59 साल पुराने बकाया किराये में जीएसटी लेने पर पालिका में रार
नगरपालिका की मार्किट के दुकानदारों पर 1965 से बकाया किराये पर 18 फीसदी जीएसटी जमा कराने का हो रहा विरोध, व्यापारियों की शिकायत के बाद चेयरपर्सन ने दिया आश्वासन, कर निर्धारण अधिकारी बोले-मुझे मामले की जानकारी नहीं
मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में शहरी क्षेत्र में बनी पालिका की मार्किट की दुकानों के किरायेदार पशोपेश में है। पालिका के किराया विभाग द्वारा इन दुकानदारों से बकाया वसूली और किराया निर्धारण की कार्यवाही की जा रही है। इस दौरान दुकानदारों पर तय बकाया किराया रकम पर 18 फीसदी जीएसटी भी वसूल की जा रही है, लेकिन यह जीएसटी साल 1965 से बकाया किराये पर लिये जाने की व्यवस्था को लेकर पालिका में नई रार शुरू हो गई है। दुकानदारों ने इसका विरोध करते हुए चेयरपर्सन से शिकायत की, क्योंकि जो जीएसटी कानून 2017 में लागू हुआ, वो 1965 से कैसे लागू किया जा सकता है। इसी आधार पर दुकानदार मामले को उठाये हुए हैं। चेयरपर्सन ने भी प्रकरण में नाराजगी व्यक्त करते हुए कर निर्धारण अधिकारी को व्यवस्था बनाने के निर्देश दिये हैं। व्यवस्था सुधार नहीं होने और कुछ प्रकरणों में 1965 से तय बकाया किराये पर ली गई जीएसटी का समायोजन नहीं किये जाने पर पालिका मार्किट के दुकानदारों ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है। इसको लेकर जल्द मीटिंग बुलाने की भी तैयारी की जा रही है।
नगरपालिका परिषद् की शहरी क्षेत्र में अपनी 17 मार्किट हैं। इनमें वर्तमान में 509 दुकानदार किरायेदार के रूप में अपना अपना कारोबार चला रहे हैं। इन किरायेदारों पर किराया बढ़ोतरी की ओर बढ़ते हुए नगरपालिका परिषद् के टैक्स विभाग के किराया पटल ने जो फार्मूला अपनाया, उसका विरोध होना शुरू हो गया है। इसमें की गई कई व्यवस्थाओं को दुकानदारों ने गलत बताते हुए उनको बदलने की मांग की है। पालिका की शिव मार्किट के दुकानदार और व्यापारी नेता भानु प्रताप अरोरा ने बताया कि पालिका द्वारा पिछले करीब एक सवा साल से पालिका मार्किट के दुकानदारों पर शासनादेश के अनुसार किराया बढ़ोतरी करते हुए बकाया वसूली का काम कर रही है, इसके लिए बकाया पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू करते हुए वसूल किया जा रहा है, लेकिन यह जीएसटी की रकम दुकानदारों से 1965 और 1977 से लागू आवंटन और बकाया किराया रकम पर तय किया जा रहा है, जबकि 59 साल पहले 1965 में जीएसटी तो क्या कोई भी टैक्स लागू नहीं था। 1965 से 2024 तक बकाया किराया रकम तय करते हुए इस पर टोटल रकम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लिया जा रहा है। व्यापारी 59 साल के बकाया पर जीएसटी तय होने से परेशान है, कुछ लोगों ने इस बकाया को मय जीएसटी जमा भी करा दिया है, जोकि गलत है। भानु प्रताप अरोरा का कहना है कि उन्होंने अन्य दुकानदारों के साथ मिलकर इस मामले को चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के समक्ष रखा था और यही मांग की थी कि जीएसटी 2017 में लागू हुआ है, इसको 2017 से ही लिया जाये, इससे पहले 2077 से 2017 तक सर्विस टैक्स और वैट लागू किया गया था, जिसमें 14 प्रतिशत टैक्स लिये जाने का प्रावधान था और 1965 से 2007 तक कोई टैक्स लागू नहीं था। ऐसे में जिन प्रकरणों में 1965 से 2024 तक जीएसटी लिया गया है, उनमें नये सिरे से संशोधन करते हुए व्यापारी से ज्यादा ली गई रकम का उसके आगामी किराये के रूप में समायोजन किया जाये।
व्यापारियों की समस्या को देखते हुए चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप ने कर निर्धारण अधिकारी को मामले में नियमानुसार व्यवस्था बनाने के निर्देश देते हुए 1965 से ही बकाया रकम पर जीएसटी लिये जाने की व्यवस्था पर नाराजगी जताई। सूत्रों का कहना है कि अंजू अग्रवाल के समय में पारित प्रस्ताव संख्या 630 के अन्तर्गत दी गई व्यवस्था और शासनादेश के अनुसार किराया बढ़ोतरी की जा रही है। इसमें 2024 तक जो बकाया राशि बन रही है, उस कुल धनराशि पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूल की जा रही है। मौजूदा बोर्ड में करीब एक साल में 100 पत्रावलियों का इसी व्यवस्था के तहत निस्तारण किया जा चुका है। इसके लिए पालिका द्वारा जीएसटी के अधिवक्ता से राय ली गयी थी, उनकी राय के अनुसार ही काम किया जा रहा है, लेकिन व्यापारी इसे गलत बताते हुए चेतावनी दे रहे हैं कि यदि ज्यादा ली गई रकम का समायोजन नहीं किया गया तो आंदोलन होगा, इसके लिए जल्द ही पालिका मार्किट के दुकानदारों की मीटिंग बुलाने की तैयारी भी की जा रही है। पालिका के कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार यादव का कहना है कि उनके कार्यकाल में किसी भी दुकानदार व्यापारी से 1965 से अब तक के बकाया पर 18 प्रतिशत जीएसटी नहीं ली गयी है। जो भी प्रकरण हैं, वो उनके चार्ज संभालने से पहले के हैं। इस सम्बंध में कोई भी व्यापारी उनसे नहीं मिला है। किसने जीएसटी जमा कराई उनको नहीं पता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई प्रकरण उनके सामने आयेगा तो वो उसके नियमानुसार निस्तारण के लिए कार्यवाही करेंगे।