MUZAFFARNAGAR-पालिका के रिटायर्ड टैक्स लिपिक की तलाश में छूट गये खाकी के पसीने
43 साल पुराने क्रिमीनल केस में समन जारी होने पर शहर कोतवाली पुलिस कर रही आरोपी रिटायर्ड लिपिक की तलाश, एक सप्ताह से पालिका कार्यालय के चक्कर काटकर पुलिस कर्मी हुए परेशान, टैक्स विभाग से लेकर लेखा विभाग तक नहीं मिल रहा रिकार्ड
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका और दूसरी पत्रावलियों के पालिका से गायब होने के मामले में तो शासन के आदेश पर जांच कमेटी जांच कर रही है, ऐसे में एक ऐसा प्रकरण सामने आया है, जिसमें पालिका का एक रिटायर्ड टैक्स लिपिक ही लापता हो गया है। न तो वो पालिका के रिकार्ड में मिल पा रहा है और न ही उसका कोई ठिकाना सामने आ रहा है। बस उसके वजूद के नाम पर उसका एक नाम और पुलिस के हाथ में उनके खिलाफ करीब चार दशक पूर्व दर्ज हुए क्रिमीनल केस में कोर्ट का समन है। कोर्ट ने पुलिस को आदेश जारी किया है कि आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाये, उसका कुछ पता ठिकाना ही दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में दिया जाये, लेकिन पुलिस कर्मी पिछले करीब एक सप्ताह से कोतवाली से पालिका और पालिका से कोतवाली चक्कर काटकर परेशान हो चुके है, लेकिन रिटायर्ड टैक्स लिपिक का कोई वजूद सामने नहीं आ पा रहा है।
सूत्रों के अनुसार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट से नगरपालिका परिषद् के रिटायर्ड टैक्स लिपिक महेश कुमार के नाम समन जारी करते हुए शहर कोतवाली पुलिस को आदेशित किया गया है कि उच्च न्यायालय के क्रिमीनल केस में आरोपी रिटायर्ड टैक्स लिपिक महेश कुमार की तलाश हो रही है। केस पर नहीं आने के कारण सुनवाई रूकी हुई है और ऐसे में आरोपी के गैर जमानती वारंट जारी हुए हैं, तो उसको तलाश कर पेश किया जाये। यह समन और एक नाम रिटायर्ड टैक्स लिपिक महेश कुमार के कागज लेकर करीब एक सप्ताह पूर्व शहर कोतवाली से दरोगा और सिपाही टाउनहाल स्थित नगरपालिका परिषद् के मुख्यालय पहुंचे। इधर उधर भटकने के बाद उनको बताया गया कि टैक्स विभाग से ही इसकी जानकारी हो पायेगी। करीब पूरा सप्ताह इस भागदौड़ में निकल गया, लेकिन रिटायर्ड टैक्स लिपिक महेश कुमार की तलाश का नतीजा ढाक के वही तीन पात नजर आ रहा है।
पुलिस की ओर से बताया गया कि करीब 43 साल पहले 1981 में दर्ज एक क्रिमीनल केस में आरोपी बनाये गये रिटायर्ड टैक्स लिपिक महेश कुमार का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं। इसमें महेश कुमार बरसों से पेश नहीं हुए तो गैर जमानती वारंट जारी किये गये हैं। इसी को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने समन जारी करते हुए आरोपी को पेश कराने या उसके सम्बंध में जानकारी प्रस्तुत करने के आदेश कोतवाली पुलिस को दिए हैं। इसके लिए ही पुलिस कर्मी लगातार कोतवाली से टाउनहाल तक भटकने को विवश हो रहे हैं। कई दिन के चक्कर काटने के दौरान पुलिस कर्मियों को टैक्स विभाग से लेखा विभाग तक दौड़ाया जा रहा है, लेकिन रिटायर्ड लिपिक महेश कुमार के बारे में कोई भी पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। पुलिस कर्मियों का कहना है कि टैक्स विभाग के अधिष्ठान लिपिक ने अपनी रिपोर्ट में साफ टिप्पणी कर दी है कि उसको चार्ज के दौरान किसी भी रिटायर्ड टैक्स लिपिक महेश कुमार की कोई पत्रावली उपलब्ध नहीं कराई गई है। इससे साफ है कि टैक्स विभाग में महेश कुमार नामक कर्मचारी का कोई रिकार्ड ही उपलब्ध नहीं है। टैक्स अधिष्ठान से पुलिस कर्मियों को लेखा विभाग में भेजा गया, वहां के अधिष्ठान लिपिक मौहम्मद नदीम ने भी अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी कर दी कि लेखा विभाग में टैक्स विभाग के लिपिक महेश कुमार के वेतन आहरण का कोई भी रिकार्ड उपलब्ध नहीं है और पुलिस कर्मियों को वापस टैक्स विभाग में भेज दिया गया। यहां से कर निर्धारण अधिकारी ने भी अपनी टिप्पणी में साफ कर दिया कि टैक्स विभाग में महेश कुमार का कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है और पुलिसकर्मियों को चलता कर दिया। अब पुलिस पशेमां है कि पालिका के रिटायर्ड टैक्स लिपिक महेश कुमार की तलाश कहां पर की जाये, जबकि पुलिस कर्मियों का कहना है कि कोर्ट से आये समन में केवल इतना ही उल्लेख किया गया है कि महेश कुमार ने 1966 से 1968 तक पालिका में टैक्स लिपिक के पद पर कार्य किया है।
इस सम्बंध में कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार यादव ने बताया कि कुछ पुलिस कर्मी उच्च न्यायालय में विचाराधीन 1981 के क्रिमीनल केस में रिटायर्ड टैक्स लिपिक महेश कुमार का समन लेकर पालिका आये थे, इसमें बताया गया कि महेश कुमार 1966 से 1968 तक पालिका में तैनात रहा है। टैक्स लिपिक के पद पर रहे इस कर्मचारी के उच्च न्यायालय में कोई क्रिमीनल केस के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट से समन हुए हैं। समन तामील कराने के लिए ही पुलिस कर्मी पालिका आये थे। मामला अधिष्ठान का है, इस सम्बंध में मुझे कुछ जानकारी नहीं है। हमने अपना जवाब पुलिसकर्मियों को दे दिया है। इस मामले में सम्बंधित पटल या अधिकारी ही बता पायेंगे। वहीं इस प्रकरण में कार्यवाहक ईओ सहायक अभियंता निर्माण अखंड़ प्रताप सिंह का कहना है कि उनके संज्ञान में ऐसा कोई भी प्रकरण नहीं आया है। न ही कोई पुलिस कर्मी उनसे आकर मिला। अब पुलिस कर्मी कहां आकर कहां से वापस जा रहे हैं, उनको पता नहीं है।