शोधकर्ता के अनुरोध पर डेटाबेस से वुहान वायरस का डेटा हटाया गया

रिपोर्ट में ब्लूम ने दावा किया था कि चीनी शोधकर्ताओं ने वुहान में कोविड के शुरुआती मरीजों के सैंपल लिए थे और उनकी सीक्वेंस अमेरिकी डेटाबेस पर भेजे थे। उन्होंने कहा कि बाद में इसे हटा लिया गया था।

Update: 2021-06-25 06:18 GMT

वाॅशिंगटन। अमेरिकी डेटाबेस से चीन में मिले कोरोना वायरस के जेनेटिक सीक्वेंसिंग का डेटा गायब होने का मुद्दा गरमाने के बाद अमेरिका ने यह साफ कर दिया है कि चीनी शोधकर्ता के कहने पर इस डेटा को हटाया गया था। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है।

हाल ही में अमेरिकी वायरोलाॅजिस्ट जेसी ब्लूम ने डेटा गायब होने पर सवाल उठाए थे। बुधवार को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स आॅफ हेल्थ ने बयान दिया कि डेटा अमेरिका के सीक्वेंस रीड आर्काइव में मार्च 2020 को जमा किया गया था। इसके तीन महीनों बाद उसी शोधकर्ता की तरफ से इसे श्हटाने का अनुरोधश् किया गया। ये जेनेटिक सीक्वेंस चीन के वुहान शहर से आई थीं, जहां कोविड-19 शुरुआती रूप से पाया गया था। रिपोर्ट में एजेंसी के हवाले से बताया गया है कि उस वक्त यह कारण दिया गया था कि सीक्वेंस की जानकारी अपडेट कर दी गई है और उसे दूसरे डेटाबेस में जमा किया जा रहा था। एजेंसी ने कहा, श्डेटा जमा करने वाले जांचकर्ता के पास इसका पूरा अधिकार होता है और वे इसे हटाने का अुनरोध कर सकते हैं।श् उन्होंने कहा कि छप्भ् इस बात का अनुमान नहीं लगा सकता कि इसके पीछे जांचकर्ता का मकसद क्या था।

अमेरिकी डेटाबेस से जेनेटिक सीक्वेंसिंग की जानकारी गायब होने के बाद हड़कंप मच गया था। वायरोलाॅजिस्ट ब्लूम ने इस मामले को सार्वजनिक किया था। हालांकि, उन्होंने बाद में गायब हुए डेटा को दोबारा हासिल कर लिया था और साफ किया था कि इसके जरिए वायरस की उत्पत्ति की निश्चित जानकारी नहीं मिलती है। मंगलवार को जारी की गई अपनी रिपोर्ट में ब्लूम ने दावा किया था कि चीनी शोधकर्ताओं ने वुहान में कोविड के शुरुआती मरीजों के सैंपल लिए थे और उनकी सीक्वेंस अमेरिकी डेटाबेस पर भेजे थे। उन्होंने कहा कि बाद में इसे हटा लिया गया था। ब्लूम एक स्प्रेडशीट पर मौजूद मार्च 2020 के डेटा की तलाश कर रही थीं, जिसमें वुहान यूनिवर्सिटी में एकत्र किए गए 241 जेनेटिक सीक्वेंस शामिल थे। जब उन्होंने वुहान सीक्वेंस को लेकर जानकारी तलाशी तो कोई डेटा नहीं मिला। बाद में अमेरिकी शोधकर्ता ने गूगल क्लाउड से डिलीट हुई फाइल को दोबारा हासिल कर लिया था।

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