डब्ल्यूएचओ की निर्धारित सीमा से 100 गुना अधिक है दिल्ली में प्रदूषण

प्रदूषण से घट रही है लोगों की औसत आयु

Update: 2023-11-04 08:05 GMT

राजधानी दिल्ली- एनसीआर में इन दिनों वायु प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। पिछले सात दिनों में यहां की वायु गुणवत्ता एक्यूआई में तेजी से गिरावट आई है। शनिवार को दिल्ली के ज्यादातर इलाकों का एक्यूआई बहुत खराब स्तर में 400 के पार दर्ज किया गया है। इस तरह की वायु गुणवत्ता को सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 15-20 दिनों तक यहां इसी तरह की स्थिति बनी रह सकती है, ऐसे में सभी लोगों को अलर्ट रहने और बचाव को लेकर उपाय करते रहने की आवश्यकता है। इस बीच एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दिल्ली में साल-दर-साल बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दिल्ली के कई हिस्सों में एक्यूआई 500 के आंकड़े को छू रही है, ये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा से करीब 100 गुना अधिक है। दिल्ली के साथ-साथ देश के कई अन्य राज्यों में भी प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है, जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दुष्प्रभावों को लेकर भी आशंका जताई गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दिल्ली पिछले कई वर्षों से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक बनी हुई है, जिसका मतलब है कि लगभग 33 मिलियन लोग ;3.3 करोड़द्ध लोगों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का गंभीर जोखिम बना हुआ है। शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा संकलित इस वर्ष के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार, दिल्ली के लोग जिस खराब गुणवत्ता वाली हवा में सांस लेते हैं, उसके कारण उनका जीवन करीब 11.9 वर्ष कम हो सकता है। साल-दर साल ये खतरा बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली में डॉक्टरों का कहना है, प्रदूषण बढ़ने के कारण इसके कई तरह के हानिकारक स्वास्थ्य जोखिम वाले लोगों के मामले भी बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि यहां सांस संबंधी समस्या वाले रोगियों की संख्या में वृ(ि हुई है। अधिकतर लोगों को खांसी, सर्दी,और आंखों में जलन-पानी आने और सांस लेने में समस्या हो रही है। इससे हर उम्र के लोग प्रभावित होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वायु प्रदूषण के कारण कई गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी बढ़ता देखा गया है। प्रदूषण, फेफड़ों के साथ शरीर के कई अन्य अंगों को भी गंभीर तौर पर प्रभावित करता देखा जा रहा है।

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