सतत चिकित्सा शिक्षा में आईएमए ने बताये कैंसर से बचाव के उपाय
रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी इन एंड स्टेज किडनी डिजीज एवं टार्गेटिंग कैंसर ऐट बेसिक स्टेप पर विशेषज्ञों ने उपचार व बचाव विषय पर दी जानकारी
मुजफ्फरनगर। सर्कुलर रोड स्थित आई एम ए भवन में एक सतत चिकित्सा शिक्षा ;सी॰एम॰ई॰द्ध कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. हेमन्त शर्मा व संचालन सचिव डा. यश अग्रवाल ने किया, जिसमें मेदांता हास्पिटल गुड़गाँव से पधारे गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. अभ्युदय सिंह राणा ने ऐंड स्टेज किडनी डिजीस में गुर्दा रिप्लेसमेंट थेरेपी व इसके महत्व के बारे में बताया।
इसके साथ ही कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. अंकुर नंदन वाष्र्णेय ने टार्गेटिंग कैंसर ऐट बेसिक स्टेप के ऊपर अपना व्याख्यान दिया। डा. राणा ने बताया कि सी के डी ;क्रानिक किडनी डिसीजद्ध यानी लंबे समय से चल रहा गुर्दे का रोग जिसके कारण गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं। गुर्दे खून से बेकार और नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों और अतिरिक्त तरल को छानते हैं। गुर्दों के काम बंद करने पर यह खराब पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं। अनियंत्रित डायबिटीज व उच्च रक्त चाप इसके मुख्य करको में हैं। बचाव के लिए इनको नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए नियमित डायलिसिस जो कि पेरीटोनियल डायलिसिस या हीमोडायलिसिस या फिर किडनी ट्रांस्प्लांट की जरूरत होती है। किडनी ट्रांसप्लांटेशन का मतलब एक जीवित या हाल ही में मृत व्यक्ति से स्वस्थ किडनी को निकालना है और फिर इसे खराब किडनी के अंतिम चरण से जूझ रहे व्यक्ति में स्थानांतरित करना है। नई किडनी को किसी मृत व्यक्ति या दान देने के इच्छुक जीवित स्वस्थ व्यक्ति के शरीर से निकाला जाता है। उन्होंने बताया कि कई स्टडी में देखा गया है कि किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले व्यक्ति डायलिसिस पर चल रहे मरीज से ज्यादा जीते हैं।
कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. अंकुर नंदन ने कैंसर के बारे में बताया कि उचित समय पर समुचित उपचार न हो तो ये जानलेवा बीमारी है किंतु यदि आरंभिक स्टेज में ही इसका पता चल जाये और उपचार हो जाये तो इससे आगे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। स्तन कैंसर, सर्विक्स ;ग्रीवा यानी बच्चे दानी का मुँहद्ध कैंसर, लंग कैंसर, कोलन कैंसर व प्रोस्टेट कैंसर मुख्य कैंसर हैं, जिनमे प्रथम दो स्त्रियों में व अंतिम केवल पुरुषों में होता है, बाकी लंग कैंसर व कोलन कैंसर स्त्री पुरुष दोनों में हो सकता है जो की यदि शुरुआत से ही सावधानी रखी जाये तो इनको आरंभिक स्टेज में ही डायग्नोज किया जा सकता है और इनके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है। सर्विक्स कैंसर से बचाव के लिए एक छोटी सी जाँच पैप स्मीयर से इसके बारे में बहुत ही शुरुआती स्टेज में पता लगाया जा सकता है और बचाव किया जा सकता है। आजकल इसके लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है जो की नौ वर्ष की उम्र से लेकर 30 वर्ष उम्र तक लगाया जा सकता है। बाद में प्रश्नोत्तर काल में विषय विशेषज्ञों ने उपस्थित चिकित्सकों की शंकाओं का समाधान भी किया ।
सभा में काफी संख्या में चिकित्सक उपस्थित थे जिसमें मुख्य रूप से कोषाध्यक्ष डा. ईश्वर चंद्रा, मीडिया प्रभारी डा. सुनील सिंघल, डा. अशोक कुमार, डा. आर एन गंगल, डा. प्रदीप कुमार, डा. डी एस मलिक, डा. डी पी सिंह, डा. अशोक शर्मा, डा. विनोद कुशवाहा, डा. के डी सिंह , डा. हरीश कुमार, डा. योगेन्द्र कुमार, डा. रिजवान अली, डा. रवींद्र जैन, डा. अविनाश रमानी, डा. सुनील चैधरी, डा. पंकज सिंह, डा. अभिषेक यादव, डा. तुषार गुप्ता, डा. अनिल राठी, डा. अजय सिंघल, डा. अरविंद सैनी, डा. सुजीत कुमार सिंह, डा. रूप किशोर गुप्ता, डा. पी के चाँद, डा. पंकज अग्रवाल, डा. रिजवान अली, डा. राजीव काम्बोज, डा. मनेष अग्रवाल, डा. अनिल कुमार, डा. विभोर कुशवाहा, डा. राजेश मारवाह, डा. करण मारवाह, डा. मनु गर्ग, डा. ललिता माहेश्वरी, डा. निशा मलिक, डा. पूजा चैधरी, डा. अनीता शर्मा आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे। अतुल कुमार का विशेष सहयोग रहा।