धोखाधड़ी में फंसे मुजफ्फरनगर के चकबंदी अधिकारी राकेश सागर
किसान के चक्र को लेकर चल रहे प्रकरण का निपटारा करने के लिए मांगी 2 लाख की रिश्वत, कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज
मुजफ्फरनगर। बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी और उनका स्टाफ भ्रष्टाचार तथा धोखाधड़ी करने के मामले में फंस गया है। एक किसान के खेतों की चकबंदी में दायर अपील के निपटारे में किसान से उसके पक्ष में फैसला देने के नाम पर दो लाख रुपये की रिश्वत मांगी गयी और नहीं देने पर कूटरचित दस्तावेज कुछ अधिवक्ताओं के सहारे तैयार कराकर विपक्षी के पक्ष में फैसला कर दिया गया। इसको लेकर पीड़ित किसान अफसरों और सरकार से निराश होकर कोर्ट पहुंचा, अब कोर्ट ने किसान की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश किये, तब कहीं जाकर पुलिस ने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, चकबंदी लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, अहलमद सहित पांच के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जांच प्रारम्भ की है। इसमें एक महिला अधिवक्ता और एक अन्य वकील पर अधिकारी व लेखपाल के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप हैं।
मामला सदर तहसील के गांव सादपुर का है। गांव निवासी किसान जाहिद पुत्र यूसुफदीन की तहरीर पर कोर्ट के आदेश के तहत थाना सिविल लाइन पुलिस ने ये मुकदमा दर्ज किया है। 30 वर्षीय किसान जाहिद का कहना गांव सादपुर में स्थित उसके चक के सम्बंध में अपील संख्या 34 को तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी राजेश कुमार देवरार द्वारा 02 जुलाई 2018 को निर्णीत कर दी गई थी। इसके बाद गलत तथ्यों के आधार पर अफजाल व मौहब्बत अली पुत्रगण नसरूद्दीन, फरजूली पत्नी नसरूद्दीन और खातून पुत्र मलखान निवासीगण गांव सादपुर द्वारा 2020 में बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के न्यायालय में अपील दायर कर दी। इसकी सुनवाई बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी राकेश कुमार सागर द्वारा की गई। आरोप है कि सुनवाई के दौरान ही अधिकारी ने अपने कोर्ट व चकबंदी स्टाफ और अन्य लोगों के साथ मिलकर उसका मानसिक उत्पीड़न किया। इनमें कुछ अधिवक्ता भी शामिल हैं। ये लोग गलत तरीके से पैसा वसूलने के बाद ही कार्य करते हैं और कूटरचित दस्तावेज भी तैयार करते हैं।
जाहिद ने शिकायत में बताया कि 06 मार्च 2023 को एसओसी के न्यायालय में उसकी अपील संख्या 34 जाहिद बनाम इलमअली आदि विचाराधीन थी। इसमें बहस की अगली तिथि 20 मार्च 2023 तय की गई थी। 20 मार्च को जाहिद ने बहस के लिए अपना अधिवक्ता तय कर उसका वकालतनामा दाखिल किया था। आरोप है कि इसी बीच सादपुर के चकबंदी लेखपाल अनिल कुमार और राजस्व निरीक्षक मुकेश कुमार ने उसको बुलाकर कहा कि शाम के समय एसओसी राकेश सागर के आवास पर मिलने जाना है। जाहिद ने मना किया और वहीं पर बात बताने के लिए कहा तो दोनों ने उसको वहीं कोर्ट में शाम चार बजे एसओसी के कक्ष में उनसे मुलाकात कराई। आरोप है कि यहां पर बातों ही बातों में एसओसी द्वारा अपील के निपटारे और फैसला हक में देने की बात कहते हुए दो लाख रुपये की रिश्वत मांगी गयी। इसमें लेखपाल अनिल कुमार, राजस्व निरीक्षक मुकेश कुमार ने भी इसमें अपने अधिकारी का साथ दिया।
जाहिद का कहना है कि 20 मार्च को सुनवाई और बहस की तिथि होने पर भी उनके अधिवक्ता के मांगने पर अहलमद राकेश गिरी ने पत्रावली नहीं दिखाई। दो दिन बाद 22 मार्च को पत्रावली पर निर्णय या तिथि की जानकारी उनके वकील ने की तो अगले दिन बुलाया गया। जब 23 मार्च को पत्रावली वकील को मिली तो पता चला कि इसमें एसओसी ने 20 मार्च को ही निर्णय कर दिया है। जाहिद का आरोप है कि इसमें एसओसी राकेश सागर ने लेखपाल अनिल कुमार, राजस्व निरीक्षक, अहलमद राकेश गिरी, एक महिला वकील और एक अन्य अधिवक्ता के साथ मिलकर कुटरचित दस्तावेज तैयार कराकर 18 मार्च को पत्रावली पर शामिल मिसल दर्शाते हुए निर्णय दे दिया है, आरोप है कि 06 मार्च की सुनवाई के बाद पत्रावली में 20 मार्च की तिथि नियत थी, 18 मार्च को सुनवाई नहीं हो सकती। वैसे भी 18 मार्च का दिन एसओसी राकेश सागर का यहां नहीं है, क्योंकि उन पर दो अन्य जिलों का भी चार्ज है। इसके बावजूद बिना कार्यदिवस के ही एसओसी राकेश सागर ने पत्रावली पर 18 मार्च को शामिल मिसल दर्शा दिया और 20 मार्च को इसी कूटरचित दस्तावेज के आधार पर निर्णय उनके विपक्षी अफजाल आदि के पक्ष में कर दिया गया।
जाहिद ने बताया कि इस सम्बंध में पत्रावली में भी जालसाजी की गई और एक महिला अधिवक्ता को विपक्षी का वकील दर्शाने के लिए फर्जी तरीके से बैक डेट में साइन और मोहर कराई गई। इसके लिए विपक्षी के अधिवक्ता और महिला अधिवक्ता को एसओसी ने अपने न्यायालय बुलाया था। इसमें 05 अपै्रल की सीसीटीवी फुटेज बड़ा साक्ष्य हो सकती है। जाहिद ने इसके लिए 25 मई 2023 को एसएसपी और दो बार मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत की, लेकिन कोई भी कार्यवाही नहीं होने के बाद जाहिद द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-2 जनपद मेरठ के यहां पर अपना प्रार्थना पत्र दायर किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने सभी आरोपियों के खिलाफ पुलिस को एफआईआर दर्ज करते हुए कार्यवाही करने के निर्देश दिये। सिविल लाइन थाना प्रभारी इंस्पेक्टर आशुतोष कुमार ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी राकेश सागर सहित पांच लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के अन्तर्गत मुकदमा कायम कर दिया गया है। मामले की विवेचना सीओ सिटी को सौंपी गई है।
पश्चिम बंगाल में तैनात था जवान, पत्रावली पर करा लिये फर्जी साइन
मुजफ्फरनगर। गांव सादपुर के किसान जाहिद द्वारा लगाये गये आरोपों में कई गंभीर आरोप भी शामिल हैं। किसान का कहना है कि 18 मार्च को उसकी अपील केस पत्रावली में जो शामिल मिसल एसओसी राकेश सागर ने दर्शाया है, उसमें दस्तावेज समझौता में 10-12 लोगों के हस्ताक्षर ओर अंगूठा साइन दर्शाये गये हैं। इसमें सीमा सुरक्षा बल में सैनिक साजिद पुत्र लियाकत अली के साइन भी शामिल हैं, जबकि 18 मार्च को साजिद पश्चिम बंगाल में अपनी ड्यूटी पर तैनात था। इसी प्रकार शेरजान पुत्र कुतबूदीन निवासी सादरपुर के फोटो और उसके हस्ताक्षर को कूटरचित तरीके से पत्रावली में अंकित कराया गया। शेरदीन अनपढ़ व्यक्ति है और हस्ताक्षर नहीं कर सकता, क्योंकि उप संचालक चकबंदी के न्यायालय में दायर निगरानी संख्या 84 के निर्णय में शेरजान द्वारा दायर समझौता पत्र में उसके द्वारा अंगूठा लगाया गया है।
जाहिद का आरोप है कि महिला अधिवक्ता द्वारा लेखपाल अनिल कुमार, राजस्व निरीक्षक मुकेश कुमार और अहलमद रमेश गिरी के साथ मिलकर यह फर्जीवाडा किया गया है। ये अधिवक्ता पहले भी ऐसे कार्य कर चुकी है। जाहिद के अनुसार 2018 में थाना कोतवाली में एफआईआर नम्बर 768 इसने दर्ज कराकर अपने यौन शोषण का आरोप अफजल व उसके पुत्र अफसरून पर लगाया था। पोक्सो कोर्ट नम्बर 2 में सत्र परीक्षण के तहत इसमें 20 मार्च 2023 को निर्णय हुआ। झूठा साक्ष्य देने पर महिला अधिवक्ता के खिलाफ कोर्ट ने 344 सीआरपीसी में दाण्डिक विधिक वाद दायर कराया है। इतना ही नहीं यह उसके विपक्षी की ओर से एसओसी कोर्ट में अधिवक्ता भी नामित नहीं रही। इसके लिए एक अपै्रल 2023 को जाहिद ने अहलमद रमेश गिरी को नकल जारी करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन चार दिनों तक वो लटकाता रहा और अंत में नकल जारी करने से इंकार कर दिया। जब जाहिद के अधिवक्ता ने दबाव बनाया, आरोप है कि रमेश गिरी ने पांच अपै्रल 2023 को रमेश गिरी ने महिला अधिवक्ता और विपक्षी अफजाल आदि के अधिवक्ता को एसओसी कोर्ट में बुलाया और 20 मार्च को निर्णीत हुई पत्रावली में जालसाजी करते हुए वकालतनामे पर महिला अधिवक्ता के हस्ताक्षर और मोहर लगवाई गई। आरोप है कि फैसले में जालसाजी और धोखाधड़ी होने के तथ्य एकत्र हो जाने के बाद जब जाहिद एसओसी राकेश सागर से मिला तो उन्होंने उसको अपशब्द कहकर अपमानित किया।