यूपी में सबसे दागदार है खादी

देश में राजनेताओं के खिलाफ 4,442 आपराधिक मामलों में विभिन्न अदालातों में सुनवाई चल रही है। इनमें से मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ 2556 मामले भी शामिल हैं।

Update: 2020-09-10 08:36 GMT

नई दिल्ली। खादी में दागदारों के मामले देश में सियासत के चेहरे का नजारा पेश करते हैं। एक जानकारी के अनुसार देश में राजनेताओं के खिलाफ 4,442 आपराधिक मामलों में विभिन्न अदालातों में सुनवाई चल रही है। इनमें से मौजूदा सांसदों और विधायकों के खिलाफ 2556 मामले भी शामिल हैं। बताया गया है कि यूपी में सबसे अधिक दागी नेता हैं। इसके बाद बिहार का नंबर है।

भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर कोर्ट के आदेश पर यह रिपोर्ट दाखिल करते हुए बताया कि सभी हाईकोर्ट द्वारा सुप्रीम कोर्ट को मुहैया कराए गए आंकड़ों के खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट संसद और विधानसभाओं में चुने जन प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों का तेजी से निपटारा करने के मुद्दे पर विचार करने को दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसी के तहत सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को नेताओं के खिलाफ लंबित मामलों की जानकारी देने को कहा था। एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने सभी हाईकोर्ट से मिली जानकारी के आधार अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी है। 25 पेज के हलफनामे में कहा गया है कि कहा गया है कि तमाम अदालतों में कुल 4,442 मामले लंबित हैं, जिनमें से 2556 मामलों में मौजूदा सांसद व विधायक आरोपी हैं। इसमें बताया गया कि यूपी में राजनेताओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 1217 मामले लंबित हैं। इनमें से 446 मामले मौजूदा सांसदों व विधायकों के खिलाफ हैं। इसके बाद बिहार में 531 मामलों में से 256 में वर्तमान विधि निर्माता आरोपी हैं। रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने 352 मामलों की सुनवाई पर रोक लगाई है। 413 मामले ऐसे अपराधों से संबंधित हैं जिनमें उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इनमें से 174 मामलों में पीठासीन निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं। रिपोर्ट में मामलों का तेजी से निपटारा करने के लिए हर जिले में विशेष अदालत बनाने का सुझाव दिया गया है। इसमें उन मामलों पर प्राथमिकता से सुनवाई को कहा गया है जिनमें अपराध के लिए मौत की सजा या उम्र कैद का प्रावधान है। इसके बाद सात साल की कैद की सजा के अपराधों पर सुनवाई के अलावा मौजूदा सांसदों व विधायकों के मामलों को प्राथमिकता से लेने के सुझाव भी दिए गए हैं।

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