अमेरिका के क्रिमिनोलॉजिस्ट, रिचर्ड क्विनी के अनुसार अपराधियों का दमन सभ्य समाज के लिए जरुरी है- अशोक बालियान
अमेरिका के क्रिमिनोलॉजिस्ट, रिचर्ड क्विनी ने अपराध पर एक दृष्टिकोण विकसित किया है और इनके अनुसार अपराधियों का दमन सभ्य समाज के लिए जरुरी है। उन्होंने कहा है कि सभ्य समाज के लिए यह बात कोई मायने नहीं रखती कि पुलिस ने अपराधियों का दमन कैसे किया है, उसे तो केवल अपराध मुक्त वातावरण चाहिए। रिचर्ड क्विनी ने पेशेवर अपराधियों व इनके समुदाय पर अध्यन किया था। भारत में भी बावरिया जैसे कुछ समुदायों में पेशेवर अपराधी होने की प्रथा चल रही है, हालांकि इनमे से काफी लोग मुख्य धारा में आ चुके है।इसी तरह भारत में बहुत सारे माफिया सरगना लम्बे समय तक अपने आप को कानून से उपर ही समझने लगते है, क्योकि उन्हें सत्ता का संरक्ष्ण मिलता है। और इसी लिए पुलिस को उनका दमन करने में कठिनाई आती है।
उत्तर भारत में बावरिया गैंग के लोग जहां रहते हैं, वहां कभी आपराधिक वारदात नहीं करते है। बावरिया समाज को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उनके रहन-सहन के तौर-तरीकों में बदलाव लाना होगा। लड़कों के साथ लड़कियों को भी शिक्षित करना सबसे जरूरी है। कुछ समय पहले मुजफ्फरनगर पुलिस के साथ हुई एक मुठभेड़ में पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना के बुआ-फूफा का हत्यारा राशिद बावरिया मारा गया था। पुलिस को बावरिया गैंग से ताल्लुक रखने वाले राशिद और उसके साथियों की तलाश थी। एसएसपी मुजफ्फरनगर संजीव सुमन के मुताबिक राशिद पर बावरिया गिरोह का शातिर सदस्य था और उस पर कई राज्यों में लूट, डकैती, हत्या के प्रयास सहित 16 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे।पुलिस से साथ मुठभेड़ में मारे गये इस तरह के दुर्दांत हत्यारे के बाद अपराधों में कमी आती है।जनपद पुलिस का यह कार्य सराहनीय था।
गौरतलब है कि पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना के फूफा के घर पर 19 अगस्त 2020 को बावरिया गैंग डकैती के दौरान हमला किया था। क्रिकेटर रैना की बुआ का घर पठानकोट के माधोपुर क्षेत्र के थरियाल गांव में है। इस हमले में इस बावरिया गिरोह ने क्रिकेटर रैना के फूफा, बुआ और चचेरे भाई की हत्या की थी। जिस बावरिया गिरोह में राशिद उर्फ सिपहिया उर्फ चलता फिरता शामिल था, वह यूपी, पंजाब और राजस्थान के चुरू में सक्रिय है और कई राज्यों में वारदातों को को अंजाम दे चुका है। यह गिरोह लूट के दौरान क्रूरता भी करता है और इस बावरिया गैंग के सदस्य डकैती के दौरान लोगों का बेरहमी से कत्ल भी करते हैं। एक बार वारदात करने के बाद उस क्षेत्र में तीन-चार महीने तक नहीं जाते थे। पुलिस के आने की भनक लगते ही अपना ठिकाना बदल देते थे।
भारत में भी आईपीसी में अनेक धारायें है जो अपराध से पहले संदिग्ध लोगो को अपराध करने से रोकने के लिए कारगर हुई है। आईपीसी की धारा 107 और 116 के तहत संदिग्ध लोगो को अपराध करने से रोकने के लिए इन्हें एसडीएम कोर्ट में पेश कर 50 हजार और इससे अधिक राशि के बाउंडओवर कराए जाते है। बाउंडओवर तोड़ने वालों को सीधे जेल भेजा जा सकता है और जुर्माना भी वसूला किया जा सकता है। बड़े बदमाशों द्वारा बाउंडओवर तोड़ने पर रासुका जैसी कार्रवाई भी की जा सकती है। लेकिन बावरिया गैंग के ये पेशेवर अपराधी कानून के हाथ नहीं आते और यदि आते भी है तो जमानत के बाद कभी कोर्ट नहीं जाते है। इसीलिए पुलिस को इनके दमन करने के लिए बहुत कार्य करना पड़ता है।
अभी हाल में ही पुलिस अभिरक्षा में गैंगवार में मारे गए माफिया सरगना अतीक अहमद और उसका भाई पेशेवर अपराधी थे।पेशेवर अपराधी जो खुद को आपराधिक गिरोहों में संगठित करते हैं, वे अक्सर दुर्दांत अपराधी होते हैं। इस तरह के पेशेवर दुर्दांत अपराधियों लोगों की शांति और सुरक्षा को खतरे में डालने का कार्य लगातार करते रहते है। इनपर अदालत में चल रही कार्यवाही का कोई फर्क नहीं पड़ता है, इसीलिए सभ्य समाज में इनका कोई स्था नहीं होना चाहिए। माफिया सरगना अतीक अहमद पुलिस अभिरक्षा में गैंगवार में मारे जाने पर व पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना के बुआ-फूफा के हत्यारे के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने पर एक किसान संगठन की टिपण्णी समझ से परे है। हमारी राय में हमें अपराध के मामले में अपनी जानकारी को व्यापक करना चाहिए, ताकि फिर हम उस पर उचित टिपण्णी कर सके।
- अशोक बालियान, चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन