MUZAFFARNAGAR-तकनीकी टीम ने किया एफएसटीपी का निरीक्षण, मिली कई खामियां
शहर के निजी और सार्वजनिक शौचालयों की गंदगी का निस्तारण कर खाद बनाने के लिए पालिका को हैंडओवर प्लांट में, निदेशालय से आई तकनीकी टीम ने ईओ प्रज्ञा सिंह के साथ किया स्थलीय निरीक्षण, जल निगम अधिकारियों को मौके पर किया गया तलब
मुजफ्फरनगर। यूरोपियन देशों के सहयोग से फीकल स्टज ट्रीटमेंट के लिए अमृत भारत योजना के अन्तर्गत तैयार 25 केएलडी प्लांट बिना तकनीकी जांच के ही बड़ी खामियों के बावजूद नगरपालिका परिषद् को हैंडओवर कर दिया। आधी-अधूरी तैयारियों वाले इस एफएसटीपी के संचालन के लिए पालिका प्रशासन ने छह कर्मचारियों की तैनाती कर पूरी तैयारी भी कर ली थी, लेकिन जब प्लांट खामियों के कारण नहीं चल पाया तो शासन ने संज्ञान लेकर यहां पर विशेष तकनीकी टीम भेजकर इसके निर्माण की जांच कराई, जिसमें अनेक खामियां पाये जाने पर टीम ने मौके पर ही कार्यदायी संस्था जल निगम के अधिकारियों को तलब किया और समाने आई खामियों को तत्काल दूर कराकर नियमित प्रक्रिया के साथ पालिका प्रशासन को हैंडओवर करने के निर्देश दिये। टीम अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। वहीं पालिका ईओ प्रज्ञा सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि प्लांट में खामियां दूर होने से पहले पालिका इसको हस्तगत नहीं करेगा।
केन्द्र सरकार की अमृत योजना के अन्तर्गत यूपी के सभी जिलों में यूरोपियन तकनीकी सहयोग के तहत फीकल स्टज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) का निर्माण किया गया है। इसी कड़ी में जनपद में भी नगरपालिका परिषद् की मौहल्ला किदवईनगर में स्थित भूमि पर 25 (केएलडी) किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला एफएसटीपी बनाया गया। इसके निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था सीएण्डडीएस जल निगम उत्तर प्रदेश (नगरीय) रही। इसके निर्माण पर अमृत योजना के तहत करीब 85 लाख रुपये का बजट तैयार किया गया है। प्लांट के संचालन से शहर के निजी और सार्वजनिक शौचालयों के सेप्टिक टैंक की गंदगी का निस्तारण होने के साथ ही जैविक खाद बनाने की योजना है। इस खाद को कृषि कार्यों के लिए बेचकर पालिका प्रशासन की आय बढ़ाने और प्रदूषण से निस्तारण का उद्देश्य लेकर काम किया जा रहा है। इतना ही नहीं सेप्टिक टैंक से मल के साथ निकले वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट भी प्लांट में करने की सुविधा है। ताकि इस पानी से भी खेतों की सिंचाई का कार्य किया जा सके।
पालिका के इस एफएसटीपी का संचालन नहीं होने की जानकारी मिलने पर नगरीय निकाय निदेशालय लखनऊ से सेंटर फाॅर साइंस एण्ड एनवायरमेंट की दो सदस्यीय टीम ने पालिका की ईओ प्रज्ञा सिंह के साथ प्लांट का स्थलीय निरीक्षण कर व्यवस्था को तकनीकी पैमाने पर परखा। इसमें यह प्लांट फेल साबित हुआ। जांच टीम के अधिकारियों में शामिल वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक सुब्रोतो चक्रवर्ती और उप कार्यक्रम प्रबंधक हर्ष यादव ने पूरे प्लांट का भ्रमण कर एक एक व्यवस्था को तकनीकी स्तर पर परखने का काम किया तो कई खामियां पाई गई। इस दौरान ईओ प्रज्ञा सिंह को टीम के अधिकारियों ने जब इन खामियों के बारे में बताया तो उन्होंने आधी अधूरी तैयारी के बीच ही जल निगम द्वारा प्लांट पालिका को हैंडओवर करने पर नाराजगी जताई। इसके बाद जांच टीम के अधिकारियों ने सीएण्डडीएस जल निगम नगरीय के अधिकारियों को मौके पर ही तलब किया। परियोजना प्रबंधक आबू जैद और अवर अभियंता एनके पाल कुछ ही देर में वहां पहुंचे तो टीम की नाराजगी का सामना करना पड़ा।
पालिका के सहायक अभियंता जलकल सुनील कुमार ने बताया कि टीम के निरीक्षण के दौरान एफएसटीपी बंद पाया गया। उन्होंने पालिका प्रशासन को इसको रनिंग मोड में लाने के निर्देश देने के साथ स्थलीय निरीक्षण किया तो कई खामियां पाई गई, जिनमें प्लांट में सेप्टिक टैंक से आने वाली गन्दगी को खाली करने के लिए सीमेंटेड प्लेटफार्म का निर्माण नहीं पाया गया, स्क्रीनिंग चैम्बर पर गन्दगी और पानी को अलग करने के लिए जाली नहीं लगी पाई गई, गन्दगी और पानी को छांटने के लिए काम करने वाली हैंड कार्ड ट्राली नहीं मिली। इन खामियों के कारण टीम ने माना कि यह प्रोजेक्ट पूर्ण नहीं किया गया है। इससे पहले ही हैंडओवर कर दिया गया। इन खामियों को जल निगम के अधिकारियों को जल्द दूर करते हुए नियमित प्रक्रिया के तहत हैंड ओवर करने के निर्देश टीम ने दिये।
जल निगम ने हैंडओवर करते हुए डीपीआर पालिका को नहीं सौंपी-ईओ प्रज्ञा सिंह
पालिका की ईओ प्रज्ञा सिंह ने बताया कि एफएसटीपी को जल्दबाजी में पालिका ने अपने हैंडओवर में लिया है। 06 अपै्रल 2023 को सीधे ईओ हेमराज सिंह ने जल निगम से प्लांट पालिका को हस्तगत कराया, जबकि उसके लिए कोई भी तकनीकी जांच नहीं कराई गयी। इसके साथ ही जल निगम ने हैंडओवर करते हुए न तो प्रोजेक्ट की डीपीआर पालिका को सौंपी और न ही अन्य दस्तावेज दिये गये। आज आई जांच टीम के अधिकारियों ने ही ये सभी दस्तावेज पालिका को उपलब्ध करवाये हैं। पत्रावली पूर्ण हुए बिना ही प्लांट हैंडओवर करा लेने पर ईओ खुद भी हतप्रभ हैं। उन्होंने जल निगम के अफसरों के समक्ष स्पष्ट कर दिया है कि खामियां दूर होने के बाद ही पालिका प्लांट को अपने स्वामित्व में लेगी।
पालिका कर रही थी संचालन की तैयारी
नगरपालिका परिषद् ने शासन की महत्वकांक्षी योजना होने के कारण एफएसटीपी को जल्द संचालित कराने की तैयारी की थी। 06 मार्च को हुई पालिका की बोर्ड बैठक में इसके लिए मैन पाॅवर जुटाने का प्रस्ताव भी पारित करा लिया गया है। इसमें छह कर्मचारियों को रखने की योजना थी, इसके लिए टैण्डर कराने की तैयारी आचार संहिता लगने के कारण रूक गई थी। बताया गया कि जल निगम ने इस प्लांट को एसएस इंजीनियरिंग कारपोरेशन नोएडा को सौंपकर छह माह तक इसका संचालन भी कराया। अब करीब छह-सात माह से यह प्लांट मैन पाॅवर न होने के कारण बंद पड़ा था।