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MUZAFFARNAGAR--या हुसैन की गमगीन सदाओं के बीच मना मोहर्रम

या हुसैन की गमजदा सदाओं के बीच सोगवारों ने की सीनाजनी, शोहदाए करबला की याद में बहाए आंसू, शिव चैक पर जुलूस के दौरान तैनात रही भारी पुलिस फोर्स, सादात हाॅस्टल में ताजिये हुए सुपुर्द ए खाक

MUZAFFARNAGAR--या हुसैन की गमगीन सदाओं के बीच मना मोहर्रम
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मुजफ्फरनगर। करबला में इमाम हुसैन अलै. और उनके जांनिसारों की शहादत के गम के साथ आज यौमे आशूरा पर शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में मोहर्रम मनाया गया। शांतिपूर्ण तरीके से ताजिया निकाले गये। इस अवसर पर सोगवारों के द्वारा शहर में निकाले गये जुलजुना जूलूस को लेकर कुछ गरमाहट भरा माहौल रहा, लेकिन बारिश के कारण ठंडे मौसम में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मोहर्रम में हिन्दूवादी संगठनों के प्रदर्शन और कई दिनों से चल रहे तनाव को देखते हुए जिला प्रशासन अलर्ट रहा। जुलूस के आने से पहले ही शिव चैक पर भारी पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया गया था। यहां पर जुलूस को ज्यादा देर नहीं ठहराया गया और सोगवारों ने सीनाजनी करते हुए ताजियों को सादात हाॅस्टल में ले जाकर सुपुर्द ए खाक करते हुए शोहदाए करबला को याद कर जमकर आंसू बहाए।


यौमे आशूरा के मौके पर शहर में मजलिसों का सिलसिला शनिवार को सवेरे ही शुरु हो गया। जगह-जगह जिक्र-ए-हुसैन किया। इस दौरान अजादारों की आंखें नम हो गईं। इमाम बारगाहों में मजलिसों का ऐहतेमाम हुआ, जिनमें इमाम हुसैन अलै. और उनके साथियों की कुर्बानियों को याद किया गया। मौलाना ने तकरीर में कहा कि इमाम हुसैन अलै. ने अपने नाना के दीन की खातिर अपने 72 जांनिसारों के साथ करबला में यजीद के लश्कर का मुकाबला करते हुए शहादत दी। सच का साथ दिया। जान न्यौछावर कर दी, लेकिन जुल्म के आगे सिर नहीं झुकाया। इमाम बारगाहों पर अजादारों ने जंजीरों और छुरियों का मातम किया, जिसमें कई अजादार लहूलुहान हो गए। उन्होंने नोहाख्वानी और मातम कर शहीद-ए-कर्बला को खिराज-ए-अकीदत पेश की। बीच-बीच में नार-ए-तकबीर और या हुसैन या हुसैन के नारों की सदाएं गूंज रही थीं। इस मौके पर बड़े-बड़े ताजिए बनाकर जुलूस ए जुलजुना में लाये गये। यौमे आशूरा पर लोगों ने रोजे रखने के साथ ही नफिल नमाजें अदा की। घरों में न्याज फातिहा की। जगह-जगह सबील लगाए गए। नोहाख्वानी व सीनाजनी करते हुए शिया सोगवारों ने नवासाए रसूल हजरत इमाम हुसैन की याद में आंसू बहाए।


10 मोहर्रम 1445 हिजरी यानी रोजा ए आशूरा के दिन शनिवार को मोहर्रम का जुलूस नगर में कदीमी रास्तों से होकर गुजरा, जिसमें हजारों सोगवारों ने शिरकत कर शोहदाए करबला को सीनाजनी और नोहख्वानी करते हुए खिराज-ए-अकीदत पेश की। जुलूस में या हुसैन या हुसैन की सदाओं के साथ मातम करते हुए शिया सोगवार आगे बढ़े। इमाम बारगाह में मौलाना ने बयान करते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने मैदान ए करबला में अपनी और अपने जां निसारों की बेशुमार कुर्बानियां पेश कर अपने नाना के दीन को बचा लिया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने यजीद की बेयत न कर बता दिया कि हक के लिए शहादत भी दी जा सकती है। उन्होंने हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी का पसे मंजर पेश किया। यह जुलजुना मोहर्रम जुलूस शहर में इमाम बारगाह अबुपुरा होते हुए नदीवाला, खादरवाला पर आया। दूसरा जुलूस मोती महल, गढीगोरवान, नियाजुपुरा, मिमलाना रोड़, मल्हुपुरा, कटेहरा सैयादान होते हुए पुराने रास्ते से आगे बढ़ा। शिया सोगवार जंजीरों तथा कमा का मातम करते व नोहाख्वानी करते आगे बढ़े। जुलूस से पहले ही शिव चैक पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया था। यहां पर हिन्दूवादी संगठनों के द्वारा मोहर्रम के दौरान शिव मूर्ति पर खूनी मातम नहीं होने देने की मांग करते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया गया था। इसके बाद से ही मोहर्रम के जुलूस को लेकर तनाव का माहौल बना हुआ था, हालांकि जिले के पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के द्वारा इस गरमाहट के बीच गजब का हौंसला और सूझबूझ दिखाते हुए सभी को समझाकर आम सहमति बनाने में सफलता पाई गई और आज शांतिपूर्ण तरीके से मोहर्रम का जुलूस सम्पन्न हुआ।

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