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स्वामी कल्याण देव केवल समाज के लिए जियेः अनिल कुमार

काबीना मंत्री अनिल कुमार और सांसद चंदन चौहान ने शुकतीर्थ पहुंचकर किया शिक्षा )षि को नमन, शुकदेव आश्रम में मनाई गई 20वीं पुण्यतिथि

स्वामी कल्याण देव केवल समाज के लिए जियेः अनिल कुमार
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मुजफ्फरनगर। वीतराग संत एवं शिक्षा )षि के नाम से विख्यात स्वामी कल्याण देव महाराज की 20वीं पुण्यतिथि पर शुकतीर्थ स्थित शुकदेव आश्रम में पुष्पांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान दूर राज से साधु संतों के साथ ही अन्य लोगों ने पहंुचकर संत स्वामी कल्याण देव को याद किया और उनकी समाधि पर पुष्प चढ़ाकर अपना भाव प्रकट किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार और बिजनौर सांसद चंदन सिंह चौहान मौजूद रहे। मंत्री अनिल कुमार तथा सांसद चंदन चौहान का शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद ने पटका और ग्रंथ भेंटकर स्वागत एवं सत्कार किया।

मंत्री अनिल कुमार ने कहा कि स्वामी कल्याण देव का जीवन केवल समाज के लिए था, वो समाज के हित को साधन के लिए ही संघर्ष करते रहे और सामाजिक उत्थान की चिंता में ही उन्होंने अपना जीवन जिया। उनके आदर्श आज भी हमें प्रेरित करते हैं। वीतराग स्वामी कल्याणदेव महाराज के विराट पुरुषार्थ, तप और त्याग की कर्म गाथा अमर है। 129 वर्ष आयु के दीर्घ जीवन में उन्होंने हर घड़ी को जनसेवा के लिए जिया। सांसद चंदन सिंह चौहान ने अपने सम्बोधन में कहा कि सेवाभावी संत के दर्शन और समर्पण से पौराणिक शुकतीर्थ देश के मुख्य धार्मिक तथा आध्यात्मिक केंद्रों में गरिमा से चमक रहा है। आज यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस तीर्थ को संवारने के लिए अनेक सराहनीय कार्य किये हैं। यहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भगीरथ बनकर गंगा की अविरल धारा लेकर आये हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के विकास के लिए सभी मिलकर काम कर रहे हैं।

महामुनि श्री शुकदेव की तपोभूमि शुकतीर्थ में संत विभूति स्वामी कल्याणदेव 14 जुलाई, 2004 में ब्रह्मलीन हुए थे। प्रति वर्ष भागवत पीठ शुकदेव आश्रम में उनकी पुण्यतिथि श्र(ा एवं भक्ति से मनाई जाती है। महाभारत कालीन जीर्ण-शीर्ण इस तीर्थ का कैसे वीतराग संत ने जीर्णाे(ार किया, ये अद्भुत है और अकल्पनीय भी। वर्ष 1943-44 की अवधि में प्रयागराज में कुंभ लगा था। देश के शंकराचार्य, संत-महात्माओं ने संगम तट पर गंगाजल हाथ में देकर स्वामी जी से शुकतीर्थ के जीर्णाे(ार का संकल्प लिया। निर्जन जंगल और तीर्थ में वीतराग संत पग पड़े। उन्होंने भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की राय से वृंदावन के विद्वानों से पूरे वर्ष का अखंड भागवत पाठ करा कर अपने संकल्प में आहुति दी। धीरे-धीरे ये तीर्थ भागवत के मर्मज्ञों का कथा केंद्र बन गया। पूरे भारत से कथा व्यास और श्र(ालु भागवत सप्ताह के लिए यहां आते हैं।

ब्रह्मलीन स्वामी कल्याणदेव जी महाराज का जन्म वर्ष 1876 में उनके ननिहाल में बागपत जनपद के गांव कोताना में हुआ था। उनका पालन पोषण मुजफ्फरनगर जनपद के अपने गांव मुंडभर में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1900 में मुनि की रेती )षिकेश में गुरुदेव स्वामी पूर्णानंद जी से संन्यास की दीक्षा ली थी। अपने 129 वर्ष के जीवनकाल में उन्होंने 100 वर्ष जनसेवा में गुजारे। स्वामी कल्यादेव जी ने 14 जुलाई 2004 को शुक्रताल में एकादशी के दिन रात्रि 12 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली थी। इस अवसर पर मंत्री अनिल कुमार और सांसद संजय चौहान ने शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद जी महाराज की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने स्वामी कल्याण देव के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए त्याग के साथ समर्पित रहकर शुकतीर्थ के विकास में आहुति देने का काम किया है। उनके ही प्रयास से आज यहां पर सरकार ने विकास के लिए परिषद् का गठन कर दिया है। आगामी दिनों में विकास के पथ पर यह तीर्थ क्षेत्र और भी अधिक निखरेगा। इस दौरान पूर्व मंत्री योगराज सिंह, रालोद के मंडल अध्यक्ष प्रभात तोमर, जिलाध्यक्ष संदीप मलिक सहित अन्य कार्यकर्ता और गणमान्य लोग तथा साधु संत मौजूद रहे।

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