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जमानत के बाद भी जेल से रिहा नहीं हो पाये शाहनवाज राणा

बेटे शाह आजम की कंपनी में हुए फर्जीवाड़े के केस में वारंट होने के कारण कोर्ट ने फिर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा

जमानत के बाद भी जेल से रिहा नहीं हो पाये शाहनवाज राणा
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मुजफ्फरनगर। डीजीजीआई की डिप्टी डायरेक्टर श्रेया गुप्ता के नेतृत्व में राणा स्टील इंडिया प्रा. लि. पर जीएसटी टीम की छापामार कार्यवाही के दौरान टीम पर हमला और महिला अधिकारी के साथ छेड़छाड़, अभद्रता तथा जानलेवा हमला करने के मामले में पूर्व विधायक शाहनवाज राणा को विशेष अदालत से जमानत मिलने के दूसरे दिन भी उनकी कारागार से रिहाई नहीं हो पाई। पुलिस ने उनके खिलाफ दर्ज दूसरे मुकदमे में कोर्ट में वारंट पेश किये, जिसमें उनको कोर्ट से न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। इससे मंगलवार को उनकी जेल से रिहाई की उम्मीद बांधे परिवार के लोगों और समर्थकों को झटका लगा है।

बता दें कि पांच दिसम्बर को सिविल लाइन थाना क्षेत्र के वहलना चौक स्थित राणा स्टील पर जीएसटी मेरठ की टीम ने छापामार कार्यवाही की थी। इस दौरान हुए विवाद के बाद पूर्व विधायक शाहनवाज राणा और उनके चचेरे भाई सद्दाम राणा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। सोमवार को विशेष एमपी एमएलए कोर्ट में उनकी जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए प्रकरण में जमानत दे दी गई थी। इससे परिजन खुश थे कि मंगलवार को वो जेल से रिहा हो जायेंगे, लेकिन मंगलवार को सिविल लाइन पुलिस ने उनके खिलाफ सहायक आयुक्त राज्य कर द्वारा सिविल लाइन थाने में दर्ज कराये गये धोखाधड़ी और अमानत में ख्यानत के मुकदमे में कोर्ट में उनके खिलाफ वारंट होने के कारण पेशी कराई। इस केस में श्री जम्बूदीप एक्सपोर्ट नामक कंपनी के फर्जीवाड़े के लिए पूर्व विधायक शाहनवाज राणा और उनके बेटे कंपनी के डायरेक्टर रहे शाह आजम राणा, करीबी जिया अब्बास जैदी, कामरान राणा और तौसिफ कुरेशी को आरोपी बनाया है।

रिपोर्ट में कहा गया था कि सर्व श्री जम्बूदीप एक्सपोर्ट एंड इंपोर्ट लिमिटेड मेरठ रोड के जीएसटी नंबर के फर्जीवाड़े के इनपुट के आधार पर कंपनी की जांच 2018-19 में राज्य कर विशेष अनुसंधान शाखा द्वारा की गई। कंपनी की ओर से जो प्रपत्र प्रस्तुत किए गए, उनमें चार कंपनिया अस्तित्व में नहीं पाई गई, जबकि एक कंपनी की बिल्टियां असत्यापित पाई। इन गड़बड़ियों के आधार पर कंपनी पर 27 करोड़ दो लाख 47 हजार बकाया पाया गया, जिसे कंपनी द्वारा जमा नहीं कराया गया है। कंपनी ने कूटरचित दस्तावेजों से आईटीसी क्लेम किया। सरकारी राजस्व हानि पहुंचाने के लिए फर्जी बिल्टियां तैयार की गई है। कंपनी के फर्जीवाडे़ के इस मुकदमे में पुलिस ने पूर्व विधायक शाहनवाज राणा को भी आरोपी बनाया है। मंगलवार को पुलिस द्वारा वारंट तामिल कराकर उन्हें एसीजेएम द्वितीय की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से रिमांड स्वीकृत कराकर उन्हें जेल भेज दिया गया। जाहिर है कि पूर्व विधायक शाहनवाज राणा की जिला कारागार से रिहाई नए मुकदमे में आरोपी बनने के कारण फिलहाल टल गई है। पेशी के बाद इस केस में जमानत के लिए सुनवाई टाल दी गई और शाहनवाज राणा को कोर्ट ने फिर से न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।

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