काबुल । अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान के हाथ अब अरबों डॉलर के घातक हथियार लगे हैं। यह वही हथियार हैं जो अमेरिका और रूस ने अफगानिस्तान की सरकार को दिए थे।
अफगानिस्तान में तालिबान के पास अब अपने शस्त्रों के साथ रूस और नाटो संगठन के हथियार भी हैं। इस जखीरे में सैन्य हेलीकॉप्टर से लेकर बख्तरबंद गाड़ियां शामिल हैं। अफगान सरकार के लिए रूसी हेलीकॉप्टर उड़ाने वाले पायलट अब तालिबान में शामिल हो चुके हैं। तालिबान के जखीरे में शामिल एयरक्राफ्ट्स की बात करें तो अब तक समूह के पास अमेरिका में बनाए गए Mi-24 अटैक चौपर्स और UH-60 ब्लैकहॉक, रूस में बनाया गया Mi-8/17 ट्रांसपोर्ट और ब्राजील में बनाए गए A-29 सुपर टुकानो लाइट फाइटर्स मौजूद है। तालिबान के पास सैकड़ों Humvees
सैन्य गाड़ियों में तालिबान के पास सैंकड़ों Humvees हैं। इनमें से कइयों को हवाई हमलों को नाकाम करने के लिए खासतौर पर मॉडिफाई किया गया है। तालिबान के कई जिलों पर कब्जा करने के लिए तालिबान ने इन गाड़ियों का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा कई दर्जन आर्मी पिकअप ट्रक और कंटेनर्स समूह के जखीरे में शामिल हैं जिनका इस्तेमाल हथियारों और सैन्य उपकरण के परिवहन के लिए किया जा रहा है।
बंदूकों की बात करें तो समूह के शस्त्र भंडार में लाखों गोलियां और अज्ञात संख्या में हथियार शामिल हैं। इसके अलावा मैदान छोड़कर भागती सेना अपने पीछे हजारों ग्रेनेड, रॉकेट और विस्फोटक सामग्री छोड़ गई है। अमेरिका के स्कैन ईगल ड्रोन भी तालिबान के पास है जिसका इस्तेमाल हवाई हमलों के लिए किया जाता है। रूस में बनाए गए ढेरों T-55/62 टैंक और 50 से अधिक अमेरिकी M-1117 टैंक अब आतंकियों के कब्जे में हैं। समूह कई प्रमुख सैन्य अड्डों को भी अपना ठिकाना बना चुका है।