प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में धूमधाम से मनी जन्माष्टमी
मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 17 वीं पुण्यतिथि पर उनको याद करते हुए जयंती दीदी ने बताया कि दादी प्रकाशमणि निर्भयता की शक्ति से परिपूर्ण थी।
मुजफ्फरनगर। रविवार को बामनहेरी स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केशवपुरी सेवा केंद्र इंचार्ज राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने बताया कि श्री कृष्ण 16 कला संपूर्ण थे। श्री कृष्ण में शारीरिक आरोग्यता, सुंदरता, आत्मिक बल, पवित्रता तथा दिव्य गुणो की अत्यंत पराकाष्ठा थी। मनुष्य चोले में जो सर्वाेत्तम जन्म हो सकता है वह श्री कृष्ण का था। सतयुग से लेकर कलयुग के अन्त पर्यन्त अन्य कोई भी इतना महान न हुआ है तथा न ही हो सकता है।
बीके जयंती दीदी ने बताया कि आज ब्रह्माकुमारीज की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 17 वीं पुण्यतिथि भी है। दादी प्रकाशमणि जी को याद करते हुए जयंती दीदी ने बताया कि दादी प्रकाशमणि निर्भयता की शक्ति से परिपूर्ण थी वे अष्ट रत्न में आने वाली आत्मा थी। वह बड़े दिलवाली थी। तथा उन्हें प्रकृति से भी बहुत प्यार था। उन्होंने बताया कि दादी प्रकाशमणि का जीवन नारी के शक्ति स्वरूप की जीती जागती मिसाल था। उन्होंने अपने दिव्य कर्म और विराट सोच से यह साबित कर दिखाया कि यदि लक्ष्य पवित्र और महान हो तथा परमात्मा का साथ हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।
दादी प्रकाशमणि ने योग तपस्या पर चलते हुए न केवल अपना जीवन तपस्यामय बनाया बल्कि हजारों लोगों के लिए आदर्श मूर्त, उदाहरण मूर्त बनकर सभी के दिलों में ऐसी अमिट छाप छोड़ी है जिसे मिटा पाना कभी संभव नहीं होगा। कार्यक्रम में बीके विधि, रिया, राधिका, अनमोल कर्णवाल, शैलेश भाई, जीत सिंह तथा मीडिया प्रभारी बीके केतन कर्णवाल आदि उपस्थित रहे।