विरोध से डरी त्रिवेन्द्र सरकार-उत्तराखंड बाॅर्डर पर अब कोरोना जांच नहीं

Update: 2020-09-18 10:56 GMT

देहरादून। उत्तराखंड राज्य में दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों की बाॅर्डर पर कोविड-19 संक्रमण की पेड जांच के फरमान का विरोध होने पर भाजपा सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिये हैं। त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने इस पर हो रहे हंगामे के डर से अब बाॅर्डर पर जांच की अनिवार्य को समाप्त कर दिया है। बाॅर्डर पर लोगों से जांच के लिए 2400 रुपये लिये जा रहे थे, जिसका भारी विरोध होने पर सरकार ने अब नई व्यवस्था लागू कर दी है।

उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने सरकार के फैसले की जानकारी सार्वजनिक करते हुए उत्तराखंड बाॅर्डर पर पेड जांच की व्यवस्था को समाप्त करने के निर्णय के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब फैसला किया है कि राज्य में शूटिंग या पर्यटन जैसी गतिविधियों के लिए आने वाले लोगों को ही कोविड-19 टेस्ट के लिए रिपोर्ट दिखानी होगी निगेटिव जांच वाले लोगों को ही प्रवेश दिया जायेगा। राज्य सरकार ने इससे पहले बाॅर्डर पर राज्य में प्रवेश करने वाले दूसरे राज्यों के लोगों के लिए पेड कोविड टेस्ट की व्यवस्था की थी। इसके लिए आशारोडी चेक पोस्ट के पास स्थित राज्य कर कार्यालय परिसर में पेड कोविड टेस्ट के लिए टीम को लगाया था।

यहां पर गुरूवार को 1200 लोग हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब व दिल्ली आदि प्रदेशों से पहुंचे थे, उन्होंने जांच के लिए 2400 रुपये देने से इंकार करते हुए हंगामा किया था। केवल 6 लोगों ने ही इतनी रकम देकर अपना कोविड टेस्ट यहां पर कराया था। इसी हंगामा से डर कर राज्य सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिये हैं। यहां हंगामा होने के बाद सरकार की ओर से रेपिड एंटीजन टेस्ट की व्यवस्था कराई गयी, जोकि फ्री कराया गया। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि सरकार ने अब राज्य में आने वाले 10 साल आयु से कम के बच्चे, बुजुर्ग कारोबारियों, बिजनेसमैन, वीआईपी लोगों, अधिकारियों और न्यायिक अधिकारियों के साथ ही गर्भवती महिलाओं को बाॅर्डर पर पेड कोविड टेस्ट की अनिवार्यता से मुक्त कियाह ै। इसके साथ ही घर पर किसी की मौत हो जाने, बीमार होने या किसी भी कार्य से बाहर जाने के बाद वापस घर लौटने, परिजनों की देखभाल के लिए अपने घर वापस आने वाले लोगों के लिए भी उत्तराखंड बाॅर्डर पर कोविड टेस्ट कराने की अनिवार्यता नहीं रहेगी।

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