सीबीआई की मवेशी तस्करों के विरुद्ध 4 राज्यों में छापेमारी, बीएसएफ के पूर्व कमांडेंट समेत चार के विरुद्ध केस दर्ज
गौवंश भाजपा के लिए एक बड़ा मुद्दा रही है, इसे लेकर सरकार ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं। छुट्टा पशुओं के लिए जनपद स्तर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गौ आश्रय केंद्र स्थापित किये हैं। गौवंश की तस्करी के विरुद्ध छेड़े अभियान में भारी कामयाबी हासिल हुई है। भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिये मवेशियों की तस्करी से जुड़े मामले में सीबीआई ने देश के 15 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता, सिलीगुड़ी और मुर्शिदाबाद, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, पंजाब के अमृतसर और छत्तीसगढ़ के रायपुर में छापेमारी की। वहीं जांच एजेंसी ने इस संबंध में दिल्ली में भी छापेमारी की। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सीबीआइ ने इस मामले में कई लोगों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज कराए हैं। जिसमें बीएसएफ की 36वीं बटालियन के तत्कालीन कमांडेंट सतीश कुमार का नाम भी शामिल है।
वहीं, मवेशी तस्करी के कथित सरगना इनामुल हक और अन्य व्यक्तियों-अनवारूल और मोहम्मद गुलाम मुस्तफा को भी नामजद किया है। आपको बता दें कि कुमार इस समय रायपुर में पदस्थ हैं। अनवारूल हक इससे पहले भी गिरफ्तार हो चुका है। सीबीआइ ने मार्च, 2018 में एक अन्य बीएसएफ कमांडेंट जिबू टी मैथ्यू को रिश्वत देने के आरोप में अनवारूल हक़ को गिरफ्तार किया था। अनवारूल हक़ को जनवरी, 2018 में अलप्पुझा रेलवे स्टेशन से 47 लाख रुपये की नकदी के साथ पकड़ा गया था। सीबीआई ने अप्रैल, 2018 में प्रारंभिक जांच के जरिये हक की कथित अवैध गतिविधियों और उन अन्य सरकारी अधिकारियों से उसके संबंधों की पड़ताल शुरू कर दी है। जांच का मुख्य बिंदु ये पता लगाना है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर अनवारूल हक़ के अवैध कारोबार में किन लोगों ने मदद की।
आपको मालूम हो कि बांग्लादेश से लगती सीमा की रक्षा का दायित्व बीएसएफ के पास है। सीबीआई का कहना है कि सतीश कुमार दिसंबर, 2015 से अप्रैल, 2017 तक पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में बीएसएफ की 36वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में पदस्थ थे। उनके अधीन बीएसएफ की चार कंपनियां थीं। 2 कंपनियां मुर्शिदाबाद और 2 कंपनियां मालदा में सीमा के पास तैनात थीं। अधिकारियों ने ये भी बताया कि सतीश कुमार की इस पदस्थापना के दौरान बीएसएफ ने तस्करी के लिए ले जायी जा रहीं 20 हजार से अधिक गायें बरामद कीं। आगे कहा, गायों की तस्करी की कोशिश में इस्तेमाल किये गये वाहन और तस्कर सीबीआई की पकड़ के बाहर हैं। सीबीआई ने बताया तस्करी में इस्तेमाल होने वाले वाहन और तस्करों को कभी नहीं पकड़ा जा सका।
सीबीआई ने बताया कि तस्करों, सीमा शुल्क और बीएसएफ के कुछ अधिकारियों के बीच गठजोड़ के चलते कागजों पर इन मवेशियों को वजन और आकार के हिसाब से छोटा दिखाया गया तथा उनकी नस्ल के रिकॉर्ड में भी छेड़छाड़ की गयी। इसकी वजह से बरामदगी के तुरंत बाद हुई नीलामी में इनकी कीमत घट गयी। मामले को देख रहे अधिकारियों ने कहा कि सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि हक, अनारुल और मुस्तफा सीमा शुल्क विभाग द्वारा की जाने वाली नीलामी में इन मवेशियों को वापस कम दामों में खरीद लेते थे। आरोप में कहा गया है, इसके बदले में मोहम्मद इनामुल हक प्रति मवेशी संबंधित बीएसएफ अधिकारियों को दो हजार रुपये और सीमा शुल्क अधिकारियों को 500 रुपये देता था। सीबीआई की मानें तो तस्कर, अधिकारियों को रिश्वत और कमीशन देते थे। सीबीआइ का आरोप है, 'सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी हक, मुस्तफा और अनारुल जैसे सफल बोली लगाने वालों से नीलामी की कुल कीमत की 10 प्रतिशत राशि रिश्वत में लेते थे। प्राथमिकी में केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा है कि जब्त मवेशियों को चारा खिलाने के बदले बीएसएफ और सीमा शुल्क विभाग के बीच कोई शुल्क वसूली नहीं हुई, लेकिन सफल बोली लगाने वाले लोग बीएसएफ के अधिकारियों को प्रति मवेशी 50 रुपये देते थे। सीबीआई का कहना है कि कुमार का बेटा मई, 2017 से दिसंबर, 2017 के बीच हक द्वारा प्रवर्तित एक कंपनी में नौकरी करता था, जहां उसे हर महीने 30-40 हजार रुपये मिलते थे।
इससे उसके इस अपवित्र गठजोड़ के भागीदारों के साथ घनिष्ठ संबंध का पता चलता है। भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिये मवेशियों की तस्करी से जुड़े लोगों का पर्दाफाश करने के लिए सीबीआई ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी की। सूत्रों ने बताया कि सीबीआइ पश्चिम बंगाल में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मवेशियों की तस्करी की जांच पिछले एक साल से कर रही है। वहीं, बीएसएफ के सूत्रों ने एक बड़ा खुलासा किया है। सूत्रों के अनुसार तस्कर मवेशियों की तस्करी करते समय उनके गले में सॉकेट बम बांध देते हैं। इसकी वजह ये है कि मवेशियों के पकड़े जाने पर जवानों को सॉकेट बम से नुकसान पहुंचाया जा सके।