ग्राम राजपुर कला में पुरानी रंजिश के चलते संजू उर्फ संजीव बाल्मीकि के घर पर मोहित, उसके पुत्र राजेंद्र और उनके साथी वीरेंद्र ने हमला कर की थी संजीव बाल्मीकि की हत्या
मुजफ्फरनगर। जनपद के जानसठ थाना क्षेत्र के ग्राम राजपुर कला में हुए दलित परिवार पर हमले के दौरान परिवार के मुखिया की हत्या और उसके तीन बच्चों को घायल कर देने के सनसनीखेज मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। विशेष अदालत ने संजीव बाल्मीकि की हत्या और उसके तीन मासूम बच्चों को गोली मारकर घायल करने के जुर्म में पिता-पुत्र समेत तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही तीनों दोषियों पर 35-35 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में दलित उत्पीड़न के एक गंभीर मामले में न्यायपालिका ने सख्त रुख अपनाते हुए दोषियों को कड़ी सजा सुनाई है। यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार के लिए न्याय की उम्मीद बना, बल्कि समाज में जातिगत हिंसा के खिलाफ एक सशक्त संदेश भी प्रसारित करता है। मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब एक दलित परिवार के घर पर घात लगाकर हमला किया गया और गोलीबारी में एक व्यक्ति की जान चली गई जबकि तीन मासूम बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए।
डीजीसी राजीव शर्मा के अनुसार 14 फरवरी 2023 को थाना जानसठ क्षेत्र के ग्राम राजपुर कला में पुरानी रंजिश के चलते संजू उर्फ संजीव बाल्मीकि के घर पर मोहित, उसके पुत्र राजेंद्र और उनके साथी वीरेंद्र ने हमला कर दिया। आरोपियों ने गाली-गलौज करते हुए पिस्टल और बंदूक से ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें संजीव बाल्मीकि की मौके पर ही मौत हो गई और उसके तीन बच्चे मोहित, शीर्ष और वंदना गंभीर रूप से घायल हो गए।
मामले की सुनवाई विशेष अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम की अदालत में न्यायाधीश आशा रानी सिंह की अध्यक्षता में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता परविंदर कुमार सिंह और विशेष अधिवक्ता नरेंद्र शर्मा ने जोरदार पैरवी की। अदालत ने तीनों आरोपियों मोहित, राजेंद्र और वीरेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही प्रत्येक पर 35,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा, आर्म्स एक्ट के तहत मोहित और राजेंद्र को अलग से दोषी ठहराते हुए क्रमशः 4,000 और 7,000 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया गया।