मेरठ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में शनिवार सुबह मेरठ प्रशासन ने सेंट्रल मार्केट स्थित अवैध रूप से बने एक कॉम्प्लेक्स को गिराने की तैयारी शुरू कर दी। कार्रवाई से पहले ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई। दुकानें खाली कराते समय कई दुकानदारों की आंखें नम हो गईं। उनका कहना था कि दुकानों के टूट जाने के बाद उनका रोज़गार पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
भारी पुलिस बल की तैनाती
संभावित विरोध को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं। पूरे क्षेत्र को बैरिकेड लगाकर सील कर दिया गया है और आम जनता की एंट्री पूरी तरह रोक दी गई है। भीड़ नियंत्रण के लिए कई थानों की पुलिस और PAC के जवान तैनात किए गए हैं। वहीं, एटीएस की टीम ड्रोन कैमरों से हर गतिविधि पर नज़र रख रही है।
35 साल पुरानी इमारत पर चला कानूनी विवाद
जानकारी के अनुसार, 288 वर्ग मीटर क्षेत्र में बने इस कांप्लेक्स में कुल 22 दुकानें हैं। यह ज़मीन मूल रूप से काजीपुर निवासी वीर सिंह को आवास निर्माण के लिए आवंटित की गई थी। वर्ष 1990 में विनोद अरोड़ा नाम के व्यक्ति ने ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के माध्यम से यहां वाणिज्यिक कांप्लेक्स का निर्माण करा लिया, जिसे आवास विकास परिषद ने अवैध घोषित किया। मामला अदालतों से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को अपने आदेश में निर्देश दिया था कि तीन महीने के भीतर कॉम्प्लेक्स को खाली कराया जाए और आवास विकास परिषद की देखरेख में ध्वस्त किया जाए। अदालत के इसी आदेश के अनुपालन में अब प्रशासन बुलडोजर कार्रवाई कर रहा है।







