NIRDHAN KE BHAGWAN-गरीबों को भोजन और लावारिसों की अंत्येष्टि, महेश का जीवन समाज को समर्पित
रेलवे स्टेशन की महाकाल लंगर सेवा के 4 साल पूरे, गरीबों को निःशुल्क भोजन करा रहे महेश बाठला को महाकाल ने बनाया गरीबों का सहारा, लावारिस अज्ञात व्यक्तियों का दाह संस्कार भी पूरे मन से करने में जुटे हैं महेश, सेवा के अवसर को मान रहे महाकाल का परम आशीर्वाद
मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर का रेलवे स्टेशन सामाजिक सद्भाव और एकता का एक ऐसा अनूठा संगम बनकर सामने आया है, जो सभी को प्रेरित कर रहा है, यहां पर भूखे पेट गरीबों को भरपेट भोजन निःशुल्क मिल रहा है। यह सेवा कोई एक-दो दिनों की नहीं, बल्कि चार साल का अपना सफर बिना रूके और बिना थके पूरे कर चुकी है। कोरोना काल के दौरान बेसहारा गरीबों और मजदूरों को भरपेट भोजन देने की सेवा करने के लिए घर से निकलने वाले महेश बाठला ने इसे ही अपना जीवन बना लिया। वो चार सालों तक बिना थके और रूके इस सेवा को जारी रखे हुए हैं। इसके लिए उनको समाज के हर वर्ग का सहयोग और प्यार मिल रहा है। वो गरीबों के लिए एक बड़ा सहारा बने हैं। भूखों को भोजन की व्यवस्था के साथ ही वो लावारिसों की अंत्येष्टि भी धार्मिक बंधनों को त्यागकर कर रहे हैं। अब तक महेश न जाने कितने हिन्दू और कितने मुस्लिमों को उनकी धार्मिक रीतियों के अनुसार अंतिम संस्कार कर चुके है।
रेलवे स्टेशन पर महाकाल लंगर सेवा किसी पहचान की मोहताज नहीं रही है। यहां पर चल रही महाकाल लंगर सेवा द्वारा गरीब, असहाय व बेघर घर लोगों को प्रतिदिन शाम को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराने के इस सफर को आज 4 साल का समय पूरा हुआ है। इस लंगर सेवा में सैकड़ों लोग रोजाना भोजन करते हैं, महा लंगर सेवा के आयोजकों का कहना है कि हमारे शहर में कोई गरीब मजदूर पैसे के अभाव में भूखा ना सोए, यही इस सेवा को शुरू करने का उद्देश्य है। यह लंगर सेवा कोरोना काल में महेश बाठला द्वारा 28 मई 2020 को अपने माता-पिता प्रेम सागर बाठला और आरती बाठला की वैवाहिक वर्षगांठ के उपलक्ष में शुरू की गई थी। उनके पिताजी प्रेम सागर बाठला का मानना है जन्मदिन, मैरिज एनिवर्सरी के अवसर पर गरीब लोगों को भोजन करा देना सबसे बड़ा पुण्य है। इससे खुशी दोगुनी हो जाती है। यह लंगर सेवा 2020 से लगातार रेलवे स्टेशन पर चल रही है। इस लंगर सेवा शहर के दानी लोगों का बड़ा योगदान है। बहुत लोग बच्चों के जन्मदिन तथा मैरिज एनिवर्सरी पर गरीबों को यहां आकर अच्छा खाना खिलाकर मना रहे हैं।
महाकाल लंगर सेवा के द्वारा लावारिस शवों के दाह संस्कार की सेवा भी की जाती है। जिले के सभी थानों से उपलब्ध सूचना के आधार पर महाकाल लंगर सेवा के प्रमुख समाजसेवी महेश बाठला और सरदार गुरजीत सिंह स्वयं अपने खर्च पर अंतिम संस्कार कराने के कार्य में जुटे हुए हैं। इसमें कोई भी धार्मिक बंदिश इनके आड़े नहीं आई। महेश बाठला अपने सहयोगियों के साथ मिलकर हिन्दू और मुस्लिम ने जाने कितने लावारिस शवों की अंतिम क्रिया उनके धार्मिक रीति के अनुसार करा चुके हैं।
शहर के सदर बाजार में रेडिमेड गारमेंट का व्यापार करने वाले महेश बाठला महाकाल लंगर में गरीबों के लिए तैयार होने वाले भोजन के कार्य से भी एक ऐसे परिवार का सहयोग ले रहे हैं, जो निर्धन है। इस परिवार की बेटियां भोजन तैयार करती हैं और स्टेशन तक पहुंचाया जाता है। इसके लिए परिवार को उनका मेहनताना दिया जाता है। जो भी अपनी सेवा देना चाहे वो महेश बाठला से सम्पर्क कर सकता है। उन्होंने बताया कि पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अंजू अग्रवाल, उनके पति इंजी. अशोक अग्रवाल, सरदार गुरजीत सिंह का महाकाल लंगर सेवा में मुख्य योगदान बना रहता है। उनका मानना है आज हमारे शहर में कोई भी गरीब आदमी भूख तो नहीं सोता है। लंगर सेवा के बहुत सहयोगी है जो आर्थिक सहयोग करके लंगर सेवा में चला रहे हैं। मुख्य रूप से अनिल बजाज, श्याम नारंग, सचिन खुराना, नवीन त्यागी, हिमांशु बाठला, बेबी दीदी, रमींदर कौर, भावना, भाग्यवान, अतिका, चावला जी, राजेश गोयल और अरविंद त्यागी शामिल हैं। उन्होंने सभी दान दाताआंे का महाकाल लंगर सेवा के सफर को चार साल तक पहुंचाने के लिए आभार भी जताया।