अपरा एकादशी पर शरबत पिलाने पहुंचे मंत्री कपिल देव ने झाड़ू लगाकर दिया प्रेरक संदेश
शिव मूर्ति पर शीतल जल सेवा के साथ साफ सफाई कर किया स्वच्छता के प्रति जागरुक
मुजफ्फरनगर। अपरा एकादशी के अवसर पर शहर की हृदय स्थली शिव चौक पर श्री श्याम परिवार सुखी परिवार द्वारा आयोजित शीतल जल सेवा शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार ने लोगों को ठंडा मीठा शरबत पिलाने के साथ ही श्रमदान कर साफ़ सफाई का एक प्रेरक संदेश भी दिया। मंत्री को हाथ में झाड़ू लेकर शीतल जल सेवा शिविर में सड़क पर साफ सफाई करते हुए आयोजकों ने देखा तो वो भी प्रेरित हुए और सभी ने मिलकर स्वच्छता को अपनाने के लिए एक जनजागरण छेड़ दिया। मंत्री कपिल देव ने कहा कि ऐसे आयोजनों के बाद अक्सर आयोजक कूड़ा करकट मौके पर ही छोड़ जाते हैं, जिससे गन्दगी पनपती है और सफाई कर्मचारियों पर बोझ बढ़ जाता है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम ऐसे शिविरों के आयोजन के बाद खुद सफाई करें, प्रकृति का संरक्षण करें।
अपरा एकादशी श्री खाटू श्याम प्रेमियों के द्वारा श्री श्याम परिवार सुखी परिवार के बैनर तले शिव मूर्ति पर रविवार को शीतल जल सेवा शिविर का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश सरकार के व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास, उद्यमशीलता विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल भी पहुंचे थे। उन्होंने शिविर का शुभारंभ किया। आयोजकों ने अंगवस्त्र भेंट कर उनका स्वागत किया। इसके साथ ही आयोजकों के साथ मिलकर मंत्री कपिल देव ने भीषण गर्मी में लोगों को मीठा और ठंडा शरबत वितरितर किया।
इस दौरान उन्होंने देखा कि आयोजकों ने शरबत के लिए कागज के गिलास की व्यवस्था की थी, तो उन्होंने इसके लिए सराहना की और जब उनको शिविर के आसपास इन गिलास के कारण गन्दगी नजर आई तो उन्होंने झाूड़ू और वाइपर उठाकर स्वयं ही सड़क पर साफ सफाई करनी प्रारम्भ कर दी। यह देखकर आयोजकों में भी हलचल मच गई और वो भी मंत्री के साथ सफाई के कार्य में जुट गये।
कुछ ही देर में शिव मूर्ति पर सफाई कर स्वच्छता का संदेश दिया गया। मंत्री ने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि आज उनके द्वारा सांकेतिक रूप से सफाई कर यही संदेश देने का प्रयास किया गया है कि पानी और भोजन वितरण जैसी सेवा करें, लेकिन ऐसे में आयोजक स्वच्छता का भी ध्यान रखें। प्लास्टिक के गिलास का इस्तेमाल न करें, कागज के गिलास का ही प्रयोग करें। उनके द्वारा इसके सहारे प्रकृति का दोहन न करने का भी संदेश दिया गया है। उन्होंने बताया कि ये सांकेतिक रूप से श्रमदान किया गया है, ताकि लोगों को समाजसेवी संगठनों को स्वच्छता के प्रति उनके नागरिक दायित्वों का भी बोध कराया जा सके और लोग सेवा के साथ स्वच्छता के लिए भी जागरूक हो सकें।