नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट केंद्र से पूछा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के फैसले को उचित ठहराने के लिए उसने किस तरह के कदम उठाए हैं. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि यदि किसी नौकरी के विशेष संवर्ग में एससी और एसटी को पदोन्नति में आरक्षण को न्यायिक चुनौती दी जाती है तो सरकार को इसे इस आधार पर उचित ठहराना होगा कि किसी विशेष संवर्ग में उनका अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है और कोटा प्रदान करने से समग्र प्रशासनिक दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.
पीठ ने कहा, 'कृपया सिद्धांतों पर बहस न करें. हमें आंकड़ें दिखाएं. आप प्रोन्नति में आरक्षण को कैसे सही ठहराते हैं और निर्णयों को सही ठहराने के लिए आपने क्या प्रयास किए हैं. कृपया निर्देश लें और इस बारे में हमें बताएं.' सुनवाई की शुरुआत में केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने 1992 के इंद्रा साहनी मामले, जिसे मंडल आयोग मामले के रूप में जाना जाता है, से लेकर 2018 के जरनैल सिंह मामले में शीर्ष अदालत के फैसलों का जिक्र किया. मंडल फैसले में पदोन्नति में आरक्षण से इंकार किया गया था.