निजी हाथों में सौंपी गई बसों की मरम्मत की जिम्मेदारी, कूलिंग, ब्रेक फेल की घटनाएं सबसे ज्यादा
रोडवेज निजीकरण की तरफ बढ़ रही है। 19 डिपो में बसों की मरम्मत का काम निजी हाथों में सौंपने का फैसला लिया गया है। इसमें लखनऊ का अवध डिपो भी शामिल है। दरअसल, हाल ही में निदेशक मंडल की बैठक हुई थी, जिसमें इस निर्णय पर मुहर लगाई गई है। ऐसे में अब 19 क्षेत्र के एक-एक डिपो में बसों की मेंटीनेंस का काम आउटसोर्सिंग द्वारा कराया जाएगा। इससे बसों की बेहतर मेंटीनेंस की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे यात्रियों की शिकायतों पर विराम लग सकता है। लखनऊ परिक्षेत्र के तहत एसी जनरथ बसों की मेंटीनेंस अवध बस डिपो में होती है, जिसकी जिम्मेदारी प्राइवेट फर्म संभालेगी। रोडवेज के कर्मचारियों की जगह प्राइवेट फर्म के मैकेनिक यह काम देखेंगे। अभी तक एसी कूलिंग ठप होने से लेकर स्टीयरिंग, ब्रेक आदि फेल होने की शिकायतें आती रही हैं, जिससे यात्रियों को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता था। यह हाल तब था, जब डिपो को दो-दो करोड़ रुपये बसों की मरम्मत के लिए दिए गए थे। पर, शिकायतों को नहीं रोका जा सका। एसी जनरथ बसों की मरम्मत का काम निजी हाथों में सौंपने से यात्रियों की शिकायतें काफी हद तक दूर होने की उम्मीद है। रोडवेज अफसरों ने बताया कि लखनऊ के अवध डिपो के अतिरिक्त अयोध्या का सुल्तानपुर डिपो, प्रयागराज का जीरो रोड, आजमगढ़ का बलिया डिपो, गोरखपुर का देवरिया डिपो, वाराणसी का कैंट डिपो, चित्रकूट का बांदा डिपो, देवीपाटन का बलरामपुर डिपो, आगरा का ताज डिपो, गाजियाबाद का साहिबाबाद डिपो, मेरठ का सोहराब गेट डिपो, सहारनपुर का छुटमलपुर डिपो, अलीगढ़ का एटा डिपो, मुरादाबाद का नजीबाबाद डिपो, बरेली का बदायूं डिपो, हरदोई का हरदोई डिपो, इटावा का इटावा डिपो, कानपुर का विकास नगर डिपो और झांसी डिपो निजी हाथों में जाएगी।