खालापार पुलिस ने किया फर्जी जमानत रैकिट का पर्दाफाशः आरोपी से अवैध असलहा और पेशेवर जमानतियों के दो आधार कार्ड बरामद
मुजफ्फरनगर। पुलिस ने पेशेवर जमानतदारों के सहारे अपराधियों की फर्जी जमानत कराने वाले संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है। कचहरी परिसर में सक्रिय यह नेटवर्क मोटी रकम लेकर फर्जी कागजात, गलत पहचान और पेशेवर जमानतदारों के माध्यम से आरोपियों को कारागार से बाहर निकालने के अवैध धंधे में लिप्त था। गिरोह के मुख्य संचालक की भूमिका निभाने वाले एक मुंशी को पुलिस ने धर दबोचा है, जो कचहरी में एक अधिवक्ता के यहां मंुशियाने का कार्य करता है। मुंशी के दो पेशेवर जमानती भी चिन्हित किये गए हैं। पुलिस को उम्मीद है कि इस गिरफ्तारी के बाद जमानत फर्जीवाड़े का बड़ा गठजोड़ उजागर होगा।
थाना खालापार पुलिस ने फर्जी जमानत कराने में माहिर शातिर मुंशी आशु जैन पुत्र नरेश जैन निवासी कृष्णापुरी को गिरफ्तार कर एक बड़े जमानत फर्जीवाड़ा रैकिट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने उसके कब्जे से 315 बोर का अवैध तमंचा, एक जिंदा कारतूस और दो आधार कार्ड बरामद किए। पुलिस के अनुसार आशु जैन स्थानीय कचहरी में एक अधिवक्ता के यहां मुंशी का काम करता है। अपनी इस पहुंच का फायदा उठाकर उसने एक पूरा नेटवर्क खड़ा कर रखा था, जो उन आरोपियों को तलाशता था जिनके पास जमानती उपलब्ध नहीं होते। ऐसे मामलों में यह गिरोह मोटी रकम लेकर फर्जी या किसी अन्य भूमि के कागजात लगा कर पेशेवर जमानतदारों के माध्यम से जमानत कराता था।
थाना प्रभारी खालापार महावीर सिंह चौहान ने बताया कि आशु जैन ने पूछताछ में खुलासा किया है कि वह दो पेशेवर जमानतदारोंकृराजेंद्र पुत्र शिवचरण निवासी वहलना और चंद्रकिरण पुत्र जय सिंह निवासी सूजडूकृके साथ मिलकर अब तक करीब 20 अपराधियों की फर्जी जमानत करा चुका है। दोनों जमानतदारों के आधार कार्ड भी आशु के पास ही रहते थे ताकि वह किसी भी आरोपी के लिए जमानतदार तैयार कर सके। पुलिस ने ये आधार कार्ड उसके कब्जे से बरामद कर लिए हैं। पुलिस का कहना है कि सोमवार को भी यह गिरोह एक नए आरोपी की जमानत कराने की तैयारी में था, लेकिन उससे पहले ही कार्रवाई कर आशु जैन को गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तार आशु जैन का आपराधिक रिकॉर्ड बेहद लंबा है। मेरठ और मुजफ्फरनगर में उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, एनडीपीएस तथा लूट, हत्या के प्रयास, फर्जीवाड़ा जैसे गंभीर धाराओं में 17 मुकदमे दर्ज हैं। उसका पहला मुकदमा 2002 में कोतवाली नगर में दर्ज हुआ था। पुलिस का मानना है कि उसकी आपराधिक प्रवृत्ति और पुराना रिकॉर्ड ही इस गिरोह की तेजी से फैलती गतिविधियों का आधार बना। इस मामले में उप निरीक्षक राकेश कुमार की तहरीर पर आरोपी आशु जैन के खिलाफ खालापार थाने में धोखाधडी और आयुध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने उसको कोर्ट में पेश किया, जहां से उसको न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। आशु जैन की गिरफ्तारी करने वाली टीम में उपनिरीक्षक राकेश कुमार, हैड कांस्टेबल जयदीप नागर, कांस्टेबल नीरज कुमार और रविंद्र कुमार शामिल रहे। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही दोनों फरार पेशेवर जमानतदारों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जाएगी, जिससे पूरे गैंग का नेटवर्क सामने आ सके। पुलिस इस गिरोह के माध्यम से जमानत पाए सभी अपराधियों की फाइलें दोबारा खंगाल रही है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने इसे अदालत परिसर में सक्रिय गिरोहों के खिलाफ बड़ी सफलता माना है।






