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सौरम मारपीट प्रकरण में पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित छह आरोपी बरी

मुजफ्फरनगर दंगों से पहले छेड़छाड़ को लेकर हुआ था विवाद, उमेश सहित सात लोगों के खिलाफ दर्ज कराया गया था मुकदमा

सौरम मारपीट प्रकरण में पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित छह आरोपी बरी
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मुजफ्फरनगर। सौरम मारपीट प्रकरण में अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में पूर्व भाजपा विधायक उमेश मलिक सहित सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया है। पूर्व में इन सभी पर कोर्ट ने आरोप तय किये थे और इसके बाद सुनवाई चल रही थी। अभियोजन आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में कोई भी मजबूत गवाह प्रस्तुत नहीं कर पाया, जिस कारण संदेह के लाभ में आरोपियों को बड़ी राहत मिली है।

मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे से कुछ दिन पहले 20 अगस्त 2013 को थाना शाहपुर क्षेत्र के सौरम मैं छेड़छाड़ को लेकर विवाद हो गया था। भाजपा नेताओं, पूर्व विधायक उमेश मलिक 20 अगस्त को अपने समर्थकों के साथ सौरम में हुई पंचायत में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। कवाल के झगड़े से दंगा भड़कने से पहले सोरम का यह झगड़ा खूब चर्चाओं में रहा था। सोरम गांव निवासी वाजिद ने 22 अगस्त 2013 को मुकदमा दर्ज कराया था कि उसका चाचा बाली पुत्र अल्ला राजी अपनी रिश्तेदारी से गांव में लौट रहा था। गांव के रास्ते पर ईंख के खेत से निकले गांव के ही युवकों ने उस पर हमला कर गंभीर घायल कर दिया था। आरोप लगाया था भाजपा नेता उमेश मलिक कुछ देर पहले ही भड़काऊ भाषण देकर गांव से गए थे।

वाजिद की तहरीर पर शाहपुर पुलिस ने पूर्व विधायक उमेश मलिक, सुधीर प्रधान, विजेंदर चेयरमैन, मनीष प्रधान, नवराज, मास्टर रामपाल तथा सम्राट के विरु( जानलेवा हमला करने सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था। थाना शाहपुर पुलिस ने मामले की विवेचना कर साक्ष्य न मिलने की बात कहते हुए कोर्ट में क्लोजिंग रिपोर्ट लगा दी, जिसके विरु( वादी पक्ष ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरोपितों को तलब करने की मांग की। 27 सितंबर को सभी आरोपित सिविल जज सीनियर डिवीजन मयंक जायसवाल की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश हुए थे। इसके बाद आरोप तय करते हुए कोर्ट ने एक मार्च की तिथि फैसले के लिए तय की थी। शनिवार को पूर्व विधायक उमेश मलिक सहित सभी आरोपियों के पेश होने पर विशेष एमपी एमएलए कोर्ट के पीठासीन अधिकारी देवेन्द्र कुमार फौजदार ने सबूत के अभाव में सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया। इस प्रकरण में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के गवाहों ने वाजिद के आरोपों का कोई भी समर्थन नहीं किया। बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रांत मालिक ने पैरवी की।

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