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9th DEATH ANNIVERSARY-- विकास पुरुष स्व. चितरंजन स्वरूप को किया याद

स्वरूप परिवार के साथ ही समर्थकों ने सादगी से मनाई पूर्व मंत्री की नौवीं पुण्यतिथि, जनसेवा के लिए पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप के आदर्श अपनाकर सपनों को साकार करने का लिया संकल्प।

9th DEATH ANNIVERSARY-- विकास पुरुष स्व. चितरंजन स्वरूप को किया याद
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मुजफ्फरनगर। विकास पुरुष चितरंजन स्वरूप को इस नश्वर संसार का त्याग किये हुए भले ही नौ साल बीत चुके हैं, लेकिन वो आज भी अपने समर्थकों और आम लोगों के दिलों में उनके ‘चचा चित्तो’ बनकर जीवित हैं। शनिवार को स्वरूप परिवार ने उनको नौवीं पुण्यतिथि पर सादगी के साथ याद किया। स्वरूप परिवार के हर घर में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री स्वर्गीय चितरंजन स्वरूप को याद करते हुए नमन किया गया, श्र(ांजलि अर्पित हुई और ब्रह्मभोज कराया गया तो मुजफ्फरनगर शहर की प्रथम नागरिक के रूप में उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल रही नगरपालिका परिषद् की अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरूप ने अपने ससुर के जनकल्याण और जनसेवा के आदर्श के सहारे सर्वकल्याण करने का संकल्प दोहराया। भाजपा नेता गौरव स्वरूप, सौरभ स्वरूप उर्फ बंटी एवं विकास स्वरूप उर्फ बब्बल ने भी परिवार सहित अपने पिता को अश्रुपूरित श्र(ांजलि अर्पित की और उनके हर सपने को साकार करने का प्रण किया।


मुजफ्फरनगर जनपद में राजनीतिक प्रसिद्धि की बात करें तो यहां कम ही ऐसे राजनेता हुए हैं, जिन्होंने जनता के दिलों पर छाप छोड़ते हुए एकछत्र राज किया है। उनमें पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप का नाम भी शामिल है। आज उनकी नौवीं पुण्यतिथि मनाई गई। स्वरूप परिवार ने उनको सादगी के साथ याद किया। उनके पुत्र गौरव स्वरूप, सौरभ स्वरूप और विकास स्वरूप ने ब्रह्मभोज कराकर अपने पिता को अश्रुपूरित श्र(ांजलि व्यक्त की और उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लिया।

मुजफ्फरनगर जिले के सबसे युवा विधायक

स्वरूप परिवार का राजनीति में दखल उत्तर प्रदेश की चैथी विधानसभा के गठन के समय से ही है। स्वरूप परिवार के शाह जी विष्णु स्वरूप ने 1967 में कांग्रेस के मजबूत दौर में शहर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीते। उनकी राजनीतिक विरासत को चितरंजन स्वरूप ने बखूबी संभाला। साल 1978 में चितरंजन स्वरूप कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और मात्र 28 साल की आयु में वो विधायक बने।


जिले में उन्होंने सबसे युवा विधायक होने का रिकार्ड बनाया, जो आज तक भी कोई नहीं तोड़ पाया। यह अवसर 2004 में बघरा उपचुनाव में पंकज मलिक के सामने था, लेकिन परमजीत मलिक से उनको पराजय मिली। इसके बाद पंकज मलिक जब 2007 में विधायक बने तो उनकी उम्र 29 साल हो चुकी थी। चितरंजन स्वरूप तीन बार शहर सीट से विधायक चुने गये और वो 19 अगस्त 2015 तक कुल 4290 दिन विधायक रहे। कपिल देव अग्रवाल ने उनकी तीन जीत की बराबरी की है।

‘चचा चित्तो’ को दिलों में बसाकर एक विकास पुरुष मानती है जनता

स्वर्गीय चितरंजन स्वरूप ने 2002 में सपा ज्वाइन की और भाजपा प्रत्याशी जगदीश भाटिया के सामने नगर पालिका परिषद् के चेयरमैन पद का चुनाव लड़ा था, इसमें उनको सफलता नहीं मिली। इसके बाद 2002 में ही उन्होंने शहर सीट से विधायक का चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए। कपिल देव को उन्होंने हराया था। इसके बाद 2012 में चितरंजन स्वरूप फिर से शहर विधायक चुने गये और अखिलेश यादव की सरकार में वो नगर विकास सहित छह विभागो के राज्यमंत्री बनाये गये।


उन्होंने एक जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता के हितों को सर्वोपरि रखने के साथ ही स्वरूप परिवार की जनसेवा की विरासत को भी संभाले रखा। शहर के विकास को ऐसी गति दी कि आज भी जनता अपने ‘चचा चित्तो’ को दिलों में बसाकर एक विकास पुरुष क रूप में याद करती है। आज उनकी पुत्रवधु नगरपालिका परिषद् की अध्यक्ष बनकर उनकी जनसेवा की सोच और विरासत को आगे ले जाने में जुटी हुईं हैं और पूरा स्वरूप परिवार तथा शहर की जनता उनके साथ कदमताल करता दिखाई दे रहा है।

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