफेद कराया तो इसाई मिशनरी के लोग, काला करा दिया तो भगवान शनिदेव के भक्त, लाल करा दिया तो स समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के नाराज होने की आशंका है। जब जवाब नहीं मिला तो ईओ के आदेश पर रंग बदलने का काम फिलहाल ठेकेदार ने रोक दिया। अब ठेकेदार ने पालिका प्रशासन से इस सवाल का जवाब मांगा है, जवाब आने के बाद ही रंग बदला जायेगा।
किसी की भावना को आहत नहीं कियाः मीनाक्षी स्वरूप
मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् की चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप से कूड़ा हाथ रेहडों पर भगवा रंग के आरोपों को लेकर कहा कि इससे किसी की भावना आहत नहीं हुई है और यह रूटीन कार्य था, किसी ने यह रंग जानबूझकर नहीं चुना है। वैसे भी वो रंग भगवा नहीं है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और कोई न कोई रंग हमारे साथ जुड़ा हुआ है, ऐसे में किसी रंग से किसी की धार्मिक भावना आहत कैसे हो सकती है। उन्होंने कहा कि शिकायत मिलने पर हम उसका निस्तारण कराने का काम कर रहे हैं। पालिका प्रशासन पर लगाये गये आरोप गलत हैं, इसमें सकारात्मक सोच के साथ काम करने की आवश्यकता है। छोटी छोटी बातों को टारगेट करते हुए बिना वजह विवाद खड़ा करने के बजाये सभी मिलकर अपने शहर को सुन्दर और स्वच्छ बनाने के लिए एक जिम्मेदार नागरिक बनकर सहयोग करें तो हम प्रदेश में अव्वल हो सकते हैं।
ईओ बोलीं-किसी पार्टी या धर्म के आधार पर नहीं कराया रंग
मुजफ्फरनगर पालिका की ईओ प्रज्ञा सिंह ने कहा कि आचार संहिता से पहले 8 मार्च को इन हाथ रेहडों का लोकार्पण किया गया है। इसमें कोई राजनीतिक या धार्मिक आधार पर रंग का चयन शामिल नहीं था। रेहडों पर कराया गया कलर लाला आधारित गेरूआ है। किसी की भावना को आहत करने की कोई मंशा नहीं है, न ही किसी राजनीतिक दृष्टिकोण से रंग चुना गया। आरोप निराधार हैं। इस मामले में चेयरपर्सन को भी अवगत कराया गया है। अभी फिलहाल रंग बदलवाने की कोई आवश्यकता नहीं लगती है। आचार संहिता से पहले किसी ने इस पर ऐतराज नहीं किया। आचार संहिता लागू होने के बाद ही बिना वजह इसको मुद्दा बनाया जा रहा है। हमने फिर भी स्वास्थ्य विभाग से रंग को लेकर रिपोर्ट मांगी है। ठेकेदार को भी तलब करते हुए रंग का चुनाव करने को लेकर जानकारी ली गई है। इसमें कोई ऐसी बात सामने नहीं आई कि जानबूझकर या किसी के निर्देश पर यह रंग किया गया।