MUZAFFARNAGAR---एक बड़ा ब्लैकमेलर है विजय वर्माः यशपाल पंवार
समाजसेवी लखमेन्द्र खुराना के प्रकरण में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष यशपाल ने उठाया विजय की साजिश से पर्दा, कहा-काॅलेज के नाम पर लखमेन्द्र के साथ किया विश्वासघात, पैसा लेकर खुद छोड़ा काॅलेज, लोन का पैसा भी हड़पा।
मुजफ्फरनगर। पंजाबी समाज से प्रमुख समाजसेवी और कारोबारी लखमेन्द्र खुराना के खिलाफ नई मण्डी थाने में दर्ज कराये गये कथित धोखाधड़ी के केस में उनके मित्र और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष यशपाल पंवार बेबाक तरीके से सामने आये हैं। उन्होंने मीडिया को जारी किये गये बयान में लखमेन्द्र खुराना और उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले विजय वर्मा की पोल खोलते हुए विजय को एक बड़ा ब्लैकमेलर बताया है। यशपाल पंवार ने कहा कि लखमेन्द्र खुराना और उनके परिवार ने विजय वर्मा ने अनगिनत अहसान किये हैं। विजय को मुम्बई में करियर बनाने के लिए आश्रय दिया, पाला और पोसा तथा पैसा देकर एक बड़ा शिक्षण संस्थान चलाने का अवसर भी दिया, लेकिन विजय वर्मा ने लखमेन्द्र खुराना की पीठ में चालबाजी का छुरा घोंपकर विश्वासघात किया है। हम कानूनी लड़ाई के सहारे विजय वर्मा को जवाब दे रहे हैं। समाज में उसको बेनकाब करने का काम किया जायेगा। विजय वर्मा ने कई अन्य लोगों के साथ भी भाजपा नेता बनकर ठगी और जालसाजी की है। इसका जवाब कानून के रास्ते से दिया जायेगा।
भाजपा में पूर्व विभाग संयोजक और पूर्व जिला अध्यक्ष रहे यशपाल पंवार ने विजय वर्मा के द्वारा नई मण्डी थाने में दर्ज कराये गये मुकदमे को सौ फीसद झूठा ठहराते हुए कहा कि लखमेन्द्र खुराना से उनके सम्बंध बहुत पुराने हैं। वो यहां कोयला का कारोबार करते थे तो मैं ट्रक ट्रांसपोर्ट का काम करता था। हमारे बीच व्यापारिक दोस्ती पारिवारिक सम्बंधों में बदल गयी। 1992 के दौर में लखमेन्द्र खुराना यहां से परिवार सहित मुम्बई चले गये और वहीं पर कारोबार में सेटल्ड हो गये। उनका भाई दुबई में बिजनेस करने लगा। विजय वर्मा जोकि पंजाबी समाज से ही ताल्लुक रखता है। मुम्बई में माॅडलिंग में आया और एक्टिंग में भी सक्रिय रहा। यहां उसकी मुलाकात लखमेन्द्र खुराना से हुई तो समाज से ही होने के कारण लखमेन्द्र ने विजय को आगे बढ़ाने में पूरा सपोर्ट किया और अपने ही पास एक परिवार की तरह रखा। करीब 7-8 साल विजय वर्मा उनके पास रहा और उसको सभी सुविधाएं मिलीं।
साल 2009 में इंजीनियरिंग खोलने को लखमेन्द्र से लिया पैसा
इस दौरान विजय और लखमेन्द्र खुराना के बीच अच्छे सम्बंध हो गये। विजय को पता था कि लखमेन्द्र के पास भरपूर पैसा है। उसने उनको एक इंजीनियरिंग काॅलेज खोलने का सुझाव दिया। लखमेन्द्र ने समाज के युवक को आगे बढ़ाने का इरादा करते हुए इसको स्वीकार किया और 2009 में छुटमलपुर सहारनपुर के पास 100 बीघा भूमि खरीदने, काॅलेज बनाने के लिए पूरा पैसा विजय वर्मा को दिया। विजय ने करीब एक लाख वर्ग मीटर एरिया में काॅलेज की बिल्डिंग बनाई। वो काॅलेज कमेटी में सचिव बनाये गये तो लखमेन्द्र चेयरमैन बने। यशपाल पंवार ने बताया कि काॅलेज अच्छा चलने लगा। सभी कुछ विजय वर्मा के ही हाथ में था। लखमेन्द्र या उनका भाई साल में वार्षिक उत्सव में ही आते थे, तभी विजय वर्मा जालसाजी से उनको जो भी हिसाब दिखाता वो उसे मानकर चले जाते। काॅलेज की अच्छी खासी स्कालरशिप मिलने लगी। भाजपा की सत्ता आई तो व्यवस्था पारदर्शी बनने लगी और कालेज की कमाई घटने लगी।
काॅलेज बंद करने की विजय ने रची साजिश, लखमेन्द्र से लिये 75 लाख
साल 2016 में विजय वर्मा ने काॅलेज को बन्द करने की साजिश रचनी शुरू कर दी और काॅलेज की देखरेख से भागने लगा। काॅलेज में बी टेक में अध्ययनरत छात्र छात्राओं ने इसको लेकर डीएम सहारनपुर के कार्यालय पर धरना दिया। डीएम ने बच्चों का भविष्य देखते हुए लखमेन्द्र खुराना से बात की और कालेज को चलाने के लिए कहा। इसके बाद लखमेंन्द्र खुराना मुम्बई से यहां आये और उन्होंने मेरे यहां पर पंजाबी समाज के माध्यम से इस मसले को सुलझाया, मुझे काॅलेज चलाने के लिए सहयोग मांगा गया। विजय वर्मा को भी बुलाया गया, विजय वर्मा ने काॅलेज चलाने से इंकार कर दिया और कहा कि मेरा जो भी शेयर बनता होगा वो आप मुझे लौटा दें। लखमेंन्द्र खुराना ने विजय वर्मा को 75 लाख रुपये का चैक विजय वर्मा को दिया, जो उसने अपने अकाउंट में कैश करा लिया।
काॅलेज के नाम पर पीएनबी से मोटा कर्ज लेकर भागा विजय वर्मा
पीएनबी की औद्योगिक शाखा मुजफ्फरनगर से विजय वर्मा ने काॅलेज के नाम पर भारी लोन ले रखा है और उसको एनपीए कराकर पैसा निकालकर भागा है। लखमेन्द्र खुराना ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा और बच्चों का भविष्य बचाने के लिए करीब चार करोड़ रुपये पीएनबी औद्योगिक शाखा को लोन के बकाया के रूप में जमा कराये और अन्य देनदारियों को भी चुकाया। बच्चों का कोर्स पूरा कराया। 2016 के बाद से गायब रहने वाला विजय वर्मा उस समय फिर सक्रिय हो गया, जबकि काॅलेज जब सभी देनदारियों से फ्री हो गया। यशपाल पंवार का आरोप है कि 2018 में विजय वर्मा ने ब्लैकमेलिंग का खेल फिर से खेलना शुरू किया और उसने सहारनपुर की सिविल कोर्ट में वाद दायर करते हुए आरोप लगाया कि काॅलेज कमेटी से उनको गलत तरीके से हटाया गया है।
सहारनपुर पुलिस की जांच में विजय के आरोप निकले थे फर्जी
विजय वर्मा ने थाना फतेहपुर में भी तहरीर दी। मुझे भी आरोपी बनाया। मुझे बदनाम करने के लिए सार्वजनिक रूप से बयानबाजी की। मैंने कोर्ट में मानहानि का केस किया हुआ है। थाना फतेहपुर में गई तहरीर पर एसपी स्तर तक जांच हुई। एफआर में पुलिस ने यही लिखा कि पैसा लेकर अपना इस्तीफा दे चुके हैं। एसीजेएम कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट स्वीकार की और यह मामला खत्म हुआ। विजय वर्मा ने फिर से साजिश रचते हुए थाना नई मण्डी में एफआईआर कराई है। जब एक थाने ने जांच कर एफआर लगा दी है, कोर्ट ने उसे स्वीकार किया है, तो दूसरा मुकदमा कानूनन दर्ज नहीं किया जा सकता है। हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे, लेकिन विजय वर्मा की ब्लैकमेलिंग नहीं चलने देंगे। यशपाल पंरवार ने कहा कि उन्होंने विजय के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है।
सामान्य जाति का विजय भाजपा में ओबीसी मोर्चा का नेता कैसे बना?
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष यशपाल पंवार ने मीडिया को दिये बयान में कहा कि विजय वर्मा पंजाबी समाज से ताल्लुक रखता है और वो पंजाबी बारात घर गांधी कालौनी में भी खुद को एक पदाधिकारी बताता है, पंजाबी समाज सामान्य जाति में आता है। यशपाल पंवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं के फोटो लगाकर विजय वर्मा खुद को जिला मंत्री भाजपा ओबीसी मोर्चा बताकर प्रचारित करता है। भाजपा नेता के रूप में ही वो लोगों पर रौब जमाता है, ऐसे में सवाल उठता है कि पंजाबी समाज जोकि सामान्य जाति में आता है, उसका एक व्यक्ति ओबीसी कैसे हो गया। उनका कहना है कि कई जगह विजय वर्मा द्वारा लोगों के साथ धोखाधडी की गई है। ऐसे सभी मामलों को समाज में उजागर करते हुए विजय वर्मा के एक ब्लैकमेलर के रूप को सामने लाया जायेगा।