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वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर लावारिसों की वारिस शालू सैनी हरियाणा में सम्मानित

शहीदे आजम भगत सिंह सेवा समिति द्वारा साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट अध्यक्ष को फीयरलैस वर्क के लिए किया गया सम्मानित

वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर लावारिसों की वारिस शालू सैनी हरियाणा में सम्मानित
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मुजफ्फरनगर। लावारिसों की वारिस के रूप में क्रांतिकारी शालू सैनी की निःस्वार्थ समाजसेवा की चर्चा केवल यूपी में ही नही बल्कि पडोसी राज्यों के साथ देश और विदेशों में भी जनता के बीच हो रही है। लोग शालू के कार्य को सराह रहे हैं तो इस सिंगल मदर को सम्मानित करते हुए प्रोत्साहित करने का काम भी किया जा रहा है। इसी कड़ी में शालू सैनी को हरियाणा में सार्वजनिक मंच पर सम्मानित किया गया।

साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की अध्यक्ष शालू सैनी ने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया। परिवार की आजीविका के लिए उनको अकेले ही घर से निकलना पड़ा। आज भी वो ठेला लगाकर परिवार की रोजी रोटी कमाने का काम करती है, लेकिन हर चुनौती ने शालू को मजबूत बनाने का काम किया। शालू ने लाावरिस शवों के अंतिम संस्कार करने का जिम्मे लेकर पुरुष प्रधान माने जाने वाले समाज को आईना दिखाया और हजारों लावारिसों का अंतिम संस्कार उनके धर्म की परम्परा के अनुसार कर आज शालू सैनी लावारिसों की वारिस बन चुकी हैं।

28 सितम्बर को शहीदे आजम भगत सिंह सेवा समिति द्वारा फियरलेस वर्क के लिए शालू को हरियाणा के अंबाला शहर मे आयोजित किये गए कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया गया। समिति के अध्यक्ष ने क्रांतिकारी शालू सैनी को सम्मानित करने के दौरान महिलाओं के लिए उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों को प्रेरणा स्रोत बताते हुए बेसहारा महिलाओें को आत्म निर्भर बनने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान क्रातिकारी शालू सैनी ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी परिस्थिति में महिलाओं को अपने आप को अबला या कमजोर नही समझना चाहिए, क्योकि जो अपनी हार पहले ही मान चुका हो उसको जीतने का मजा नही आता। उन्होंने कहा कि अक्सर महिलाएं अपने आप को कमजोर समझने लगती हैं और अराजक तत्वों एव आदम खोर मानवों की साजिश का शिकार हो जाती हैं। यदि महिलाए चाहे तो वह क्या नहीं कर सकती। इस दौरान क्रांतिकारी शालू सैनी ने शहीद भगत सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए विस्तृत रूप से जानकारी दी। कहा कि बलिदानी भगत सिंह की तरह अपनी जिंदगी में हर एक काम बड़े सच्चे ढंग के साथ करते हुए हमें अपने देश को प्यार करने का संदेश पूरी दुनिया को देना चाहिए। 23 वर्ष की उम्र में फांसी की सजा ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का लोक नायक बना दिया। देश भक्ति का नारा इंकलाब जिंदाबाद जोकि बाद में स्वतंत्रता आंदोलन का आह्वान बन गया। भगत सिंह द्वारा ही दिया गया था।

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