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मन की पवित्रता से मिलता है अच्छे कर्म का फलः नयन सागर

राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल भी प्रवचन सुनकर जागृतिकारी संत का लिया आशीर्वाद

मन की पवित्रता से मिलता है अच्छे कर्म का फलः नयन सागर
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मुजफ्फरनगर। जैन मुनि आचार्य श्री 108 नयन सागर महाराज ने कहा कि हम अच्छे कर्म करते हैं, लेकिन उनका फल नहीं मिलता, हम मंदिरों में आकर पूजा करते हैं, गुरूओं का दर्शन कर उनका आदर सत्कार करते हैं, लेकिन फल नहीं मिलता, परेशान रहते हैं। अच्छे कर्म का, पूजा अर्चना, गुरूओं के सानिध्य का फल तभी प्राप्त होता है, जब हम अपने मन को भी पवित्रता के बंधनों में बांध लेते हैं। इसलिए मानव को सबसे पहले अपना मन पवित्र करना चाहिए, उसके बाद वो जो भी अच्छे कर्म करेगा, दान पुण्य करेगा, उसका सार्थक और सकारात्मक फल उसको अवश्य प्राप्त होगा। उन्होंने अपने प्रवचनों में मंदिरों में कुछ लोगों के द्वारा पूजा पाठ और धार्मिक क्रियाओं व आयोजनों में अनावश्यक हस्तक्षेप को धर्म की हानि के रूप में पेश करते हुए कहा कि हमें केवल कर्म करने पर ही ध्यान देना चाहिए।


तपोनिधि जागृतिकारी संत आचार्य नयन सागर मुनिराज 21 जून से श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर मुनीम कालोनी में विराजमान हैं। गुरूवार के सानिध्य में प्रतिदिन मंदिर श्री में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। सवेरे श्री जी का अभिषेक होने के उपरांत आचार्य नयन सागर मुनिराज ने मंदिर श्री में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को मंगल प्रवचन दिए और धर्म के रास्ते पर आने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान प्रदेश सरकार में व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल भी मंदिर पहुंचे और आचार्य नयन सागर का दर्शन कर उनको नमन करते हुए मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने मंत्री कपिल देव का माला और पटका पहनाकर स्वागत व सम्मान किया।


अपने मंगल प्रवचन में आचार्य नयन सागर मुनिराज ने कहा कि ज्ञान होने के साथ ही हमें सच्ची श्र(ा भी रखनी होगी, तभी हम सफल हो पायेंगे। एक व्यक्ति बीमार है, उसको दवाईयों का खूब ज्ञान है, लेकिन दवाई खाता नहीं है, दूसरा व्यक्ति दवाईयों से अज्ञानी है, बीमारी में वो दवाईयों पर श्र(ा रखकर उनका सेवन करता है, ठीक हो जाता है। इसी प्रकार हमें ग्रन्थ पढ़ने भर से फल नहीं मिलेगा, उन ग्रन्थों के प्रति हमारी श्र(ा कैसी है, इसी आधार पर हम लाभ प्राप्त करते हैं। हम पूजा के लिए मंदिर जाते हैं, लेकिन चाहते यह हैं कि वहां पर धर्म-कर्म का कार्य हमारी इच्छा के अनुसार हो, हमारे हस्तक्षेप से हो, तो हम क्या फल पायेंगे। मोह-माया यही रह जायेगा, सिकन्दर दुनिया को जीतकर भी खाली हाथ चला गया। दूसरों को बदलने के भ्रम में जीना छोड़कर खुद अपने आपको बदलो तो जीवन में मुधरता आयेगी। शांति होगी। मन को पवित्र बनाना जरूरी है। इसके लिए गुरू पर सच्ची श्र(ा रखना होगा। अपने कल्याण करने के लिए हमें पुरूषार्थ करना होगा, तब मन का अंधेरा दूर होगा। प्रवचन के साथ ही भजनों के माध्यम से आचार्य नयन सागर ने समां बांधे रखा। इस दौरान मुख्य रूप से मंदिर कमेटी प्रबंध समति के अध्यक्ष सुभाष जैन, महामंत्री जितेन्द्र जैन टोनी, विभोर जैन, अखिलेश जैन, मनोज जैन, राजेश जैन, सहित सैंकड़ों लोग मौजूद रहे।

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