नई दिल्ली। सीएजी की जांच में वित्त मंत्री के झूठ का खुलासा हुआ है। पिछले सप्ताह ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जानकारी दी थी कि राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति देने के लिए कन्सॉलिडेटेड फंंड ऑफ इंडिया (सीएफआई ) से फंड जारी करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। लेकिन, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का कहना है कि खुद सरकार ने ही इस नियम का उल्लंघन किया है।सीएजी का कहना है कि वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में केंद्र सरकार ने जीएसटी क्षतिपूर्ति का 47,272 करोड़ रुपये CFI में ही रखा है। इस फंड को दूसरे काम के लिए इस्तेमाल किया गया। इससे उस समय राजस्व प्राप्ति बढ़ी और राजकोषिय घाटा कम हुआ। सीएजी ने कहा, 'स्टेटमेंट 8, 9 और 13 के ऑडिट परीक्षण की जानकारी से पता चलता है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर कलेक्शन में कम फंड क्रेडिट हुआ। वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए 47,272 करोड़ रुपये कम फंड क्रेडिट हुआ। ' यह जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर एक्ट 2017 के नियमों का उल्लंघन है।
इस एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक, किसी भी साल में जमा किए गए कुल उपकर कलेक्शन नॉन-लैप्सड फंड (जीएसटी कंपेनसेशन सेस फंड) में क्रेडिट किया जाता है। यह पब्लिक अकाउंट का हिस्सा है और इसका इस्तेमाल राज्यों को जीएसटी रेवेन्यू की भरपाई के लिए इस्तेमाल होता है। लेकिन, केंद्र सरकार कुल जीएसटी उपकर को जीएसटी कंपेनसेशन फंड में ट्रांसफर करने की बजाय इसे CFI में ही रखा है। बाद में इसका इस्तेमाल किसी अन्य काम के लिए किया गया।
इस रिपोर्ट को आसान भाषा में समझें तो वित्त वर्ष 2018-19 में इस फंड में 90,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का बजट प्रावधान था। यही रकम राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के तौर पर जारी किया जाना था। लेकिन, इस साल जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर के तौर पर 95,081 करोड़ रुपये जमा हुए थे। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने इसमें से केवल 54,275 करोड़ रुपये ही कंपेनसेशन फंड में ट्रांसफर किया। इस फंड में से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 69,275 करोड़ रुपये जीएसटी क्षतिपूर्ति के तौर पर जारी किए गए। इस फंड में पहले से ही 15,000 करोड़ रुपये जमा थे।