मंथरा ने कैकई को दी कपटी सीख और बिखर गया रघुकुल
पिता दशरथ के आदेश पर महल छोड़ सिया और लखन संग 14 साल के वनवास को अयोध्या से निकले प्रभु श्रीराम, श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेलनगर में श्री राम वनवास लीला का हुआ भावपूर्ण मंचन
मुजफ्फरनगर। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति के तत्वाधान में स्थानीय कलाकारों के द्वारा आयोजित किये जा रहे 49वें श्री रामलीला महोत्सव के छठे दिवस पर शनिवार की रात्रि भगवान श्री राम को अयोध्या से वनवास की लीला का सुंदर और भावपूर्ण मंचन किया गया। वनवास लीला के दौरान दासी मंथरा ने कैकई को ऐसी कपटी सीख दी कि कैकई की हट के कारण पूरा रघुकुल बिखर गया। इस लीला में राजा दशरथ का प्रभु श्री राम के मोह में व्याकुल होना सभी दर्शकों को भाव विभोर करने वाला साबित रहा।
श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेल नगर के द्वारा बीपी रात श्री रामलीला महोत्सव के अंतर्गत वनवास लीला का कलाकारों के द्वारा अपने जीवंत अभिनय से सुंदर प्रस्तुतिकरण किया गया। रामलीला महोत्सव में वनवास लीला का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए उद्योग पति मनीष कपूर मीनू पेपर और अनिमेष गुप्ता लोहे वालों ने भगवान श्री गणेश की आरती तथा दीप प्रज्वलित कर किया। पदाधिकारियों ने अतिथियों को पटका पहनाकर स्वागत किया तो मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं मिष्ठान देकर सम्मानित किया।
श्री रामलीला महोत्सव में गत रात्रि की लीला का शुभारंभ मिथिलापुर से भगवान श्री राम की बारात अयोध्या में प्रवेश करने के बाद महल में मां सीता के स्वागत और सत्कार के भव्य समारोह के साथ हुआ। भगवान श्री राम जनक जननी जानकी मां सीता को स्वयंवर में जीतने के उपरांत उन्हें दुल्हन के रूप में लेकर अयोध्या पहुंचते हैं तो चारों ओर हर्ष और उल्लास का माहौल नजर आता है। पूरी अयोध्या में मंगल गान होते हैं। अयोध्या में पूरी तरह से मंगल और आनंद छाया है और सभी को भगवान श्री राम की बारात देखने का मंगल अवसर प्राप्त होता है। माता कौशल्या अपने पुत्र और पुत्र वधू की आरती उतारती है। राजा दशरथ भी परिवार में छाए इस मंगल आनंद के कारण हर्षित नजर आते हैं।
इसके पश्चात देवासुर संग्राम लीला का मंचन भी रोमांचकारी रहा असुरों के हमले से राजा दशरथ के अपने रण कौशल के कारण जीवन को बचाने वाली महारानी कैकई को राजा दशरथ यु( स्थल पर ही दो वरदान मांगने के लिए कहते हैं लेकिन कैकई अपने इन दो वरदान को राजा दशरथ के पास धरोहर के रूप में शेष छोड़ देती हैं। बाद में जब राजा दशरथ गुरु वशिष्ट के साथ विचार विमर्श के उपरांत श्री राम के राज्याभिषेक का ऐलान अयोध्या में करवाते हैं तो दासी मंथरा रानी कैकेई को अपने कपटी विचारों से प्रभावित करते हुए गलत सीख देकर रघुकुल की खुशियों को ग्रहण लगा देती है। महारानी कैकेई राजा दशरथ से अपने दो धरोहर वरदान मांगती है। एक में अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का सिंहासन और दूसरे वरदान में प्रभु श्री राम को 14 वर्ष का वनवास। राजा दशरथ व्याकुल होते हैं। प्रभु श्री राम 14 वर्ष के वनवास को शहर से स्वीकार करते हैं और अयोध्या छोड़कर जाने लगते हैं तो उनके साथ माता सीता और उनके अनुज भ्राता लक्ष्मण भी मुनिवेश में अयोध्या छोड़कर वनों की ओर गमन कर जाते हैं। अयोध्या के महल में घनघोर अंधेरा छा जाता है। राजा दशरथ के अभिनय में रामलीला के निर्देशक पंकज शर्मा ने बहुत ही भावुक अभिनय किया। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति के रामलीला समिति के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक सभासद विकल्प जैन, अध्यक्ष गोपाल चौधरी, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, धर्मेंद्र पंवार नीटू, पंकज शर्मा, निर्देशक अमित शर्मा, गोविंद शर्मा, नारायण ऐरन के अलावा ज्योति ऐरन, मीना ऐरन, कन्दर्प ऐरन, जितेंद्र नामदेव, विनय गुप्ता टिंकू, पीयूष शर्मा, राकेश बंसल, अनिल गोयल, राकेश मित्तल, अंकुश गुप्ता, विपुल मोहन, अज्जू जैन, आकाश गोयल, गौरव मित्तल, अनुराग अग्रवाल एडवोकेट आदि मौजूद रहे।