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मुजफ्फरनगर तक रैपिड रेल के लिए योगी सरकार ने नहीं भेजा केन्द्र को कोई प्रस्ताव

सपा सांसद हरेन्द्र मलिक को केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने लिखा पत्र, संसद में उठाये गये सवालों पर दिया जवाब, कहा-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मुजफ्फरनगर में प्रदूषणकारी उद्योगों के खिलाफ की है बंदी की कार्यवाही

मुजफ्फरनगर तक रैपिड रेल के लिए योगी सरकार ने नहीं भेजा केन्द्र को कोई प्रस्ताव
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मुजफ्फरनगर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मुजफ्फरनगर सीट से सांसद हरेन्द्र मलिक द्वारा पिछले दिनों संसद में मुजफ्फरनगर जनपद से जुड़ी अनेक समस्याओं को प्रमुखता से उठाते हुए दिल्ली से मेरठ तक चलने वाली रैपिड रेल को मुजफ्फरनगर तक चलाये जाने की मांग के साथ ही प्रदूषण फैला रही फैक्ट्रियों पर कार्यवाही करने की बात कही थी। अब सपा सांसद हरेन्द्र मलिक द्वारा उठाई गई समस्याओं पर केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने पत्र लिखकर बिन्दुवार जवाब दिया है। उन्होंने साफ कर दिया कि मेरठ से मुजफ्फरनगर तक रैपिड रेल चलाने के लिए यूपी सरकार की ओर से आज तक केन्द्र को कोई प्रस्ताव भेजा ही नहीं गया है। कहा गया कि राज्य सरकार प्रस्ताव भेजे तो ही केन्द्र सरकार इस तरह के निर्णय ले सकती है। साथ ही यह भी साफ कर दिया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लगातार प्रदूषणकारी औद्योगिक इकाईयों पर एनजीटी के निर्देशानुसार कार्यवाही की जा रही है।

सपा सांसद ने 25 जुलाई को संसद सत्र के दौरान मुजफ्फरनगर में औद्योगिक इकाइयों के द्वारा प्रदूषण फैलाने और इस कारण दूषित जल तथा हवा के कारण गांव दर गांव बीमारी फैलने के लिए भी इनको जिम्मेदारी ठहराते हुए कार्यवाही की मांग की थी। साथ ही उन्होंने इसी दिन दिल्ली से मेरठ के बीच चलने वाली रैपिड रेल को मुजफ्फरनगर तक चलाने की आवाज उठाई थी। लोकसभा के शून्य काल में उठाये गये इस सवालों को लेकर अब 16 अगस्त को केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सपा सांसद हरेन्द्र मलिक को पत्र लिखकर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि जनपद मुजफ्फरनगर में औद्योगिक प्रदूषण और रैपिड रेल की अनुपलब्धता के संबंध में उठाए गए मामले की जांच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आवास एवं शहरी मामले मंत्रालय के परामर्श से की गई थी। इसमें यह बताया गया है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय-समय पर मुजफ्फरनगर जिले में संचालित प्रमुख जल और वायु प्रदूषणकारी उद्योगों का निरीक्षण करता है।

केन्द्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र ने पत्र में कहा कि जिले में 61 प्रमुख ;लुगदी और कागज-37, चीनी-8, डिस्टिलरी-5, रंगाई-5, फार्मास्युटिकल-3, खाद्य प्रसंस्करण-1, बूचड़खाना-1 और टेनरी-1द्ध जल/वायु प्रदूषणकारी उद्योग संचालित हैं। निर्धारित उत्सर्जन और अपशिष्ट निर्वहन मानकों को पूरा नहीं करने वाले उद्योगों को जल और वायु अधिनियमों के तहत कारण बताओ नोटिस के साथ ही उनको बंद करने के निर्देश दिए जाते हैं। विभिन्न मामलों में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ;एनजीटीद्ध द्वारा दिए गए आदेशों के संदर्भ में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बनाए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाने का भी प्रावधान है।

उन्होंने सपा सांसद को बताया कि मुजफ्फरनगर में रैपिड रेल की अनुपलब्धता के संबंध में, यह सूचित किया जाता है कि शहरी नियोजन एक राज्य विषय है और संबंधित राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन सार्वजनिक परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच एकीकरण सहित शहरी परिवहन बुनियादी ढांचे की योजना बनाने, शुरू करने और विकसित करने के लिए जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति ;एनयूटीपीद्ध, 2006, मेट्रो रेल नीति, 2017 और पारगमन उन्मुख विकास नीति, 2017 तैयार की है, जो शहरी परिवहन प्रणालियों की एकीकृत योजना और कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा प्रस्तावित किए जाने पर प्रस्ताव की व्यवहार्यता और संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर शहरी रेल आधारित प्रणाली को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। वर्तमान में संबंधित राज्य सरकार द्वारा मुजफ्फरनगर तक आरआरटीएस के विस्तार के लिए कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया है।

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