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इन्द्रमणि त्रिपाठी-पांच साल बाद भी दिखा वही जोश, मुजफ्फरनगर ने दिल खोलकर कहा-वेलकम

इन्द्रमणि त्रिपाठी-पांच साल बाद भी दिखा वही जोश, मुजफ्फरनगर ने दिल खोलकर कहा-वेलकम
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मुजफ्फरनगर। इन्द्रमणि त्रिपाठी.... इस एक नाम से मुजफ्फरनगर बखूबी पहचान रखता है। उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सेवा में अपनी जुझारू कार्यशैली के कारण एक अलग ही मुकाम हासिल करने वाले इस अधिकारी को पांच साल के बाद मुजफ्फरनगर ने फिर से दिल खोलकर वेलकम कहा। अपने प्रशासनिक जीवन के साढ़े चार साल मुजफ्फरनगर को देने वाले इन्द्रमणि त्रिपाठी आज पांच साल के बाद फिर से मुजफ्फरनगर में जनपदवासियों के हितों की चिंता करने के लिए अफसरों के साथ चिंतन और मनन करते हुए नजर आये, इस दौरान उनका जोश और कार्यशैली वही रही जिसके लिए मुजफ्फरनगर वासियों के दिल ओ दिमाग में वह आज तक बसे हुए हैं, उनके मुजफ्फरनगर में कामकाज को लेकर सामने आ रही इस नई तस्वीर में यदि कुछ बदला था तो उनका पद...जी हां! इन्द्रमणि त्रिपाठी आज मुजफ्फरनगर में शासन की ओर से नोडल अधिकारी बनाकर भेजे गये। उन्होंने पूरी तल्लीनता के साथ कोविड-19 को लेकर बैठक की, टीम-11 की भागदौड़ को समीक्षा करते हुए परखा तो सरकार की प्राथमिकता वाले कामकाज की प्रगति को लेकर भी वह दिशा निर्देश देते हुए दिखाई दिये।


आज शासन की ओर से उत्तर प्रदेश के नगर विकास विभाग के विशेष सचिव इन्द्रमणि त्रिपाठी मुजफ्फरनगर में समीक्षा करने के लिए पहुंचे थे। इस जनपद और यहां के माहौल से इन्द्रमणि त्रिपाठी का नाता पुराना रहा है। मुजफ्फरनगर में अपने प्रशासनिक जीवन की लम्बी पारी खेलने वाले इन्द्रमणि त्रिपाठी पांच साल के बाद मुजफ्फरनगर में एक अधिकारी के रूप में ही पहुंचे थे। इन पांच सालों में इन्द्रमणि त्रिपाठी जहां भी रहे, उनको मुजफ्फरनगर कभी भुला नहीं पाया। ऐसा ही कुछ जुड़ाव इस प्रशासनिक अफसर ने भी इस जिले से हमेशा ही बनाये रखा। अपनी कार्यशैली से मुजफ्फरनगर जनपद के हर खास ओ आम के बीच मजबूत छवि छोड़ने वाले इन्द्रमणि त्रिपाठी के नोडल अधिकारी के रूप में यहां पर आने की सूचना शुक्रवार शाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जारी हुई तो उनके यहां पर बिताये गये कार्यकाल को लेकर लोगों में चर्चा भी शुरू हो गई थी। कुछ लोगों ने फोन कर उनको मुजफ्फरनगर आने के लिए अपनी शुभकामनाएं दी और उनसे मुलाकात के बहाने भी तलाशने लगे। यह इस अधिकारी की यहां पर जनहितों को लेकर पेश की गई सकारात्मक कार्यशैली का ही असर माना जा सकता है कि लोग पांच साल के लम्बे समय के बाद भी उनको भुला नहीं पाये।

इन्द्रमणि त्रिपाठी 20 अपै्रल 2012 को शाहजहांपुर में डिप्टी कलेक्टर के पद से सिटी मजिस्ट्रेट के पद पर प्रोन्नत करते हुए मुजफ्फरनगर में तैनात किये गये थे। उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट के रूप में मुजफ्फरनगर में डीएम सुरेन्द्र सिंह के कार्यकाल में एक ऐसा अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया, जो यहां के डीएम रहे प्रभात कुमार के बाद सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहा। सिटी मजिस्ट्रेट इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बिना भेदभाव के तत्कालीन मंत्री चितरंजन स्वरूप की कोठी के बाहर से लेकर एक आम खोखे और ठेले वाले के अतिक्रमण से शहर की सड़कों, नाले और नालियों को मुक्त कराने का काम किया। एक बड़े चिकित्सक के नर्सिग होम के बाहर अतिक्रमण तोड़ने को लेकर उनके साथ हुई अभद्रता और इसके बाद इस चिकित्सक द्वारा डीएम के सामने ही उनके साथ खेद जताने का वाक्या भी आज तक लोगों के जहन में ताजा है। उनके इस अतिक्रमण हटाओ अभियान की निशानी शहर में दुकानों के बाहर नाले व नालियों पर लोहे के जाल के रूप में हम आज भी देख सकते हैं। इन्द्रमणि त्रिपाठी 8 मई 2013 तक मुजफ्फरनगर में सिटी मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात रहे।
इसी बीच शासन ने उनको प्रमोशन देकर मुजफ्फरनगर में ही अपर जिलाधिकारी बना दिया और उनको यहां पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन का कार्यभार सौंपा गया। 9 मई 2013 को इन्द्रमणि त्रिपाठी ने मुजफ्फरनगर में अपर जिलाधिकारी प्रशासन का पदभार संभाल लिया। इस पद पर रहते हुए उनके द्वारा अपनी विशेष कार्यशैली से लोगों के बीच एक अलग पहचान बनाई, जिसकी अमिट छाप आज भी तरोताजा है। इन्द्रमणि त्रिपाठी मुजफ्फरनगर में पीसीएस अधिकारी रहे अमरनाथ उपाध्याय के बाद सिटी मजिस्ट्रेट के पद से अपर जिलाधिकारी प्रशासन बनने वाले अधिकारी बने। इन्द्रमणि ने मुजफ्फरनगर में 28 महीने अपर जिलाधिकारी प्रशासन के पद पर कार्यकाल पूरा किया और इसके बाद शासन ने उनका तबादला सीडीओ के रूप में प्रमोशन के साथ मुजफ्फरनगर के पडौसी जनपद बिजनौर में कर दियां वहां 10 सितम्बर 2015 को उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया। बिजनौर में 29 महीने सीडीओ के पद पर रहने के बाद 23 मई 2018 को इन्द्रमणि को शासन ने लखनऊ नगर निगम में नगर आयुक्त बनाया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने लखनऊ को स्मार्ट सिटी और स्वच्छता के पैमाने पर निखारने का लगातार काम किया।
यहां का उनका कार्यकाल दूसरे अधिकारियों के साथ चली तनातनी के कारण काफी विवादों में रहा। इन्हीं विवादों के चलते इन्द्रमणि त्रिपाठी का शासन ने 15 अगस्त 2020 को विशेष सचिव नगर विकास विभाग के पद पर कर दिया। अब उनको मुजफ्फरनगर में नोडल अधिकारी बनाकर भेजा गया है। उन्होंने यहां आते ही कलेक्ट्रेट स्थित जिला पंचायत सभाकक्ष में बैठकों का दौर शुरू कर दिया। सबसे पहले उन्होंने डीएम सेल्वा कुमारी जे., सीएमओ डा. प्रवीण चोपडा, एडीएम प्रशासन अमित सिंह और अन्य अधिकारियों के साथ कोविड-19 को लेकर बैठक की और इसके बाद भी देर रात तक वह बैठकों में व्यस्त रहे।

मुजफ्फरनगर में मिला था नया नाम-'एडीएम दंगा'

एक मार्च 1974 को यूपी के आजमगढ़ जनपद में जन्मे 1998 बैच के पीसीएस अधिकारी इन्द्रमणि त्रिपाठी भी मुजफ्फरनगर जनपद में अपनी पोस्टिंग को कभी नहीं भूलते हैं। उन्होंने मुजफ्फरनगर में एडीएम प्रशासन का दायित्व निभाते हुए वो वीभत्स घटना भी देखी, जिसे देश और दुनिया के लोग मुजफ्फरनगर दंगा या कवाल कांड के रूप में देखते हैं। दंगों के दौरान उन्होंने संवेदनशीलता के साथ काम किया और पीड़ितों को सरकार की ओर से घोषित नौकरी तथा आर्थिक मदद दिलाने में व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों की मदद करते हुए नजर आये। मुजफ्फरनगर में इस साम्प्रदायिक विवाद में उनके द्वारा किये गये कार्यों को लेकर ही यहां के लोगों ने उनको एक नया नाम 'एडीएम-दंगा' दे दिया था, क्योंकि उस दौर में डीएम कौशल राज शर्मा के साथ मिलकर एडीएम प्रशासन का दायित्व निभा रहे इन्द्रमणि त्रिपाठी ने एक मजबूत स्तम्भ की तरह अपनी कार्यशैली को पेश किया था। कई लोगों को आज भी उनके द्वारा रातों रात गांवों में सुरक्षा के लिए फोर्स लेकर पहुंचना, दंगों के बाद पीड़ितों को मदद पहुंचाना भी याद है। इन्द्रमणि त्रिपाठी पीसीएस एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भी हैं। इसके साथ ही शासन द्वारा हाल ही उनको आईएएस कैडर में प्रमोट किया गया है। अब वह एक आईएएस अफसर के रूप में यूपी ब्यूरोक्रेसी में पहचान रखते हैं।
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