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पालिका में आई 4 हजार लाइट कहां गई, ईओ ने बैठाई जांच

करीब आठ माह पूर्व पालिका द्वारा खरीदी गई थी 45 वॉट की 3 हजार और 90 वॉट की एक हजार एलईडी लाइट, ईओ ने पथ प्रकाश विभाग से तलब की चार हजार लाइटों के वितरण की सूची, प्रभारी से मांगी आख्या

पालिका में आई 4 हजार लाइट कहां गई, ईओ ने बैठाई जांच
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मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में दिवाली पर्व के त्यौहार पर एलईडी स्ट्रीट लाइटों का प्रकरण लगातार उलझता जा रहा है। तीन हजार नई लाइटों की खरीद का प्रकरण शिकायत के बाद जांच के फेर में फंस गया है तो अब अधिशासी अधिकारी ने करीब आठ माह पूर्व पालिका के द्वारा खरीदी गई चार हजार एलईडी लाइटों के वितरण को लेकर भी पथ प्रकाश विभाग से रिपोर्ट तलब करते हुए जांच बैठा दी है। उन्होंने इस प्रकरण में वितरण में गड़बड़ी की संभावनाओं को देखते हुए इन लाइटों के विभागीय स्तर पर किये गये वितरण और प्रकाश बिन्दुओं पर इनके अधिष्ठापन के सम्बंध में बिन्दुवार पोल्स सहित जांच आख्या तलब की है। इसके साथ ही इन लाइटों को जिन प्रकाश बिन्दुओं पर लगाया गया है, वहां से उतारी गई पुरानी एवं खराब एलईडी लाइटों के भण्डारण या उपयोग के सम्बंध में भी विस्तृत आख्या उपलब्ध कराने के आदेश दिये हैं।

नगरपालिका परिषद् में इन दिनों एलईडी लाइटों की खरीद और वितरण को लेकर अनेक सवाल उठ रहे हैं। भाजपा की चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप के बोर्ड में ही कुछ भाजपा सभासद शिकायतों के सहारे नया बवाल मचाये हुए हैं। भाजपा सभासद योगेश मित्तल और देवेश कौशिक की शिकायतों के आधार पर जांच चल रही हैं और दिवाली के अवसर पर शहर को रोशन करने के लिए तीन हजार नई लाइटों की खरीद पर पेंच फंस कर रह गया है। इसमें सभासद की शिकायत पर जांच शुरू करा दी गई है, तो वहीं अब अधिशासी अधिकारी डॉ. प्रज्ञा सिंह ने करीब आठ माह पूर्व शहर के 55 वार्डों और मुख्य मार्गों पर लगाने के लिए खरीदी गई चार हजार एलईडी लाइटों के वितरण को लेकर जांच बैठा दी है।

बता दें कि मीनाक्षी स्वरूप द्वारा चेयरपर्सन निर्वाचित होने के उपरांत 19 जुलाई 2023 को बुलाई गई अपनी दूसरी बोर्ड बैठक में शहर के सीमा विस्तारित क्षेत्र के साथ ही सभी 55 वार्डों में पथ प्रकाश व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए चार हजार एलईडी लाइटों की खरीद के लिए प्रस्ताव लाया गया था। इसे बोर्ड ने सर्वसहमति से पारित किया। इसमें 45-50 वॉट की तीन हजार और 75-90 वॉट की एक हजार एलईडी लाइटों की खरीद के लिए पथ प्रकाश विभाग द्वारा जीएसटी सहित 2 करोड़ 79 लाख 30 हजार 600 रुपये का व्ययानुमान बनाया गया था। इसमें तीन हजार एलईडी लाइट की खरीद के लिए 1 करोड़ 74 लाख 87 हजार रुपये खर्च करने का प्लान था। पालिका की तैयारी के अनुसार 45-50 वॉट की एलईडी लाइट वार्डों में गलियों में लगाने और 75-90 वॉट की एलईडी लाइटें मुख्य मार्गों को रोशन करने के लिए खरीदी जानी थी। इसमें पथ प्रकाश विभाग द्वारा 18 अगस्त 2023 को जैम पोर्टल पर निविदा मांगी गई और 13 कंपनी आई थी, जिसमें से 06 सितम्बर को खोले गये टैण्डरों में केवल तीन फर्मों की बिड ही नियम व शर्तों के अनुरूप अर्ह पाई गई थी। इसके लिए 09 नवम्बर की बोर्ड बैठक के प्रस्ताव संख्या 154 में निविदा को बोर्ड ने सहमति से अनुमोदित किया और इसके बाद चार हजार एलईडी लाइटों की खरीद करते हुए इनका वितरण कराया गया था। अब इसमें भी जांच का पेंच उलझ गया है।

शहर में इन चार हजार लाइटों का पथ प्रकाश विभाग से किया गया वितरण ही अब सवालों के घेरे में है। गड़बड़ी की संभावना को देखते हुए अधिशासी अधिकारी ने इनके वितरण और अधिष्ठापन के सम्बंध में प्रकाश बिन्दु सहित विस्तृत आख्या तलब की है। इस जांच के आदेश पर पथ प्रकाश विभाग में हलचल मची है। ईओ ने पथ प्रकाश प्रभारी अवर अभियंता जलकल धर्मवीर सिंह से तत्काल जांच करते हुए यह बताने के लिए कहा है कि पूर्व में खरीदी गई चार हजार एलईडी लाइटों का वितरण कहां, किस आधार पर कितनी संख्या में किया गया है। मुख्य मार्ग पर कहां-कहां नई लाइट लगाई गई हैं और प्रकाश बिन्दुओं पर से उतारी गई खराब एवं पुरानी एलईडी लाइटों का विभागीय स्तर पर कहां भण्डारण या पुनःउपयोग किया गया है। इसके साथ ही उनके द्वारा शहर के 55 वार्डों में लगे पथ प्रकाश बिन्दुओं की भी संख्या बताने के लिए कहा है।

इस सम्बंध में अधिशासी अधिकारी डॉ. प्रज्ञा सिंह ने बताया कि उनको जानकारी मिली है कि करीब आठ नौ माह पूर्व पथ प्रकाश विभाग के द्वारा शहरी क्षेत्र में प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए चार हजार एलईडी लाइट खरीदी गई थी। वर्तमान में भी तीन हजार एलईडी लाइट खरीद का प्रकरण प्रक्रियाधीन है। ऐसे में विभागीय स्तर पर यह जांच कराई जा रही है कि पूर्व में खरीदी गई एलईडी लाइटों को कहां पर लगाया गया, वर्तमान में उनकी क्या स्थिति है और उनके स्थान पर उतारी गई पुरानी लाइट व सामग्री कहां पर भण्डारित की गयी या लगाई गई है। पथ प्रकाश प्रभारी धर्मवीर सिंह से इस सम्बंध में तत्काल विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। पथ प्रकाश प्रभारी अवर अभियंता जलकल धर्मवीर सिंह ने बताया कि ईओ द्वारा पूर्व में खरीदी गई चार हजार एलईडी लाइटों के सम्बंध में उनके वितरण और अधिष्ठापन के लिए जांच कर रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया है। विभागीय स्तर पर तीन हजार 45 वॉड की एलईडी लाइटों को आवश्यकतानुसार सभी 55 वार्डों में लगाया जा चुका है। जबकि 90 वॉट की एक हजार एलईडी लाइटों में से विभाग के पास करीब 435 लाइटें अवशेष हैं, जिनको इस दिवाली पर प्राथमिकता के आधार पर लगाने का कार्य किया जा रहा है। इसमें कोई भी गड़बड़ी नहीं हुई है। पुरानी जो भी सामग्री या लाइट निकाली गई, वो भी वार्डों में मरम्मत के कार्य और आवश्यकता पर लगाई जा चुकी है।

सांसद हरेन्द्र मलिक ने किया बोर्ड बैठक के दौरान किया था गड़बड़ी का इशारा

मुजफ्फरनगर नगरपालिका परिषद् की सात अक्टूबर को आयोजित की गई बोर्ड बैठक में आपसी समन्वय का संदेश लेकर पहुंचे पालिका बोर्ड के पदेन सदस्य सांसद हरेन्द्र मलिक ने पथ प्रकाश विभाग में लाइटों के वितरण में गड़बड़ी होने का इशारा साफ शब्दों में करते हुए चेयरपर्सन मीनाक्षी स्वरूप से इस बात के लिए गंभीरता दिखाने को कहा था कि जो नई लाइट लग रही हैं, उनके स्थान पर उतरने वाली पुरानी लाइटों का कोई भी रिकॉर्ड विभागीय स्तर पर नहीं रखा जा रहा है।


सांसद हरेन्द्र मलिक ने बोर्ड मीटिंग से पूर्व अपने सम्बोधन में कहा था कि शहर में पालिका द्वारा प्रकाश व्यवस्था के लिए नई एलईडी लाइटें लगवाने का काम कर रही है। ये बेहतर कार्यप्रणाली है, लेकिन अधिशासी अधिकारी को इस बात पर भी नजर रखनी चाहिए कि जो नई लाइट लगाई जा रही हैं, उनके स्थान पर खराब बताकर उतारी गई लाइट और उसकी सामग्री का कहां क्या हो रहा है? सांसद ने कहा कि सतर्क नजर रखी जायेगी तो गड़बड़ी की संभावना को कम किया जा सकेगा। अब ऐसे में पूर्व में खरीदी गई चार हजार एलईडी लाइटों के वितरण को लेकर अधिशासी अधिकारी द्वारा जांच शुरू करा दी गई है।

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