महोबा : क्रशर कारोबारी संदिग्ध हत्या प्रकरण, एसआईटी जांच रिपोर्ट पेश, वजह मानसिक तनाव
क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत की थ्योरी हत्या और आत्महत्या के चक्रव्यूह में उलझकर रह गयी है। उत्तर प्रदेश के महोबा निवासी क्रशर मालिक इंद्रजीत त्रिपाठी की संदिग्ध परिस्थियों में मौत की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। एसआईटी ने कारोबारी की मौत की वजह आत्महत्या बताई है। एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार कारोबारी ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से ही खुद को गोली मारकर जान दे दी। जांच करने वाली टीम से जुड़े अफसरों ने कारोबारी के परिवार, मित्रों और बिज़नेस में नफा नुकसान के आकलन इत्यादि का गहन विश्लेषण के बाद ये जांच रिपोर्ट पेश की है। आत्महत्या करने के पीछे कारोबारी को मानसिक तनाव में होना बताया है।
SIT का दावा है कि मानसिक तनाव से गुजर रहे कारोबारी ने आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाया। एडीजी ज़ोन प्रयागराज प्रेम प्रकाश ने SIT रिपोर्ट की पेश करते हुए ये जानकारी दी। कहा 'जांच में सामने आया है कि इंद्रकांत की कार की पिछली सीट में जो गोली धंसी हुई थी, वह कारोबारी की पिस्टल से ही चली थी। गोली उनके गले को भेदते हुए कार की पिछली सीट में घुस गई थी। फॉरेंसिक जांच में भी इसकी पुष्टि हुई है। घटना के वक्त कार में त्रिपाठी के अलावा और कोई नहीं था।' संदिग्ध को क्लीन चिट दिए जाने के बाबत सवाल पूछने पर एडीजी ने साफ शब्दों में कहा कि अभी इस मामले में किसी को क्लिन चिट नहीं दी गई है। बताते चलें महोबा के क्रशर कारोबारी इंद्रजीत त्रिपाठी को मानसिक तनाव में पहुंचाने के जिम्मेदार तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार थे।
जिस पिस्टल से मृतक ने आत्महत्या किया मौके से वो बरामद ना होने के सवाल पर एडीजी ने कहा कि घटना के वक्त वहां से गुजर रहे इंद्रकांत के बिजनस पार्टनर बल्लू के भाई आशाराम ने पिस्टल उठा ली और इंद्रकांत के साले ब्रजेश शुक्ल को दे आया था। आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले एक वीडियो वायरल हुआ था। उस वीडियो में महोबा जिले के क्रशर कारोबारी इंद्रजीत त्रिपाठी ने पूर्व पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार के विरुद्ध रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। वीडियो वायरल करने के कुछ घंटे बाद गोली लगने से घायल क्रशर व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी (44) की मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल कारोबारी को इलाज के लिए कानपुर लाया गया था जहां उन्होंने दम तोड़ दिया था। वहीं, इंद्रजीत त्रिपाठी के बड़े भाई रविकांत ने आरोप लगाया था कि महोबा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पाटीदार ने उनके भाई से 6 लाख रुपये रिश्वत मांगी थी और नहीं देने पर उसे झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेजने की धमकी दी थी। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 9 सितंबर को पाटीदार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। वहीं, उनकी संपत्ति की सतर्कता अधिष्ठान से जांच कराने के आदेश दिए थे।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने इस कांड की जांच के लिए SIT गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। विजय सिंह मीना, आईजी रेंज वाराणसी, एसआईटी टीम के अध्यक्ष, जबकि डीआईजी शलभ माथुर और एसपी अशोक कुमार त्रिपाठी ने बतौर सदस्य उनका सहयोग किया। एसआईटी की जांच रिपोर्ट में आत्महत्या का कारण कारोबारी का मानसिक तनाव में होना बताए जाने के बाद लोगों की निगाहें सरकार के फाइनल निर्णय पर लगी हुई हैं।