जयंत की पंचायत में रिपोर्टर ने छोड़ी 12 लाख की नौकरी

मेरठ। जिले के मवाना क्षेत्र के भैंसा गांव में रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी की किसान महापंचायत में एबीपी न्यूज चैनल से सीनियर रिपोर्टर रक्षित सिंह ने मंच पर आकर चैनल की नौकरी को लात मार दी। रक्षित ने चैनल पर सच नहीं दिखाने का आरोप लगाते हुए किसान समर्थन में नौकरी छोड़ने का दावा किया है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ।

Update: 2021-02-27 12:59 GMT

मेरठ। जिले के मवाना क्षेत्र के भैंसा गांव में शनिवार को किसान आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रीय लोकदल की िकिसान महापंचायत हुई, इमसें रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी मुख्य अतिथि रहे। किसानों के मुद्दे पर केन्द्र सरकार के खिलाफ इस महापंचायत में एक हाईप्रोफाइल पिक्चर भी सामने आयी। इस महापंचायत में एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपनी 12 लाख रुपये की नौकरी को किसानों के समर्थन में लात मारी दी। इस पत्रकार की वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। पत्रकार ने चैनल पर सच को दबाने के आरोप लगाये। इसके बाद रक्षित सिंह के नाम से ट्विटर पर कई फेक अकाउंट भी बन गये। जिन पर उनके इस फैसले को लेकर कई ट्वीट भी चलाये गये। जिस पर रक्षित ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो अपलोड करते हुए इसकी जानकारी दी और अपने आॅफिशियल अकाउंट के बारे में बताया।

गांव भैंसा में किसान महापंचायत में कवरेज के लिए पहुंचे एबीपी न्यूज चैनल के सीनियर पत्रकार रक्षित सिंह अचानक किसानों के मंच पर पहुंचे और माइक हाथ में थाम लिया। उन्होंने चैनल पर सच न दिखाने का आरोप लगाते हुए अपनी नौकरी छोड़ने का ऐलान कर दिया। इस दौरान किसानों के मंच पर रक्षित सिंह ने कहा कि मैं पिछले 15 सालों से पत्रकारिता कर रहा हूं। मैंने यह पत्रकारिता इसलिए चुनी क्योंकि मुझे सच दिखाना था, लेकिन मुझे सच नहीं दिखाने दिया जा रहा। लात मारता हूं मैं ऐसी नौकरी को। रक्षित ने यह भी कहा कि उन्होंने नौकरी तो छोड़ दी, लेकिन अब मुझपर झूठे मुकदमे दर्ज किए जाएंगे। रक्षित ने मंच से ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा बेटा जब बड़ा होकर मुझसे पूछेगा कि जब देश में अघोषित इमरजेंसी लगी थी तो पापा आप कहां थे, उस वक्त मैं सीना ठोक कर उससे कह तो सकूंगा कि बेटा मैं किसानों के साथ खड़ा था।

रक्षित सिंह ने मंच से कहा कि पढ़ने के बाद मैंने जयपुर में जूते घिसे, उसके बाद दिल्ली में नौकरी की, ईमानदारी के साथ सब कुछ कवर किया। आज तक मेरे ऊपर कोई चवन्नी का आरोप नहीं लगा सकता। आज की तारीख में मेरा साल का पैकेज 12 लाख का है। इसके अलावा मुझे कुछ आता भी नहीं। मैं तो कुछ व्यापार भी नहीं कर सकता। घर का अकेला लड़का हूं। कहां से परिवार को पालूंगा।

इस सवाल को खुद से पिछले तीन महीनों से पूछ रहा हूं, कि इस बच्चे को क्या खिलाउंगा। क्योंकि मुझे मालूम है ये करने के बाद होगा क्या। एफआईआर दर्ज होगी, मुकदमें दर्ज होंगे। हो सकता है मैं सड़क से जा रहा होउं तो मेरे पीछे आने वाले किसी ट्रक का ब्रेक भी फेल हो सकता है। कुछ भी हो सकता है, इस सरकार के राज में हमारा 56 इंच का न सहीं 5-6 इंच का सीना तो है, हम सीना तान के खड़ें हैं। डरते नहीं है किसी से। एबीपी न्यूज के पत्रकार रक्षित सिंह के नौकरी छोड़ने के इस मामले को एक सोचा समझा स्टंट भी बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर जितनी तेजी से उनकी यह वीडियो वायरल हो रही है, उतनी ही तेजी से प्रतिक्रिया भी आ रही है। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि अपने डिजिटल प्लेटफार्म को लान्च करने की एक सोची समझी स्कीम के तहत रक्षित ने किसानों का यह मंच इस्तेमाल किया है। 

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