मुजफ्फरनगर। दक्षिणी रामपुरी में छह तीर्थ यात्रियों की मौत का दुख सभी को है। इसमें अजय प्रजापति के मासूम दो बेटों अनंत और दीपेश के असमय ही यूं चले जाने के कारण पूरा मौहल्ला गमजदा है। अनंद और दीपेश अपने पिता अजय कुमार, माता मोनिका और छोटी बहन पूर्वी ;6द्ध के साथ वैष्णो देवी की यात्रा पर गये थे और भूस्खलन में पूरा परिवार दब गया। अनंत और दीपेश की मौत हो गई। घर पर अकेले दादा है। उनका घर ही इस परिवार की गुरबत और दयनीय जीवन की कहानी बयां करता है। दीपेश पूरे मौहल्ले का चहेता बच्चा था। उसको और परिजन प्यार से डमरू कहकर बुलाते थे। अब डमरू खामोश है और घर में सन्नाटा है। दादा देशराज सिंह 27 अगस्त को आई उनकी मौत की खबर के घंटे से ही लगातार जाग रहे हैं। देशराज ने भावुक होकर बताया कि पोतों के शव तो घर आ गये, लेकिन बेटा, पोती और पुत्रवधु कब आयेंगे पता नहीं, बेटे के पैरों में फ्रैक्चर है, रॉड डाली गई है। 29 की शाम हॉस्पिटल से ही डॉक्टर ने अजय से उनकी बात कराई, उसकी पत्नी और बेटी भी भर्ती हैं। वो उनके पास जाना चाहते हैं, लेकिन साधन नहीं हैं।
वहीं शनिवार को शहर श्मशान घाट पर सभी छह मृतक तीर्थयात्रियों की अंत्येष्टि हुई तो श्मशान घाट का संचालन करने वाली परोपकारी सेवा समिति द्वारा कोई भी शुल्क नहीं लिया गया। समिति के अध्यक्ष शिवचरण दास गर्ग, मंत्री अजय तायल और कोषाध्यक्ष शंकर स्वरूप बंसल ने समिति की ओर से पूर्ण खर्च करीब 15000 रुपये वहन किया। श्मशान घाट के प्रबंधक जितेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को ही समिति अध्यक्ष के आदेश पर अंत्येष्टि की व्यवस्था निःशुल्क की गई है और रसीद परिजनों को उपलब्ध करा दी गई है।

देवबंद में दशलक्षण पर्व के छठे दिन सुगंध दशमी का भव्य आयोजन
देवबंद (सहारनपुर)। दशलक्षण पर्व के छठे दिन मंगलवार को नगर के विभिन्न जैन मंदिरों में सुगंध दशमी का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर, सरागवाड़ा में आचार्य श्री 108 अरुण सागर जी महाराज के सानिध्य में तत्वार्थ सूत्र विधान के छठे अध्याय के 27 अर्ध चढ़ाए गए। सुबह के समय श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजा, सोलहकरण पूजा और दशलक्षण पूजा संपन्न हुई। श्रीजी की शांति धारा करने का सौभाग्य इस बार सुबोध जैन परिवार को मिला। दोपहर बाद बाहरा स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में सुगंध दशमी कथा के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। सरागवाड़ा, कानूनगोयान