भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से 11.2 महीने का आयात संभव, आरबीआई की रिपोर्ट में खुलासा

देश के आयात कवर का नवीनतम आंकड़ा मार्च 2024 के अंत में दर्ज 11.3 महीने के कवर से थोड़ा कम है। आयात कवर आयात के महीनों की संख्या का एक माप है जिसे विदेशी मुद्रा भंडार के वर्तमान स्तर से पूरा किया जा सकत है। यह आंकड़ों बाहरी आर्थिक झटकों के खिलाफ देश के लचीलेपन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।

Update: 2024-10-30 08:47 GMT

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश का विदेशी मुद्रा भंडार आयात (भुगतान संतुलन के आधार पर) को 11.2 महीने तक कवर कर सकता है। इसका मतलब है कि 11.2 महीने के कुल आयात खर्च को वर्तमान विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर पूरा किया जा सकता है। मंगलवार को जारी आरबीआई की रिपोर्ट में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार, आयात कवर और अंतरराष्ट्रीय निवेश की स्थिति (आईआईपी) पर अपडेट दिया गया है। यह रिपोर्ट जून 2024 के अंत तक देश की बाहरी वित्तीय स्थिति की जानकारी दी है।

देश के आयात कवर का नवीनतम आंकड़ा मार्च 2024 के अंत में दर्ज 11.3 महीने के कवर से थोड़ा कम है। आयात कवर आयात के महीनों की संख्या का एक माप है जिसे विदेशी मुद्रा भंडार के वर्तमान स्तर से पूरा किया जा सकत है। यह आंकड़ों बाहरी आर्थिक झटकों के खिलाफ देश के लचीलेपन का एक महत्वपूर्ण संकेतकहै। रिपोर्ट के अनुसार, "जून 2024 के अंत में, आयात (भुगतान संतुलन के आधार पर) को कवर करने वाला विदेशी मुद्रा भंडार 11.2 महीने रहा, मार्च 2024 के अंत में 11.3 महीने था"। विवरण से पता चलता है कि भंडार में अल्पकालिक ऋण के अनुपात में वृद्धि हुई है। मार्च 2024 तक, अल्पकालिक ऋण (मूल परिपक्वता के आधार पर) भंडार का 19.7 प्रतिशत था। हालांकि, जून के अंत तक, यह अनुपात बढ़कर 20.3 प्रतिशत हो गया, जो देश के भंडार की तुलना में अल्पकालिक देनदारियों में मामूली वृद्धि को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, अस्थिर पूंजी प्रवाह का अनुपात- जिसमें संचयी पोर्टफोलियो अंतर्वाह और बकाया अल्पकालिक ऋण शामिल हैं- भंडार के सापेक्ष मामूली वृद्धि देखी गई, जो मार्च के अंत में 69.8 प्रतिशत से जून के अंत में 70.1 प्रतिशत हो गया। आरबीआई की रिपोर्ट में भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति (आईआईपी) में बदलावों पर भी प्रकाश डाला गया, जो देश की बाहरी वित्तीय परिसंपत्तियों और देनदारियों का एक व्यापक रिकॉर्ड है। रिपोर्ट के अनुसार जून 2023 के अंत और जून 2024 के अंत के बीच भारत की बाहरी परिसंपत्तियों में 108.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि देखी गई, जबकि इसी अवधि में बाहरी देनदारियों में 97.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई। परिसंपत्तियों और देनदारियों में यह वृद्धि देश की अंतरराष्ट्रीय व्यस्तताओं और वित्तीय लेन-देन की जानकारी देती है। कुल मिलाकर, ये अपडेट भारत की बाहरी आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं और वैश्विक वित्तीय गतिशीलता के बीच अपने विदेशी मुद्रा भंडार के लचीलापन की जानकारी देते हैं । आईआईपी पर आरबीआई के डेटा, आयात कवर और ऋण-से-रिजर्व अनुपात जैसे उपायों के साथ, अस्थिर वैश्विक वातावरण में भारत की आर्थिक स्थिरता का आकलन करने मामले में महत्वपूर्ण बने हुए हैं।

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